सार

समय बदल रहा है, लोग बदल रहे हैं, लोगों की सोच भी बदल रही है। आखिर क्यों कोई इतने लंबे समय तक डीएमके के साथ रहे यह जानते हुए कि कोई काम नहीं किया जा सका है। यह कहना है बीजेपी नेता खुशबू सुंदर का। दक्षिण के फिल्मों की सुप्रसिद्ध अभिनेत्री खुशबू सुंदरम कांग्रेस छोड़ अब बीजेपी का प्रमुख चेहरा बनी हुई है। तमिलनाडु चुनाव पर बीजेपी की रणनीति, चुनावी मुद्दों पर Asianetnews ने खुशबू से एक्सक्लूसिव बातचीत की है।
 

नई दिल्ली. समय बदल रहा है, लोग बदल रहे हैं, लोगों की सोच भी बदल रही है। आखिर क्यों कोई इतने लंबे समय तक डीएमके के साथ रहे यह जानते हुए कि कोई काम नहीं किया जा सका है। यह कहना है बीजेपी नेता खुशबू सुंदर का। दक्षिण के फिल्मों की सुप्रसिद्ध अभिनेत्री खुशबू सुंदरम कांग्रेस छोड़ अब बीजेपी का प्रमुख चेहरा बनी हुई है। तमिलनाडु चुनाव पर बीजेपी की रणनीति, चुनावी मुद्दों पर Asianetnews ने खुशबू से एक्सक्लूसिव बातचीत की है।

1- आप बीजेपी में कुछ समय से हैं। इस पार्टी में कामकाज का तौर तरीका व अन्य चीजें आप अपने पूर्व की पार्टी कांग्रेस से अलग पाती हैं?

बीजेपी काफी अलग है क्योंकि यहां ईमानदारी व पारदर्शिता है। यहां दिखावा नहीं है। यह लोग नकली नहीं है। सबसे बड़ी बात कि यहां निश्चित तौर पर देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा है।

2- आप तमिलनाडु में बीजेपी के प्रदर्शन को लेकर कितना आश्वस्त हैं?

लोग जिस तरह गली-सड़क-मुहल्लों में  बीजेपी को लेकर जोश दिखा रहे हैं उससे मैं बेहद आश्वस्त हूं। एक समय था जब तमिलनाडु में बीजेपी कहीं नहीं दिखती थी, किसी भी बहस में बीजेपी के लोग नहीं दिखते थे। बीजेपी को इस ताकत में नहीं माना जाता था कि उसे किसी बहस में या विपक्ष के रुप में कहीं शिरकत करने का मौका मिले। बीजेपी यूनिट भी इस पोजिशन में नहीं थी कि वह विपक्ष के रुप में दमदारी से अपनी बात रख सके। लेकिन अब लाखों लोग साथ हैं। प्रधानमंत्री मोदी या अमित शाह के आने की सूचना या रैली में लाखों लोग घरों से बाहर निकल आते हैं। अब आलम यह है कि हर डिबेट में आप बीजेपी तमिलनाडु यूनिट को देख सकेंगे, यूं कहिए कि बिना बीजेपी के अब कोई डिबेट पूरा नहीं हो पाता। लोग अब समझने लगे हैं कि यही सही समय है बीजेपी के बारे में बात करने की, बीजेपी एक बेहतर विकल्प है।

3- ऐसा कहा जा रहा है कि आपको डीएमके यूथ विंग के लीडर उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ मैदान में उतारा जाएगा। आपका क्या कहना है, क्या आप इसके लिए तैयार हैं?

मैं नहीं जानती कि मैं कहां से चुनाव लड़ रही हूं। यहां तक कि मैं यह भी नहीं जानती कि मैं चुनाव लड़ रही हूं या नहीं। तमिलनाडु में बीजेपी गठबंधन में है और हम लोगों को महज 20 सीटें मिली हैं। कौन कौन सी सीटें हैं इसकी जानकारी तक नहीं है। अगर पार्टी यह निर्णय लेती है तो मुझे जहां कहा जाएगा वहां से चुनाव लडूंगी, इस बात से कोई मतलब नहीं होगा कि कौन मेरे सामने मैदान में है। अगर मेरे सामने नेता प्रतिपक्ष स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टाॅलिन भी होंगे तो भी उनका स्वागत है। यह जीत-हार का चुनाव नहीं है, कौन उनको कड़ा मुकाबला दे सकता है यह महत्वपूर्ण है। आखिर खुशबू क्यों नहीं इस मुकाबले में कोई चमत्कार कर सकती है।

