सार

एशियानेट न्यूज डॉयलाग में इस बार हमारे साथ हैं रिटायर्ड एयर वाइस मार्शल बीके मुरली (Ret. Air Vice Marshal BK Murali) जिन्होंने पाक अधिकृत  कश्मीर (POK) के मुद्द पर अपनी बेबाक राय रखी। एयरवाइस मार्शल बेलिगुंड कृष्णामूर्ति मुरली ने एशियानेट न्यूज के साथ बातचीत में सरकार को कुछ सलाह भी है।
 

Exclusive Interview Retired Air Vice Marshal BK Murali. इन दिनों पाक अधिकृत कश्मीर (POK) को लेकर काफी चर्चा की जा रही है। देश के रक्षा मंत्री ने यह बात कही है कि हम पाक अधिकृत कश्मीर को वापस लेंगे। इतना ही नहीं देश की सेना के उच्चाधिकारी भी यह बातें कहते रहे हैं कि पाक अधिकृत कश्मीर को वापस लिया जाएगा। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या वाकई में यह पॉसिबल है? इस मुद्दे पर एशियानेट न्यूज की प्रतिमा ने रिटायर्ड एयर वाइस मार्शल बीके मुरली से बातचीत की है। आइए जानते हैं कि बीके मुरली ने आखिर इस मुद्दे पर क्या कहा...

क्या है पीओके की हकीकत
रिटायर्ड एयर वाइस मार्शल बीके मूर्ति ने कहा कि मैं न तो रक्षामंत्री की बात का विरोध कर रहा हूं और न ही सरकार के रूख के खिलाफ हूं लेकिन आपको पीओके की सच्चाई भी जरूर जाननी चाहिए। जिसे हम पीओके कहते हैं, उसे आजाद हिंदू कश्मीर भी कहा जाता है इसे हमने 1948 में खो दिया था। बीके मुरली ने कहा कि आजाद हिंदू कश्मीर से हिंदू शब्द विलुप्त हो गया है और उसे आजाद कश्मीर कहा जाता है। यह एरिया 13 हजार वर्ग किलोमीटर से भी ज्यादा है। इसकी राजधानी मुजफ्फराबाद है। इस 13 हजार वर्ग किलोमीटर एरिया में से करीब 5 हजार वर्ग किलोमीटर का एरिया 1963 में पाकिस्तान ने चीन को तोहफे में दे दिया है। इसे सक्षम वैली भी कहा जाता है। हमें यह सझना होगा कि जब हम पाक अधिकृत कश्मीर की बात करते हैं तो क्या हम पूरे 13 हजार वर्ग किमी की बात करते हैं। क्या हम सक्षम वैली को मिलाकर वापसी की बात करते हैं जहां चाइना-पाकिस्तान इकोनामिक कॉरिडोर का काम चल रहा है। 1963 में पाकिस्तान और चीन के बीच समझौता हुआ जिसे ट्रांस काराकोरम एग्रीमेंट कहा जाता है। जहां चीन ने अक्साई चीन से लेकर इस्लामाबाद तक हाईवे बना दिया है। चीन का पूरा ट्रेड इसी के माध्यम से किया जा रहा है। तो जब हम पाक अधिकृत कश्मीर को वापस लेने की बात करते हैं तो हमें क्लीयर करना चाहिए कि आखिर हम वापस क्या लेंगे।

