सार
कांग्रेस ने अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाले पर खुली बहस की चुनौती दी है। अजय माकन ने कहा कि वह उनको बहस में बताएंगे कि शराब नीति में घोटाला कहां हुआ है। माकन ने भाजपा शासित दिल्ली नगर निगम और डीडीए को भी कठघरे में खड़ा करते हुए इसके खिलाफ भी सीबीआई जांच की मांग की है।
दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ साथ बीजेपी पर बड़ा हमला किया है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल यह सवाल कर रहे हैं कि शराब नीति में घोटाला कहां हुआ है। केजरीवाल स्वयं राजस्व सेवा से जुड़े अधिकारी रहे हैं। उनसे बेहतर यह कौन बता सकता है कि घोटाला क्या हुआ है। इसके बाद भी अगर उनको समझ नहीं आया है तो वह उनको इस मामले में खुली बहस की चुनौती देते हैं। वह उनको बहस में बताएंगे कि शराब नीति में घोटाला कहां हुआ है। माकन ने भाजपा शासित दिल्ली नगर निगम और डीडीए को भी कठघरे में खड़ा करते हुए इसके खिलाफ भी सीबीआई जांच की मांग की है।
बीजेपी शासित निगम की भी मिलीभगत
अजय माकन ने कहा कि मास्टर प्लान 2021 के नियमों के तहत आवासीय इलाकों में शराब की दुकान खुल ही नहीं सकती है। लेकिन बीजेपी शासित नगर निगम व डीडीए ने कोई कार्रवाई नहीं की। ऐसे में दिल्ली नगर निगम और डीडीए को यह बताना चाहिए कि उसने आवासीय इलाकों में शराब की दुकानों को नियमों के तहत सील क्यों नहीं किया? इसके लिए उनके उपर भाजपा के किन नेताओं का दबाव था। अजय माकन ने अपने दावे के समर्थन में मास्टर प्लान की कॉपी दिखाते हुए उसके प्रावधानों को भी पढ़कर सुनाया।
केजरीवाल के वीडियो से उनको ही घेरा
अजय माकन ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का 26 नवंबर 2014 का एक वीडियो भी जारी किया जिसमें केजरीवाल यह कहते हुए दिख रहे हैं कि आवासीय इलाकों में शराब की दुकान खोलना गलत है। इसकी वजह से वहां पर काफी गड़बड़ी होती है। महिलाएं इसका विरोध करती है। केजरीवाल कहते हुए दिखते हैं कि उनकी सरकार आने पर महिलाओं के कहने पर आवासीय इलाकेां में शराब की कोई दुकान नहीं खोली जाएगी। महिलाओं को यह अधिकार होगा कि वे आवासीय इलाकों में शराब की दुकानों को बंद करा पाएंगी। उनकी इस बात पर मनीष सिसोदिया भी ताली बजाते हुए नजर आ रहे हैं।
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के पुराने वीडियो को साझा करते हुए अजय माकन ने कहा कि आखिर आठ साल में ऐसा क्या हो गया कि महिलाओं को इस तरह का अधिकार देने की बात करने वाला महिलाओं के विरोध के बावजूद भी आवासीय क्षेत्रों में शराब की दुकानों को खोल रहा है। इसमें क्या गड़बड़ी है। उन्होंने कहा कि जब वह केंद्रीय शहरी विकास मंत्री थे। उस समय मास्टर प्लान 2021 दिल्ली के लिए तैयार किया गया था। उसके 15वें अध्याय में साफ लिखा हुआ है कि आवासीय क्षेत्रों में शराब की दुकान नहीं खुलेगी। यह निर्णय कांग्रेस सरकार ने किया था। इसे कानूनी रूप देने के लिए मास्टर प्लान में शामिल किया गया था। इस नियम के तहत 7 तरह के कार्य आवासीय क्षेत्र, फिर वह मिश्रित उपयोग भूमि