समय बदल रहा है, लोग बदल रहे हैं, लोगों की सोच भी बदल रही है। आखिर क्यों कोई इतने लंबे समय तक डीएमके के साथ रहे यह जानते हुए कि कोई काम नहीं किया जा सका है। स्वच्छ भारत अभियान का उदाहरण लूंगी। जिस विधानसभा क्षेत्र की मैं प्रभारी हूं वहां गंदगी है, साफ पीने की पानी का अभाव है। इस क्षेत्र में दस साल से डीएमके के एमएलए रहे हैं। हालांकि, व्यक्तिगत रुप से उनको आरोपित नहीं करुंगी क्योंकि वह हमारे बीच नहीं है लेकिन सवाल पार्टी व डीएमके के जिम्मेदारों से तो हो सकता है न। आखिर इस क्षेत्र के लोगों के राशन कार्ड क्यों नहीं बने, सड़कें बेहतर क्यों नहीं, पीने का स्वच्छ पानी हर घर को क्यों नहीं मिला, क्यों लोग यहां मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। यहां क्यों शौचालयों का अभाव है। ऐसी तमाम योजनाएं केंद्र सरकार की हैं जो लोगों के जीवन में बदलाव सकते थे डीएमके सरकार ने सिर्फ इसलिए नहीं लागू किए क्योंकि केंद्र सरकार को फायदा पहुंचता।

मैं केवल चेपक और ट्रिप्लीकेन विधानसभाओं के बारे में बात नहीं कर रही। डीएमके नेता स्टाॅलिन के विधानसभा क्षेत्र कोलाथर के बारे में भी पूछ रही हूं जहां से वह पिछले दस साल से विधायक हैं। वहां भी वही मूलभूत समस्याएं हैं। एक बारिश में हर ओर जलजमाव हो जाता है। ड्रेनेज सिस्टम का हाल बुरा है। स्टाॅलिन बताएं कि उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र में क्या काम किया है जहां से वह दस सालों से एमएलए हैं। डीएमके द्वारा जीती गई अन्य सीटों के बारे में भी बताएं। वह नहीं बताएंगे क्योंकि वहां कुछ हुआ ही नहीं है।

5- कुछ सर्वे बता रहे हैं कि बीजेपी व अलायंस पार्टी एआईएडीएमके को कुछ खास सफलता नहीं मिलने जा रही है, आपका क्या कहना है इस बारे में?

देखिए, जब 2019 के लोकसभा चुनावों की बात हो रही थी तो वे लोग कह रहे थे कि बहुत मुश्किल होगी। जीएसटी, नोटबंदी जैसे मुद्दों को लेकर काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। 2018 में किसानों की समस्या सामने थी। ऐसे सर्वे ही कह रहे थे कि 2019 में मोदी सरकार वापसी नहीं करेगी लेकिन आज बीजेपी विश्व की सबसे बड़ी पार्टी है।


यही बात 2016 में भी कुछ सर्वे में कहा गया था कि एआईएडीएमके सत्ता में दुबारा वापसी नहीं करेगी। यह भी माना जाता रहा है कि तमिलनाडु की जनता लगातार किसी दल को नहीं जीताती। किसी ने भी नहीं कहा कि एआईडीएमके की सत्ता वापसी होगी लेकिन जयललिता की सत्ता में वापसी हुई। समय परिवर्तन मांगता है और चुनावी पैटर्न भी इसी के साथ बदलते रहते हैं।

6- शशिकला ने राजनीति से सन्यास की घोषणा की है। उन्होंने एआईएडीएमके कैडर को सत्ताधारी दल को दूसरे कार्यकाल के लिए वोट की अपील की है। इससे पार्टी को कितना फायदा होगा, आपकी क्या राय है?