क्या चीन-पाकिस्तान दोनों से पीओके वापस लेंगे
जब पूछा गया कि जब हम पीओके की वापसी चाहेंगे तो हमें चीन और पाकिस्तान दोनों का सामना करना होगा। तो क्या हम इतने मजबूत हैं कि इन दोनों का सामना कर पाएं। इस परी बीके मुरली ने कहा कि 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने पीओके में 11 हजार से ज्यादा पीएलए यानि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी तैनात कर रखी है। जब हम वापसी के लिए जाएंगे तो हमें पाकिस्तानी आर्मी के साथ ही पीएलए का भी सामना करना पड़ेगा। सवाल यह है कि क्या युद्ध की स्थिति में हम दोनों देशों का एक साथ सामना कर पाएंगे। हमारे पहले सीडीएस जनरल विपिन रावत भी 2.5 साइज एनिमि की बात कर चुके हैं। अगर मैं कहूं तो हम दोनों देशों का एक साथ सामना करने में सक्षम नहीं हैं। इसका एक उदाहरण आपको देता हूं। पाकिस्तान की कुल जीडीपी का 3.5 प्रतिशत उनका रक्षा बजट है। चीन की कुल जीडीपी 5.5 प्रतिशत से भी ज्यादा उनका रक्षा बजट है लेकिन भारत की बात करें तो हमारी जीडीपी का सिर्फ 1.8 फीसदी ही हमारा रक्षा बजट है और हम इससे आगे कभी नहीं बढ़ पाए हैं। जब हम सोल्जर्स को सुविधा, हथियार, एयरक्राफ्ट ही नहीं दे पाएंगे तो जंग कैसे जीतेंगे। यह सुनने में बहुत अच्छा लगता है कि आत्मनिर्भर भारत, हमारे पीछे पूरा देश खड़ा है लेकिन जब एक जवान युद्ध में जाता है तो उसे इक्विपमेंट चाहिए न कि इस तरह की फिलासफी या ज्ञान की जरूरत होती है।

75 साल की आजादी और पीओके
जब बीके मुरली से पूछा गया कि आजादी के 75 साल बाद भी हम पीओके को वापस क्यों नहीं ले पाए और क्या अभी भी वहीं मुश्किलें हमारे सामने हैं। इस पर बीके मुरली ने कहा कि आप सही हैं लेकिन जहां तक मैं मानता हूं हम 1948 में ही पीओके को वापस ले चुके होते। तब के प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री को यह सलाह भी दी गई थी लेकिन उन्होंने इसे अनसुना कर दिया। तब मुजफ्फराबाद ही नहीं हमारी सेना गिलगित बलूचिस्तान तक बढ़ सकती थी जहां कि जनता मराठी ओरिएंटेड है। लेकिन तब यह नहीं किया गया। इसके बाद 1962 में हमने अक्साई चीन भी चाइना को सौंप दिया और चाइना पीओके में दाखिल हो गया है। सच कहा जाए तो यह समस्या हमारी अपनी बनाई हुई है और 1963 आते-आते बहुत देर हो गई।

आज की क्या स्थिति बन सकती है
क्या आज भी हम पीओके का कुछ हिस्सा वापस पा सकते हैं। क्या यह संभव है और है तो हमारी सेना को कितना वक्त लगेगा। इस सवाल के जवाब में बीके मुरली ने कहा कि आंकड़ों की बात करें तो मौजूदा हालात में हम दो देशों के सामने सक्षम नहीं हैं। मैं आपको एक उदाहरण देता हूं 1971 में तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने जनरल मानेक शॉ को बुलाया और कहा कि पूर्वी पाकिस्तान में युद्ध के हमें तैयार रहना है। तब जनरल मानेक शॉ ने साफ कहा कि नहीं मैडम अभी हम युद्ध के लिए तैयार नहीं हैं। कोई भी जनरल ऐसा कहने की हिम्मत नहीं करेगा लेकिन मानेक शॉ ने कहा। इसके बाद उन्होंने पहले युद्ध की तैयारी की। बांग्लादेश की मुक्ति वाहिनी सेना को ट्रेंड किया और फिर यह संभव हो पाया। तब इंदिरा गांधी ने रूस से मदद मांगी और रूस ने तमाम मिलिट्री इक्विपमेंट भारत को भेजे। आज की स्थिति में यदि हम युद्ध में जाते हैं और दुनिया से मदद मांगते हैं तो क्या कोई देश है जो हमारी मदद करेगा। मैं तो कहूंगा कि आज दुनिया का एक भी देश हमारा साथ नहीं देगा। इसलिए कोई भी कदम उठाने से पहले हमें खुद से पूरी तैयारी करनी होगी तभी कुछ हो पाएगा।

