सार

देश में एक बार फिर कोयला संकट उत्पन्न हो गया है। गर्मी की तपिश में कोयला की आपूर्ति कम होने से देश में बिजली का संकट भी सामने मुंह बाए खड़े हैं। 

नई दिल्ली। देश में एक बार फिर कोयला संकट (coal crisis in India) को लेकर राज्य परेशान हैं। कई राज्यों में एक सप्ताह से भी कम समय का कोयला स्टॉक में बचा हुआ है। हालांकि, तमाम आशंकाओं के बीच केंद्रीय कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी (Prahlad Joshi) ने शनिवार को कहा कि देश में पर्याप्त कोयले की उपलब्धता है क्योंकि 72.50 मिलियन टन (एमटी) सूखा ईंधन विभिन्न स्रोतों पर और 22 मीट्रिक टन ताप विद्युत संयंत्रों में उपलब्ध है।

एक महीना तक चलेगा स्टॉक किया गया कोयला

मंत्री ने दावा किया है कि उपलब्ध कोयला स्टॉक एक महीने तक चलेगा और उपलब्धता दैनिक आधार पर रिकॉर्ड उत्पादन के साथ भर दी जा रही है। जोशी ने कहा कि वर्तमान में कोल इंडिया लिमिटेड (CIL), सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (SCCL) और कोल वाशरीज (Coal washeries) के विभिन्न स्रोतों में 72.50 मीट्रिक टन कोयला उपलब्ध है।

कोयला का उत्पादन बढ़ा है और कमी कहीं नहीं

कोयला मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सरकार के प्रोविजनल आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान कुल कोयला उत्पादन 777.23 मीट्रिक टन था, जबकि वित्त वर्ष 2021 में 716 मीट्रिक टन की वृद्धि दर्ज की गई थी।

कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) का उत्पादन वित्त वर्ष 2022 में 4.43 प्रतिशत बढ़कर 622.64 मीट्रिक टन हो गया, जो वित्त वर्ष 2021 में 596.24 मीट्रिक टन था। SCCL ने FY'22 में 28.55 प्रतिशत से 65.02 MT की वृद्धि दर्ज की, जो FY'21 में 50.58 MT से अधिक थी।

वहीं, कैप्टिव खानों का कोयला उत्पादन बढ़कर 89.57 मीट्रिक टन हो गया है। FY'21 के दौरान यह केवल 69.18 MT थी। FY'22 के दौरान कुल कोयला प्रेषण 18.43 प्रतिशत बढ़कर 818.04 MT हो गया, जो FY'21 में 690.71 MT था। घरेलू कोयला उत्पादन में सीआईएल की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत से अधिक है।

बिजली की बढ़ी मांग की वजह से रूटीन में ब्लैकआउट

भारत के कई हिस्सों में गर्मी की लहरें, बिजली की मांग में वृद्धि, और कोयले की कमी की आशंकाओं ने महाराष्ट्र सहित देश के कई राज्यों में नियोजित ब्लैकआउट शुरू कर दिया है।

केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे ने कहा कि बिजली संयंत्रों को आपूर्ति के लिए पर्याप्त कोयला है और आरोप लगाया कि महाराष्ट्र सरकार नागरिकों को बिजली उपलब्ध कराने के बजाय केंद्र को दोष देने में व्यस्त है। जबकि महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने केंद्र को कोयले की आपूर्ति के खराब प्रबंधन के लिए दोषी ठहराया।

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