मैं नहीं जानती कि इसका कितना फायदा होने वाला है लेकिन इतना कहूंगी कि यह एक बढ़िया और स्मार्ट डिसिजन वीके शशिकला का है। देखिए, एएमएमके या एआईएडीएमके का कोई व्यक्ति या एनडीए का कोई साथी यह चाहेगा कि फिर से प्रदेश को लूटने वाली डीएमके-कांग्रेस गठबंधन को सत्ता न मिले। और इसी लिए शशिकला ने कहा कि वह नहीं चाहती कि एआईएडीएमके में टूट पड़े, मतों का बंटवारा हो जिसका फायदा डीएमके-कांग्रेस को हो। इसलिए उन्होंने राजनीति से सन्यास लिया और अपने लोगों को एआईएडीएमके का समर्थन करने को कहा। मैं उनके इस निर्णय का स्वागत करती हूं...यह एक बेहद शानदार निर्णय था।

7- किन मुद्दों पर बीजेपी तमिलनाडु में चुनाव मैदान में है?

हम पूरे देश में क्या क्या कार्य किए हैं उसको प्राथमिकता से बता रहे हैं। तमिलनाडु को सबसे अधिक लाभ केंद्र सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से हुआ है। हम एक पारदर्शी सरकार हैं जो जनता के हितों के लिए लगातार काम कर रही है। हमने शिक्षा के क्षेत्र में, महिलाओं के लिए, किसानों के लिए योजनाएं चलाई। जनधन योजना का लाभ मिला, उज्जवला योजना जैसी योजनाएं लोगों तक पहुंचाई। मत्स्य, मेट्रो, एनएच से तमिलनाडु को समृद्ध किया। बंगलुरु में बीजेपी सरकार है तो चार विश्वविद्यालय बने जबकि तमिलनाडु में एआईएडीएमके सरकार ने छह साल में 11 विश्वविद्यालयों को बनवाया। हम शिक्षा व महिलाओं की सुरक्षा को लेकर खासा काम कर रहे हैं। हमने जो किया है उसी के आधार पर वोट मांग रहे हैं।

8- एक राष्ट्रीय पार्टी बीजेपी का एक क्षेत्रीय दल एआईएडीएमके के अधीन काम करना कितना आसान है?

हम हमेशा से इस रुप में काम कर रहे हैं कि यह एनडीए गठबंधन है। तमिलनाडु में हम सबसे बड़ी पार्टी होंगे और एआईएडीएमके सबसे बड़ी घटक। यह किसी के अधीन काम करने की बात नहीं बल्कि यह एक विचारधारा की बात है जिसके तहत सब जुड़े हैं और राज्य में गुड गवर्नेंस लागू कर तमिलनाडु के लोगों की बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं।

9- वरिष्ठ भाजपा नेता सीटी रवि ने एशियानेट से बातचीत में कहा है कि अन्य चुनावों की तरह इस बार चुनावी समीकरण में कोई व्यक्तित्व या चेहरा नहीं है। इस पर आपकी क्या राय है?

जी हां, तमिलनाडु के चुनावी इतिहास में हम पहला चुनाव लड़ने जा रहे हैं जब यहां जयललिता जैसा कोई बड़ा चेहरा नहीं है। पहली बार यह चुनाव सबसे बड़े नेता एम.करुणानिधि के बिना हो रहा है। यह चुनाव स्टालिन के लिए लिटमस टेस्ट तो होगा ही ई.पलानीसामी के लिए भी साबित होने जा रहा है। मेरा मानना है कि स्टालिन अपने पिता के कद से काफी बौने साबित होने जा रहे हैं। वह उनके आसपास कहीं भी नहीं ठहर सकते हैं।

पलानीसामी के मामले में देखे तो लोग इस उलझन में हैं कि वह खुद को किस तरह साबित करते हैं। क्या वह अपनी अलग पहचान बना पाएंगे। चार साल के उनके कार्यकाल को अगर देखेंगे तो उन्होंने अप्रत्याशित रुप से बढ़ोतरी दर्ज किया है।


मेरा मानना है कि पलानीसामी ने खुद को बेहतर साबित किया है। उन्होंने साबित किया है कि वह अपने बल पर राज्य को विकास की तेज गति दे सकते हैं। उनके कार्यकाल में एक भी घोटाला नहीं हुआ। हालांकि, विपक्ष का काम ही है कि वह सरकार पर घोटाला व राज्य को बर्बाद किए जाने का आरोप सरकार पर लगाए। यह विपक्ष का लोकतांत्रिक अधिकार है कि वह आरोप लगाए लेकिन उसको साबित भी करना चाहिए। अगर इस सूरत में माने तो हमारे मुख्यमंत्री विपक्ष के लीडर स्टालिन से मीलों आगे हैं।

10- बीजेपी तमिलनाडु में जमीन कैसे तैयार की है। कितने सीटों पर बीजेपी इस बार बेहतर करने जा रही है?

