सार

शहडोल जिला चिकित्सालय में बच्चों की मौतों का सिलसिला लगातार जारी है। पिछले 60 घंटे के भीतर यहां 5 और बच्चों की मौत हो गई। इनमें 2 व 11 दिन की दो बच्चियों सहित एक सवा महीने की बच्ची तथा सात माह व ढाई महीने के 2 बच्चे शामिल हैं।

भोपाल. शहडोल जिला चिकित्सालय में बच्चों की मौतों का सिलसिला लगातार जारी है। पिछले 60 घंटे के भीतर यहां 5 और बच्चों की मौत हो गई। इनमें 2 व 11 दिन की दो बच्चियों सहित एक सवा महीने की बच्ची तथा सात माह व ढाई महीने के 2 बच्चे शामिल हैं। 26 नवंबर से अब तक यहां 13 बच्चों की मौत हो चुकी है। सूत्रों के अनुसार रिव्यू में यह भी माना गया कि यदि मैदानी अमला सचेत होता और बच्चों को समय पर अस्पताल पहुंचा दिया जाता तो उनकी जान बच सकती थी। इधर बच्चों की मौत के मामले में डिप्टी डायरेक्टर (रीवा) की अगुआई में जांच करने आई स्वास्थ्य महकमे की संभागीय टीम ने भी शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है।

शहडोल में लगातार हो रही बच्चों की मौतों से एक बार फिर भोपाल तक हड़कंप मच गया। सुबह ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मध्यप्रदेश की संचालक छवि भारद्वाज ने ऑन लाइन मीटिंग की, जिसमें स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों के साथ उप संचालक स्वास्थ्य भी शामिल हुए। शासन स्तर पर हुए इस रिव्यू के दौरान बच्चों की मौत के पीछे लापरवाही की बात भी सामने आई। सूत्रों के मुताबिक इस रिपोर्ट में शहडोल जिला चिकित्सालय में बाल रोग विशेषज्ञ न होने, इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाते हुए मेडिकल कॉलेज में भी एसएनसीयू (नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई) जल्द शुरू कराने तथा जिला चिकित्सालय में जल्द पीडिट्रीशियन्स नियुक्त किये जाने का सुझाव दिया गया है।

नौ दिन के भीतर 13 बच्चों की जा चुकी है जान
शहडोल जिला चिकित्सालय में 60 घंटे भीतर पांच और बच्चों की मौत हो गई। दो बच्चों की मौत बुधवार को , दो बच्चों की गुरुवार को तो पांचवीं मौत शुक्रवार शाम हुई। दो दिन से बच्चों की मौत के मामले में खुद को बचाए रखने जिला चिकित्सालय प्रबंधन द्वारा मामला सार्वजनिक नहीं किया गया। शुक्रवार दोपहर एक बच्चे को एक निजी चिकित्सालय से गंभीर हालत में जिला चिकित्सालय लाए जाने और उसकी भी हालत नाजुक देख सिविल सर्जन सामने आए। सिविल सर्जन डॉ. वीएस बारिया ने पांच बच्चों की मौत हो जाने की पुष्टि करते हुए बताया कि बुधवार को डिंडौरी से एक दिसंबर को आई 11 दिन की बच्ची की मौत बुधवार को एसएनसीयू में हुई थी। इसी दिन एसएनसीयू में एक 2 दिन की बच्ची की भी मौत हुई। डॉ. बारिया ने बताया कि प्री-मैच्योर डिलेवरी के बाद बच्ची को 30 नवंबर को जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था।

ट्रेनिंग प्रोग्राम फिर से चालू करने का निर्देश 
मिशन संचालक छवि भारद्वाज ने स्वास्थ्य विभाग के मैदानी अमले का ट्रेनिंग प्रोग्राम फिर से शुरू कराए जाने के निर्देश दिए हैं। यह ट्रेनिंग प्रोग्राम कोरोना संक्रमण के बीच ठप पड़ गया था। उन्होंने निर्देश दिए कि आशा, ऊषा कार्यकर्ता व एनएनम सहित समूचा मैदानी अमला ग्रामीण क्षेत्रों में बीमार पड़ रहे बच्चों पर विशेष नजर रखे, जो बच्चा बीमार पाया जाए उसे चिकित्सकीय मदद उपलब्ध कराएं और जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाएं। मैदानी अमले को लोगों को स्वयं सहित अपने बच्चे के स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने जागरूक करने पर भी उन्होंने जोर दिया। 

20 फीसदी पहुंचा चाइल्ड डेथ रेशियो 
शहडोल जिला चिकित्सालय में हो रही बच्चों की मौत के कारणों की जांच के लिए रीवा से डिप्टी डायरेक्टर डॉ. एन.पी. पाठक के नेतृत्व में आई जांच टीम ने यहां चाइल्ड डेथ का रेशियो 20 परसेंट तक पाया। सूत्रों के अनुसार एसएनसीयू में डेथ का ओवर ऑल 17 से 20 और पीआईसीयू में 18 परसेंट पाया गया। पीआईसीयू में 4 की जगह केवल एक डॉक्टर और उसके भी छुट्टी पर होने को भी जांच दल ने गंभीरता से लिया है।