आजादी के बाद भी आतंकवाद का मुद्दा
आजादी के 75 साल बाद भी हम कश्मीर में आतंकवाद को झेल रहे हैं। इसके बावजूद हम पीओके की बात करते हैं तो क्या यह भारतीयों की सुरक्षा के लिहाज से अच्छा कदम होगा। इस सवाल के जवाब में बीके मुरली ने कहा कि हम पीओके वापस लें या न लें लेकिन आतंकवाद का खतरा बना ही रहेगा। मैं तो कहूंगा कि यह पहले 10 गुना ज्यादा बढ़ चुका है। आपको याद होगा जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया तो उन्होंने सबसे पहले 4000 से ज्यादा कैदियों को काबुल की जेल से आजाद कर दिया। ये कैदी अलकायदा, आईएसआईएस, तहरीके तालिबान से हैं जो एंटी इंडिया कैंपेन के लिए जाने जाते हैं। आपको पता होना चाहिए कि ये सभी इस वक्त पीओके में ही हैं और गजवा ए हिंद का ऐलान कर रहे हैं। उनका दावा है कि आने वाले कुछ वर्षों में वे भारत को मुस्लिम राष्ट्र बना देंगे। इतना ही नहीं इस साल जनवरी से नवंबर तक 100 से ज्यादा बार ड्रोन भारत में भेजे गए। पाकिस्तान के आतंकी संगठन ड्रोन से हथियार, गोला-बारूद, फेक करेंसी और ड्रग्स की सप्लाई भारत में कर रहे हैं। 

पीओके को लेकर दुनिया का क्या रूख रहेगा
यदि हम आज पीओके की बात करते हैं तो दुनिया कैसे रिएक्ट करेगी। क्या दुनिया के देश इस बात से भारत के साथ सहमत होंगे। इस सवाल के जवाब में बीके मुरली ने कहा कि यदि हम ऐसा करते हैं तो हमें सिर्फ यूनाइटेड नेशंस का ही नहीं बल्कि विकसित देशों का भी साथ चाहिए लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध में हमने जिस तरह से रूस का साथ दिया है तो यह तय है कि यूएन ही नहीं अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन जैसे देश हमारा साथ नहीं देंगे। वे हमारे पड़ोसियों के साथ मीलिट्री इंगेजेंट में बिल्कुल भी हमारे साथ नहीं होंगे। हम जिस तरह के जियो पोलिटिकल सिचुएशन में हैं, वैसी स्थिति में इन देशों का समर्थन मिलना बेहद मुश्किल है।

मौजूदा स्थिति में क्या किया जा सकता है
मौजूदा हालात को देखते हुए और अपने अनुभव के आधार पर क्या सजेशन दे सकते हैं। इस पर बीके मुरली ने कहा कि हमें यह क्लीयर समझ लेना चाहिए कि हमारी क्षमता, ताकत और स्ट्रेटजी ऐसी नहीं है कि हम अपने दम पर किसी भी देश के खिलाफ युद्ध छेड़ सकें। हां कोई दूसरा देश हम पर हमला करता है तो हम उसका मजबूती से सामना कर सकते हैं और पलटवार भी कर सकते हैं। हम इसके लिए सक्षम हैं।

सरकार के लिए क्या है संदेश
रिटायर्ड एयरवाइस मार्शल बीके मुरली ने कहा कि हमें अपनी क्षमता बढ़ाने पर जोर देना चाहिए। हमें अपनी सेनाओं को बेहतर हथियार, एयरक्राफ्ट देने का काम करना चाहिए। आत्मनिर्भर भारत ठीक है लेकिन इसके परिणाम 10 साल बाद मिलेंगे। लेकिन हमारी सेना आज कुछ मांगती है तो सरकार को तुरंत उपलब्ध करने के बारे में सोचना चाहिए। हमें कम से कम पड़ोसी मुल्कों के आसपास रक्षा बजट बढ़ाना चाहिए। पहले सुरक्षा फिर विकास से ही सब संभव है। जब हम सुरक्षित ही नहीं रहेंगे तो विकास का कोई मायने नहीं है। सरकार को चाहिए कि जीडीपी का तीन प्रतिशत तक रक्षा बजट हो और हम हर समय युद्ध जैसी स्थिति के लिए तैयार रहे, सक्षम रहें तभी किसी भी तरह के विकास का मतलब है।

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