सार

बिहार में कांग्रेस ने महागठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। इसमें मिली हार के बाद ही कांग्रेस में एक बार फिर बगावती सुर तेज हो गए हैं। कांग्रेस के बड़े नेता ना सिर्फ इस चुनाव में मिली हार के लिए जवाबदेही की मांग कर रहे हैं, बल्कि पार्टी चलाने के तरीके पर भी सवाल उठा रहे हैं। 

नई दिल्ली.  बिहार में कांग्रेस ने महागठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। इसमें मिली हार के बाद ही कांग्रेस में एक बार फिर बगावती सुर तेज हो गए हैं। कांग्रेस के बड़े नेता ना सिर्फ इस चुनाव में मिली हार के लिए जवाबदेही की मांग कर रहे हैं, बल्कि पार्टी चलाने के तरीके पर भी सवाल उठा रहे हैं। 

इसी बीच कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने अपनी लंबी चौड़ी फेसबुक पोस्ट में कपिल सिब्बल के बयान पर जवाब देते हुए कहा, सत्‍ता से बाहर किया जाना सार्वजनिक जीवन में आसानी से स्‍वीकार नहीं किया जा सकता लेकिन यदि यह मूल्‍यों की राजनीति का परिणाम है तो इसके सम्‍मान के साथ स्‍वीकार किया जाना चाहिए....यदि हम सत्‍ता हासिल करने के लिए अपने सिद्धांतों के साथ समझौता करते हैं तो इससे अच्‍छा है कि हम ये सब छोड़ दें। 

सलमान खुर्शीद की इस पोस्ट के बाद हमारे सहयोगी Asianet Newsable के मोहम्मद याकूब ने उनसे बात की। आईए जानते हैं बातचीत की कुछ खास बातें

सवाल- कपिल सिब्बल के बयान- कांग्रेस अब प्रभावी विपक्ष नहीं रही? पर आपका क्या कहना है?
जवाब-
सलमान खुर्शीद ने कहा, मैं कपिल सिब्बल पर प्रतिक्रिया नहीं दे रहा। मेरे अपने विचार हैं, उनके अपने। मैं यह भी नहीं कह रहा कि वे सही हैं या मैं। पार्टी के अपने विचार हैं। कांग्रेस नासमझ पार्टी नहीं है और पार्टी को पता है कि सही समय और उचित तरीके से क्या करना है? हमें पहले ही बताया जा चुका है कि एक बैठक होगी। जो भी कुछ कहना चाह रहा है, वह इस बैठक में अपनी बात रख सकता है, या बैठक में शामिल होने वाले सदस्यों के जरिए अपनी बात पहुंचा सकता है। 

 सवाल- कुछ लोगों का कहना है कि बिहार चुनाव के नतीजे अगले साल होने वाले 5 राज्यों के चुनाव में भी असर डालेंगे, आपका क्या कहना है?
जवाब- देखिए, एक चुनाव कभी भी होता है, वह आने वाले चुनावों पर प्रभाव जरूर डालता है। अगर सिर्फ यही मामला होता तो चुनाव में कभी बदलाव नहीं होता। यह सभी स्थानीय परिस्थियों पर निर्भर करेगा। लेकिन ऐसा नहीं हो सकता।  जब हमने  राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ को जीता था, तो उस चुनाव के बाद भाजपा को हार नहीं मिली। तो आप मुझसे यह सवाल कैसे पूछ सकते हैं कि क्या इस चुनाव का असर होगा। समय आने पर पता चलेगा।

सवाल-क्या अगले 6 महीने में आने वाले चुनाव के मद्देनजर बदलाव पर कोई चर्चा हुई है?
जवाब- मुझे पता नहीं है। लेकिन पार्टी में हर समय मंथन होता रहता है। इसका समय और कार्यक्रम बाहर के लोगों द्वारा तय नहीं किया जाता। पार्टी इसे हर समय करती रहती है। यह अलग-अलग स्तर पर होता है। आखिर में कांग्रेस वर्किंग कमेटी में इस पर मुहर लगती है। मुझे विश्वास है कि इस बार भी ऐसा होगा। हर बार ऐसा होता है। 

सवाल : पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया और टॉम वडक्कन अब, कपिल सिब्बल आंतरिक लोकतंत्र की कमी के बारे में सवाल उठा रहे हैं
जवाब- वैसे मेरी निजी राय ये है कि अगर लोकतंत्र नहीं होता तो मैं कांग्रेस में नहीं होता। जो लोग गए है, उनपर मैं  कैसे टिप्पणी कर सकता हूं? मैं केवल उन लोगों के बारे में बात कर सकता हूं जो यहां हैं। मैं अपने यहां होने के बारे में बात कर सकता हूं, क्योंकि मैं यहां हूं। मेरे पास यहां होने के कारण हैं। मैं नहीं चाहता कि दूसरे यह तय करें कि मैं यहां रहूं या नहीं। 

सवाल: बिहार चुनाव के तुरंत बाद, क्षेत्रीय दलों को लगता है कि अब कांग्रेस के साथ गठबंधन करना फायदेमंद नहीं है। आपका इस बारे में क्या कहना है?
जवाब:
मुझे नहीं पता क्योंकि किसी ने मुझे नहीं बताया कि यह मदद करता है या नहीं। अगर गठबंधन में सभी सहयोगियों द्वारा उपयोगी माना जाता है तो गठबंधन होता है, नहीं तो गठबंधन नहीं होगा। मैं यह अनुमान नहीं लगा सकता कि कौन उसे उपयोगी मानता है और कौन नहीं।