देखिए, हम लोग लालची नहीं है। हम लोगों ने एआईएडीएमके को 35 से 40 सीटें मांगी है। हमको 20 सीटें मिली है। हम लोग खुश हैं और इन 20 सीटों को कैसे जीतें इसी पर फोकस कर रहे हैं। हम इसके लिए कड़ी मेहनत करने में लगे हैं।

11- कुछ मुस्लिम लीडर बीजेपी के खिलाफ वोट करने के लिए लोगों में जाएंगे। साथ ही आपकी निजी जिंदगी को भी चुनावी चर्चा में ला सकते हैं, वोट काटने के लिए। ऐसे लोगों के लिए आप क्या कहेंगी?

राजनीति में संप्रदायिक कार्ड खेला जाना बंद होना चाहिए। धर्म को राजनीति में चुनाव के दौरान घसीटना बंद होना चाहिए। बीजेपी ने कब कहा है कि वह मुस्लिमों के खिलाफ है। बीजेपी को सिर्फ हिंदुत्व वाली पार्टी के नजरिए से देखने व कहने वालों से पूछना चाहूंगी कि जब 2019 में नरेंद्र मोदी अपने 300 सांसदों के साथ जीतकर दुबारा पहुंचे तो क्या सिर्फ हिंदू वोटों से जीतकर प्रधानमंत्री बने थे। बीजेपी ने मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ दिलाया। तीन तलाक व शाहबानो के केस में कांग्रेस ने महिलाओं के अधिकारों को छीन लिया था। राजीव गांधी तक कांग्रेस के मुखिया थे। यहां प्रधाानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सांप्रदायिक कार्ड खेलने का आरोप सिर्फ इसलिए लगता है कि उन्होंने तीन तलाक को खत्म किया और महिलाओं को उनका अधिकार दिलाया।


उत्तर प्रदेश में मुस्लिम समाज के लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मंदिर बनवाया। एक मस्लिम परिवार जो कि यूपी का रहने वाला है उसने अपने बच्चे का नाम नरेंद्र दामोदारदास मोदी रखा। यह लोगों का प्रेम है हमारे प्रधानमंत्री के प्रति लेकिन विपक्ष हमेशा उनकी छवि को मुस्लिम विरोधी बताकर लोगों को भड़काने का काम करता रहा है। कोई यह बता दे कि पिछले छह साल में कितने मुसलमान देश से बाहर फेंक दिए गए।

12- कांग्रेस में चल रही अंदरुनी उठापटक और जी-23 के नेताओं के रुख पर आपकी क्या राय है?

अब तो लोग समझ चुके हैं ना कि क्यों कांग्रेस को लोग छोड़ रहे हैं। अब तो कांग्रेस की आंतरिकत गुटबाजी व कलह भी सामने आ चुकी है। मैं सौभाग्यशाली हूं कि कांग्रेस की गुटबाजी व आंतरिक राजनीति का हिस्सा नहीं रही। जब आप अपने घर को ठीक नहीं रख सकते तो देश को कैसे व्यवस्थित व सही ढंग से रख सकते हैं। जब आप ऐसा नेतृत्व देने में अक्षम हो जिसका पार्टी में ही कोई सम्मान न हो तो कैसे लोगों को यकीन दिलाएंगे कि देश की जनता ऐसे नेतृत्व को स्वीकारे जिसके पास कोई विजन न हो।


कांग्रेस में लीडर कहां हैं। क्या राहुल गांधी कांग्रेस के लीडर हैं। नहीं वह तो कांग्रेस के 51 सांसदों में एक हैं। जब उन्होंने खुद नेतृत्व की जिम्मेदारी लेने से मना कर दिया है तो क्यों उन पर थोपा जा रहा है।
मैं गर्व महसूस कर रही हूं कि कांग्रेस में 23 लीडर तो हैं जो निडर होकर सच्चाई कह सके। लेकिन अफसोस कि कांग्रेस के पास सच को स्वीकार करने की क्षमता नहीं है।

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