सार
जामिया में 15 दिसंबर (रविवार) को हुई हिंसा में 67 आम नागरिक घायल हुए थे। दिल्ली पुलिस ने गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें बताया है कि हिंसा में 47 लोग हिरासत में लिए गए। 31 पुलिसकर्मी घायल हुए। 20 गाड़ियों और 14 बसों में तोड़फोड़ की गई।
नई दिल्ली. जामिया में 15 दिसंबर (रविवार) को हुई हिंसा में 67 आम नागरिक घायल हुए थे। दिल्ली पुलिस ने गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें बताया है कि हिंसा में 47 लोग हिरासत में लिए गए। 31 पुलिसकर्मी घायल हुए। वहीं 20 गाड़ियों और 14 बसों में तोड़फोड़ की गई। अपनी रिपोर्ट में पुलिस ने कहा कि है जामिया में असामाजिक तत्वों ने हिंसा फैलाई थी, हिंसा में ज्यादातर बाहरी लोग थे। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इसमें जामिया के छात्र शामिल नहीं थे।
बाहरी हाथ होने की आशंका
सूत्रों की माने तो दिल्ली पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वह इस हिंसा के पीछे विदेशी साजिश की भी जांच कर रही है। पुलिस और अन्य जांच एजेंसियां हिंसा में शामिल 40-50 बाहरी लोगों की जानकारी इकट्ठा करने में जुटी हैं।
जामिया में क्या हुआ था?
नागरिकता कानून के खिलाफ 15 दिसंबर को जामिया के छात्र प्रदर्शन कर रहे थे। इसी दौरान अचानक उपद्रव शुरू हुआ, जिसके बाद पुलिस ने लाठी चार्ज शुरू कर दिया। आरोप है कि पुलिस ने जामिया की लाइब्रेरी और हॉस्टल में घुसकर बच्चों को मारा। उन्हें गेट से बाहर खींचकर लाठियां बरसाईं। इस दौरान 4 बसों में आग लगाई गई। 100 से ज्यादा लोग घायल हुए।
एक वीडियो सामने आया, जिसमें स्टूडेंट्स से पुलिस ने पत्थर न फेंकने की अपील की?
मैं आप लोगों से अपील करता हूं कि आप पत्थर न चलाए। लगातार यह पत्थर हम लोगों पर आ रहे हैं। हम आपकी सुरक्षा के लिए हैं। आपके बीच में कुछ बाहर के लड़के हैं। यह बम, पत्थर पर ट्यूबलाइट फेंक रहे हैं। मैं चाहता हूं कि आप लोग बाहर निकले। हम आपकी हिफाजत के लिए हैं। कुछ ऐसा न करे कि लोग बदमान हो। हम लोग किसी पर कोई कार्रवाई नहीं करेंगे। मजबूरन हमको बल का प्रयोग करना पड़ेगा।