क्यों न हो, में प्रतिबंधित किये गए थे। इसमें पांचवें स्थान पर शराब की दुकान थी। कांग्रेस सरकार ने मास्टर प्लान में कहा था कि शराब की दुकान केवल डीडीए शापिंग कॉप्लेक्स या मॉल में ही खुल सकते हैं। ऐसे में सीबीआई अपनी जांच में यह भी पता करे कि भाजपा शासित दिल्ली नगर निगम और डीडीए ने किसके दबाव में आवासीय क्षेत्रों में खुली शराब की दुकानों को सील नहीं किया। इसमें भाजपा और आम आदमी पार्टी में क्या दोस्ताना है।
दिल्ली सरकार ने अपनी कमेटी की सलाह नहीं मानी
कांग्रेस नेता अजय माकन ने कहा कि दिल्ली की केजरीवाल शराब नीति में गड़बड़ी कुछ मुख्य बिंदुओं पर हुई है। दिल्ली सरकार ने एक एक्सपर्ट कमेटी बनाई थी। इसने कहा कि थोक शराब का काम केवल सरकार करे, जैसा कि कर्नाटक में होता है। रिटेल के लिए कहा गया कि एक व्यक्ति को अधिकतम दो लाइसेंस ही दिए जाएं। उत्पादक को होलसेल या रिटेल का काम नहीं दिया जाए। लेकिन दिल्ली सरकार ने अपनी ही एक्सपर्ट कमेटी की सिफारिश को नहीं माना। जब उनकी सिफारिश माननी ही नहीं थी तो कमेटी का गठन क्यों किया गया। दिल्ली सरकार ने उत्पादक को ही थोक और रिटेल में नाम बदलकर लाइसेंस हासिल करने का अवसर दे दिया। इससे चुनिंदा ब्रांड और कंपनी को लाभ हुआ। माकन ने कहा कि राजस्थान में लॉटरी से दुकान देने की नीति है। वहां पर अधिकतम एक व्यक्ति को दो ही लाइसेंस दिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार की एक्सपर्ट कमेटी के हिसाब से एक व्यक्ति को दो ही लाइसेंस दिए जा सकते थे। दिल्ली में कुल 849 दुकान खुलनी थी। हालांकि, 460 दुकानें खोली गई। एक्सपर्ट कमेटी की सिफारिश से करीब 425-430 लाइसेंस ही दिए जाने चाहिए थे लेकिन दिल्ली सरकार ने इसकी जगह दिल्ली को 32 जोन में बांट दिया गया। एक-एक व्यक्ति को 25-30लाइसेंस दे दिए गए।
शराब कारोबारियों के 144 करोड़ रुपये माफ
अजय माकन ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार ने शराब कारोबारियों के लगभग 144 करोड़ रूपये माफ कर दिए हैं। यह कहा गया कि उनको कोरोना में नुकसान हुआ है, इसी वजह से उनको यह राहत दी गई है। ऐसे में इतनी दरियादिली और सहानुभूति केजरीवाल सरकार ने छोटे दुकानदारों, किरायेदारों, स्कूल संचालकों को लेकर क्यों नहीं दिखाई। उनके बिजली के बिल क्यों माफ नहीं किए गए। एयरपोर्ट पर लाइसेंस नहीं मिलने पर एक दुकानदार को 30 करोड़ रूपये की राहत दे दी गई लेकिन आम आदमी को कोई राहत नहीं दी गई। माकन ने कहा कि पहले यही केजरीवाल कहते थे अगर किसी मंत्री पर आरोप हो तो उसके इस्तीफा दिए बगैर उसके मामले की सही जांच नहीं हो सकती है। कांग्रेस के इमानदार प्रधाानमंत्री मनमोहन सिंह से बार-बार उनके मंत्रियों के इस्तीफा मांगे गए। ऐसे में अरविंद केजरीवाल को अपनी ही बात पर अमल करते हुए सबसे पहले मनीष सिसोदिया का इस्तीफा लेना चाहिए। इसके अलावा इस मामले में खुली बहस में शामिल होते हुए केजरीवाल को हमारे सवालों के जवाब देने चाहिए।
यह भी पढ़ें:
कांग्रेस में अगला अध्यक्ष चुने जाने के लिए कवायद तेज, CWC रविवार को जारी कर सकती शेड्यूल