सार
निर्भया केस में पटियाला कोर्ट ने तीसरी बार डेथ वारंट पर रोक लगा दी। निर्भया के दोषियों को 3 मार्च को फांसी होनी थी। कोर्ट ने अपने अगले आदेश तक फांसी पर रोक लगाई है। पटियाला कोर्ट ने 22 जनवरी और 1 फरवरी के अपने डेथ वारंट पर भी रोक लगाई थी।
नई दिल्ली. निर्भया केस में पटियाला कोर्ट ने तीसरी बार डेथ वारंट पर रोक लगा दी। निर्भया के दोषियों को 3 मार्च को फांसी होनी थी। कोर्ट ने अपने अगले आदेश तक फांसी पर रोक लगाई है। पटियाला कोर्ट ने 22 जनवरी और 1 फरवरी के अपने डेथ वारंट पर भी रोक लगाई थी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दोषी पवन की क्यूरेटिव पिटीशन खारिज कर दी। इसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास दया याचिका भेजी गई, यह भी खारिज हो गई।
सुनवाई के दौरान पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषियों को वकील एपी सिंह को भी फटकार लगाई गई। जज ने कहा, एपी सिंह आप आग से खेल रहे हैं। चेत जाइए। किसी की तरफ से एक भी गलत कदम उठाया गया, तो नतीजे आपके सामने होंगे।
दया याचिका की दलील देकर टालना चाहते थे फांसी
निर्भया के दोषियों के वकील एपी सिंह ने कोर्ट ने पवन की दया याचिका का हवाला दिया था। उन्होंने कहा, याचिका पर फैसला होने तक डेथ वॉरंट टाल दिया जाना चाहिए। इस पर जज ने पूछा कि आपने 12 फरवरी तक कौन-कौन कानूनी विकल्प आजमाएं हैं। बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने 12 फरवरी तक सभी कानूनी विकल्प के इस्तेमाल करने के निर्देश दिए थे।
कोर्ट ने दोषियों के वकील के फटकारा
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दोषी के वकील एपी सिंह को फटकार लगाई। उन्होंने कहा, आप आखिरी वक्त में ही क्यों याचिका दाखिल करते हैं। सुप्रीम कोर्ट से क्यूरेटिव याचिका खारिज होने के बाद पवन ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल की है।
3 बार जारी हो चुका है डेथ वॉरंट
निर्भया के चारों दोषियों को फांसी देने के लिए 3 बार डेथ वॉरंट जारी हो चुका है। पहला डेथ वॉरंट 7 जनवरी को जारी हुआ, जिसके मुताबिक 22 जनवरी को सुबह 7 बजे फांसी देने का आदेश दिया गया। इसके बाद दूसरा डेथ वॉरंट 17 जनवरी को जारी हुआ, दूसरे डेथ वॉरंट के मुताबिक, 1 फरवरी को सुबह 6 बजे फांसी देना का आदेश था। फिर 31 जनवरी को कोर्ट ने अनिश्चितकाल के लिए फांसी टाली दी। तीसरा डेथ वॉरंट 17 फरवरी को जारी हुआ। इसके मुताबिक 3 मार्च को सुबह 6 बजे फांसी का आदेश दिया गया था।
निर्भया के 4 दोषी कौन?
पहले दोषी का नाम अक्षय ठाकुर है। यह बिहार का रहने वाला है। इसने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और दिल्ली चला आया। शादी के बाद ही 2011 में दिल्ली आया था। यहां वह राम सिंह से मिला। घर पर इस पत्नी और एक बच्चा है। दूसरे दोषी को नाम मुकेश सिंह है। यह बस क्लीनर का काम करता था। जिस रात गैंगरेप की यह घटना हुई थी उस वक्त मुकेश सिंह बस में ही सवार था। गैंगरेप के बाद मुकेश ने निर्भया और उसके दोस्त को बुरी तरह पीटा था। तीसरा दोषी पवन गुप्ता है। पवन दिल्ली में फल बेंचने का काम करता था। वारदात वाली रात वह बस में मौजूद था। पवन जेल में रहकर ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहा है। चौथा दोषी विनय शर्मा है। विनय जिम ट्रेनर का काम करता था। वारदात वाली रात विनय बस चला रहा था। इसने पिछले साल जेल के अंदर आत्महत्या की कोशिश की थी लेकिन बच गया।
क्या है निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड?
दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया। लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं। छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया। बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया गया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई।