सार
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई ( PFI) और उसके स्टूडेंट विंग के खिलाफ पहली चार्जशीट दायर की है। ईडी ने इस चार्जशीट में संगठन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है। साथ ही एजेंसी ने दावा किया है कि पीएफआई हाथरस केस के बाद सांप्रदायिक दंगे भड़काने और आतंक फैलाने की फिराक में थे।
नई दिल्ली. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई ( PFI) और उसके स्टूडेंट विंग के खिलाफ पहली चार्जशीट दायर की है। ईडी ने इस चार्जशीट में संगठन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है। साथ ही एजेंसी ने दावा किया है कि पीएफआई हाथरस केस के बाद सांप्रदायिक दंगे भड़काने और आतंक फैलाने की फिराक में थे।
प्रवर्तन निदेशालय पीएफआई के खिलाफ 2018 से जांच कर रही है। एजेंसी ने पिछले साल नागरिकता कानून के खिलाफ दिल्ली में हुए दंगों में फंडिंग के मामले में जांच शुरू की है।
क्या है चार्जशीट में ?
ईडी ने पीएफआई के खिलाफ यह चार्जशीट बुधवार को लखनऊ की स्पेशल पीएमएलए कोर्ट में दाखिल की। इसमें मनी लॉन्ड्रिंग की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। इस चार्जशीट में पीएफआई से जुड़े पत्रकार सिद्दिकी कप्पन और पीएफआई के सदस्य मोहम्मद आलम और इसके स्टूडेंट विंग सीएफआई के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष अतिकुर रहमान, दिल्ली के महासचिव मसूद अहमद के नाम शामिल हैं।
इन सभी को हाथरस केस के बाद मथुरा से गिरफ्तार किया गया था। पुलिस का कहना था कि ये लोग हाथरस में सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने की फिराक में जा रहे थे।
क्या है पीएफआई?
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को चरमपंथी इस्लामिक संगठन माना जाता है। यह खुद को पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हक में आवाज उठाने वाला सगठन बताता है। 2006 में इस संगठन की स्थापना नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (NDF)के उत्तराधिकारी के रूप में हुई। इस संगठन का मुख्यालय दिल्ली के शाहीन बाग में है। मुस्लिम संगठन होने के चलते इसकी गतिविधियां मुस्लिमों के आस पास मानी जाती हैं।