सार

दिवाली मनाने के लिए देशभर में रेलवे स्टेशनों पर भारी भीड़ उमड़ी है। कई जगह अफरा-तफरी जैसी स्थिति हो गई। कई लोग तो कन्फर्म टिकट होने के बाद भी ट्रेन में सवार नहीं हो सके।

नई दिल्ली। पूरे देश में रविवार को हर्षोल्लास के साथ दिवाली का जश्न मनाया जा रहा है। इस बीच शनिवार से लेकर रविवार तक रेलवे स्टेशनों पर घर जाने वालों की भारी भीड़ उमड़ी है। कई स्टेशनों पर तो अफरा-तफरी जैसी स्थिति नजर आई है।

दिवाली पर भीड़ को संभालने के लिए रेलवे द्वारा की गई तैयारी लचर नजर आई है। मानों यात्रियों को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया। इस वजह से सोशल मीडिया पर रेलवे की जमकर आलोचना की जा रही है। सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो शेयर किए जा रहे हैं जिसमें खचाखच भरी ट्रेनें और डिब्बों के बाहर लंबी कतारें लगी दिखाई दे रहीं हैं। कई वीडियो ऐसे हैं जिसमें लोग एक-दूसरे पर लदकर यात्रा करते दिख रहे हैं।

 

 

थर्ड एसी का कन्फर्म टिकट था, ट्रेन में सवार नहीं हो सके

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक यूजर ने वीडियो शेयर करते हुए दावा किया कि उसने कन्फर्म टिकट खरीदा है, फिर भी वह यात्रा नहीं कर सका। गुजरात के वडोदरा में ट्रेन में भीड़ इतनी अधिक थी कि वह डिब्बे में सवार नहीं हो सका। उन्होंने एक्स पर लिखा, "भारतीय रेलवे का प्रबंधन सबसे खराब है। मेरी दिवाली बर्बाद करने के लिए धन्यवाद। थर्ड एसी का कन्फर्म टिकट होने पर भी आपको यही मिलता है। पुलिस से कोई मदद नहीं मिली। मेरे जैसे कई लोग ट्रेन में चढ़ नहीं पाए। भीड़ ने मुझे ट्रेन से बाहर फेंक दिया। उन्होंने दरवाजे बंद कर दिए। वे किसी को भी ट्रेन में आने नहीं दे रहे थे। पुलिस ने मेरी मदद करने से साफ मना कर दिया। वे स्थिति पर हंस रहे थे।" वडोदरा के डिविजनल रेलवे मैनेजर (डीआरएम) ने सोशल मीडिया पर रिप्लाई दिया है। उन्होंने रेलवे पुलिस से घटना की जांच करने का आग्रह किया है।

 

 

दिल्ली में भी रेलवे स्टेशनों पर भी भारी भीड़ देखी गई। सोशल मीडिया पर कई ऐसे वीडियो शेयर किए गए हैं जिनमें स्टेशन खचाखच भरे दिख रहे हैं। सूरत में शनिवार को बिहार जाने वाली एक ट्रेन में भीड़ उमड़ने से भगदड़ मच गई, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए। कई यात्री बेहोश हो गए थे। रेलवे स्टेशन पर भारी भीड़ जमा होने के कारण कुछ यात्रियों को घबराहट और चक्कर आए थे। देश भर के रेलवे स्टेशनों पर भीड़ को देखते हुए रेलवे ने 1,700 विशेष ट्रेनों को चलाया था। इससे 26 लाख अतिरिक्त सीट उपलब्ध कराए गए थे। इसके बाद भी जरूरत पूरी नहीं हुई।