सार
हाल ही में रोमिला थापर का एक वीडियो वायरल हुआ था। जिसमें वो मौर्य सम्राज्य के राजा, सम्राट अशोक के बारे में बात कर रही थी। इस वीडियो में रोमिला थापर यह कहती हुई नजर आ रही हैं कि युधिष्ठिर का पश्चाताप सम्राट अशोक के उस पश्चाताप से प्रेरित हो सकता है, जो उन्होंने कलिंग युद्ध के बाद किया था। इसके बाद लोगों ने रोमिला थापर के इस वीडियो को लेकर जमकर ट्वीट किया और उनका बखूबी मजाक उड़ाया। इस वीडियो में हम बात करेंगे कि कैसे रोमिला थापर जैसे इतिहासकार एक निश्चित विचारधारा से प्रेरित होकर उसे और फैलाने के लिए लिखते हैं और यही हमें अपने पाठ्यक्रम में पढ़ना पड़ता है।
हाल ही में रोमिला थापर का एक वीडियो वायरल हुआ था। जिसमें वो मौर्य सम्राज्य के राजा, सम्राट अशोक के बारे में बात कर रही थी। इस वीडियो में रोमिला थापर यह कहती हुई नजर आ रही हैं कि युधिष्ठिर का पश्चाताप सम्राट अशोक के उस पश्चाताप से प्रेरित हो सकता है, जो उन्होंने कलिंग युद्ध के बाद किया था। इसके बाद लोगों ने रोमिला थापर के इस वीडियो को लेकर जमकर ट्वीट किया और उनका बखूबी मजाक उड़ाया।
इतिहासकारों के अनुसार महाभारत का युद्ध लगभग 1200 ईश्वी पूर्व हुआ था, जबकि अशोक का शासनकाल 304 से 232 ईश्वी पूर्व के बीच रहा था। वामपंथी विचारधारा ने हमेशा ही हमारी संस्कृति और विरासत को नीचा दिखाने की कोशिश की है। महाभारत भी इनमें से एक है। वामपंथियों की समझ में महाभारत एक भ्रामक कल्पना है। और सोच को हमें सही करने की जरूरत है। वामपंथियों के हिसाब से एक बौद्ध समर्थक मौर्य सम्राट ने देवताओं को दिखाने के लिए अपने राज्य में ब्राम्हणपंथी महाभारत की रचना कर दी थी, जो कि सरासर गलत है।
तो हम अब इसका सामना कैसे करेंगे ?
इस सवाल का जवाब काफी आसान है। अगर हम ठीक तरह से देखें तो पूरा महाभारत तब लिखा गया था, जब बौद्ध धर्म का उदय भी नहीं हुआ था। इससे यह साफ होता है कि अशोक युध्ष्ठिर से प्रेरित हुए हों यह संभव है,लेकिन युधिष्ठिर अशोक से प्रेरित हुए हों यह कतई संभव नहीं है।
रोमिला थापर की विश्वनीयता हमेशा ही सवालों के घेरे में रही है। चाहे वो उनकी आयर्न आक्रमण थ्योरी हो जिसे बार-बार डीएनए टेस्टिंग और अन्य इतिहासकारों ने गलत साबित किया है। या उनका भारत को पसंदीदा भगवान कहना हो। हमारे किसी भी धर्म ग्रंथ में कहीं भी पसंदीदा भगवान जैसी कोई चीज नहीं है। उन्होंने इंद्र का महिमामंडन सिर्फ इसलिए किया क्योंकि वो राक्षसों और आर्यन के विरोधियों को खत्म कर सकते थे। सच्चाई का साथ देने की वजह से वामपंथियों ने हमेशा से ही इंद्र का समर्थन किया है। इसी वजह से रोम्ला थापर के लिए अपने आप इंद्र पसंदीदा भगवान बन गए।
आज इतिहास की किताबों तमाम गलत जानकारियों से भरी पड़ी हैं। इससे हमारी विरासत और संस्कृति को भी नुकसान हो रहा है। थापर की ही तरह अन्य वामपंथी भी एक निश्चित विचारधारा को आगे बढ़ा रहे हैं। पिछली सराकारों ने भी छोटे बच्चों के दिमाग में जहर भरने का काम किया है। इसलिए आज जरूरत है कि मौजूदा सरकार इस क्षेत्र में कदम उठाए और पाठ्यक्रम में बदलाव लाए ताकि हमारी संस्कृति और विरासत सुरक्षित रह सके। और हम अपनी किताबों में अपने स्वर्णिम इतिहास को पढ़ और समझ सकें।
कौन हैं अभिनव खरे
अभिनव खरे एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ हैं, वह डेली शो 'डीप डाइव विद अभिनव खरे' के होस्ट भी हैं। इस शो में वह अपने दर्शकों से सीधे रूबरू होते हैं। वह किताबें पढ़ने के शौकीन हैं। उनके पास किताबों और गैजेट्स का एक बड़ा कलेक्शन है। बहुत कम उम्र में दुनिया भर के 100 से भी ज्यादा शहरों की यात्रा कर चुके अभिनव टेक्नोलॉजी की गहरी समझ रखते है। वह टेक इंटरप्रेन्योर हैं लेकिन प्राचीन भारत की नीतियों, टेक्नोलॉजी, अर्थव्यवस्था और फिलॉसफी जैसे विषयों में चर्चा और शोध को लेकर उत्साहित रहते हैं। उन्हें प्राचीन भारत और उसकी नीतियों पर चर्चा करना पसंद है इसलिए वह एशियानेट पर भगवद् गीता के उपदेशों को लेकर एक सफल डेली शो कर चुके हैं।
अंग्रेजी, हिंदी, बांग्ला, कन्नड़ और तेलुगू भाषाओं में प्रासारित एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ अभिनव ने अपनी पढ़ाई विदेश में की हैं। उन्होंने स्विटजरलैंड के शहर ज्यूरिख सिटी की यूनिवर्सिटी ETH से मास्टर ऑफ साइंस में इंजीनियरिंग की है। इसके अलावा लंदन बिजनेस स्कूल से फाइनेंस में एमबीए (MBA) भी किया है।