सार
घुसपैठिये देश की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था दोनो को नुकसान पहुंचाते हैं। अवैध घुसपैठिये देश के संसाधनों को हमारे साथ बांटते हैं, जिससे देश के लोगों को संसाधनो की कमी होती है।
असम. लोगों की नागरिकता और बांग्लादेश से पलायन करके आए लोगों का मुद्दा पिछले कुछ दिनों से काफी चर्चा में है। फिलहाल सबसे बड़ा सवाल यही है कि लोगों की पहचान होने के बाद क्या होगा ? लेकिन हमारे राजनेता नागरिकों की पहचान करने की कानूनी प्रक्रिया पर ही सवाल खड़े कर रहे हैं। राजनेताओं की यह सोच ही हमारे लिए चिंता का सबसे बड़ा विषय है।
अभिनव खरे Deep Dive With Abhinav Khare
सरकार द्वारा जारी की गई नई सूची 1951 की सूची की ही पुनरावॉत्ति है। इसमें 25 मार्च 1971 या इससे पहले से असम में रह रहे सभी लोगों को भारत का नागरिक माना गया है। क्योंकि इसी दिन से पाकिस्तान ने बांग्लादेश में लोगों को सताना शुरू किया था। और बड़ी मात्रा में लोग बांग्लादेश से भागकर भारत में आए थे।
मौजूदा समय में असम में रह रहे सिर्फ 48 फीसदी लोग ही असमी बोलते हैं। यानि असम की कुल आबादी में 48 फीसदी लोग ही असम के मूल निवासी हैं। असम में 2001 से 2010 के बीच हिंदू आबादी 3 फीसदी कम हुई है, जबकि मुस्लिम आबादी इतनी ही मात्रा में बढ़ी है। इसका कारण है बांग्लादेश से पलायन करके आए लोग,जिनको राजनेताओं का पूरा समर्थन मिलता मिलता है और राजनेता अपने वोट के खातिर देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करते हैं।
सरकार ने अंतिम सूची में 20 लाख लोगों को शामिल नहीं किया है। जिसकी वजह से हर जगह बवाल हो रहा है। पर ये 20 लाख लोग वही हैं जो बांग्लादेश से पलायन करके भारत आए हैं। इनमें रोहिंग्या मुसलमान भी शामिल हैं।
देश के लिए क्यों जरूरी है NRC ?
1. NRC के जरिए हम बांग्लादेश के अवैध घुसपैठियों की पहचान कर सकते हैं। इसके जरिए हम अनुमान लगा सकते हैं कि लगभग कितने घुसपैठिये देश में मौजूद हैं। और अर्थव्यवस्था पर कितना बोझ पड़ रहा है।
2. भारत की नागरिकता न मिलने पर घुसपैठियों को वोटिंग का अधिकार नहीं मिलेगा, जिससे वो देश में कोई भी राजनीतिक पआभाव नहीं छोड़ पाएंगे। इससे देश की सुरक्षा का खतरा कम होगा।
3. यह सूची बांग्लादेश और म्यांमार जैसे देशों में स्पष्ट संदेश देती है, कि भारत में किसी भी तरह के घुसपैठियों को आने की अनुमति नहीं है।
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घुसपैठिये देश की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था दोनो को नुकसान पहुंचाते हैं। अवैध घुसपैठिये देश के संसाधनों को हमारे साथ बांटते हैं, जिससे देश के लोगों को संसाधनो की कमी होती है। सरकार द्वारा जारी की गई यह सूची बेशक घुसपैठियों से तुरंत छुटकारा नहीं दिलाएगी, लेकिन इस सूची के बाद लोग भारत में अवैध पलायन करने से पहले सोचेंगे। और राजनेता अपने वोट बैंक के लिए देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ नहीं कर पाएंगे।
कौन हैं अभिनव खरे
अभिनव खरे एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ हैं, वह डेली शो 'डीप डाइव विद अभिनव खरे' के होस्ट भी हैं। इस शो में वह अपने दर्शकों से सीधे रूबरू होते हैं। वह किताबें पढ़ने के शौकीन हैं। उनके पास किताबों और गैजेट्स का एक बड़ा कलेक्शन है। बहुत कम उम्र में दुनिया भर के 100 से भी ज्यादा शहरों की यात्रा कर चुके अभिनव टेक्नोलॉजी की गहरी समझ रखते है। वह टेक इंटरप्रेन्योर हैं लेकिन प्राचीन भारत की नीतियों, टेक्नोलॉजी, अर्थव्यवस्था और फिलॉसफी जैसे विषयों में चर्चा और शोध को लेकर उत्साहित रहते हैं। उन्हें प्राचीन भारत और उसकी नीतियों पर चर्चा करना पसंद है इसलिए वह एशियानेट पर भगवद् गीता के उपदेशों को लेकर एक सफल डेली शो कर चुके हैं।
अंग्रेजी, हिंदी, बांग्ला, कन्नड़ और तेलुगू भाषाओं में प्रासारित एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ अभिनव ने अपनी पढ़ाई विदेश में की हैं। उन्होंने स्विटजरलैंड के शहर ज्यूरिख सिटी की यूनिवर्सिटी ETH से मास्टर ऑफ साइंस में इंजीनियरिंग की है। इसके अलावा लंदन बिजनेस स्कूल से फाइनेंस में एमबीए (MBA) भी किया है।