सार
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा इंडियर एयर फोर्स के सुखोई 30 एमकेआई फाइटर जेट को अपग्रेड कर सुपर सुखोई बनाया जा रहा है। इसे एईएसए रडार, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली और हाइपरसोनिक मिसाइल जैसी क्षमताओं से लैस किया जा रहा है।
नई दिल्ली, (रक्षा विश्लेषक गिरीश लिंगन्ना)। पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी देशों की बढ़ती हवाई क्षमताओं को ध्यान में रखकर भारत अपने मुख्य लड़ाकू विमान सुखोई-30 एमकेआई को अपग्रेड कर रहा है। इसे स्वदेशी हथियारों और रडार से से लैस किया जा रहा है। इन अपग्रेड के बाद सुखोई विमान 'सुपर सुखोई' के रूप में सामने आएंगे।
Su-30MKI विमानों को भारत सरकार की कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा किया जा रहा है। इसमें करीब 56,250 करोड़ रुपए खर्च होंगे। रूस के बाहर Su-30MKI विमानों का सबसे बड़ा ऑपरेटर भारत है। लाइसेंस लेकर HAL ने 272 Su-30MKI को बनाया है। 2026 से Su-30MKI को अपग्रेड करने का काम शुरू होगा।
Su-30MKI को अपग्रेड करना है जरूरी
पाकिस्तान और चीन के पास एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे (AESA) रडार तकनीक से लैस लड़ाकू विमान हैं। इसे देखते हुए भारत के लिए भी Su-30MKI फाइटर जेट्स को अपग्रेड करना जरूरी हो गया है। चीन के पास J-20 जैसा पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट है। वहीं, पाकिस्तान ने JF-17 ब्लॉक 3 का इस्तेमाल शुरू किया है। यह J-20 से प्रभावित है। इसके साथ ही पाकिस्तान ने चीन के J-10C लड़ाकू जेट भी खरीदे हैं। इसमें बड़े AESA रडार लगे हैं। चीन ने J-20 लड़ाकू विमान को उत्तरी भारत के एयरबेस पर तैनात किया है।
एयरफ्रेम और इंजन में नहीं होगा बदलाव
पिछले कुछ वर्षों से चीन और भारत के बीच सीमा विवाद को लेकर कई हिंसक झड़प हुए हैं। सीमा पर दोनों ओर से सैनिकों की भारी तैनाती की गई है। इसे देखते हुए भारत अपनी वायुसेना की क्षमता बढ़ाने पर ध्यान दे रहा है। मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि शुरुआती चरण में लगभग 80 से 100 Su-30MKI लड़ाकू विमानों को अपग्रेड किया जाएगा। इसके बाद सभी सुखोई विमानों को अपग्रेड किया जाएगा। अपग्रेड के दौरान Su-30MKI विमान के एयरफ्रेम और इंजन में बदलाव नहीं किया जाएगा।
वर्तमान में भारत के Su-30MKI फाइटर जेट में NPO सैटर्न नाम की रूसी कंपनी द्वारा बनाए गए AL-31 F इंजन लगाए गए हैं। अपग्रेड पहल में लड़ाकू विमानों को बियॉन्ड विजुअल रेंज (बीवीआर) क्षमताओं, आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों और एईएसए रडार से लैस करना शामिल होगा। सुखोई में 'उत्तम' नाम का स्वदेशी AESA रडार लगाया जाएगा। इसे मूल रूप से तेजस Mk1A विमान के लिए विकसित किया जा रहा है।
Su-30MKI में लगाए जाने वाले AESA रडार में बड़े ट्रांसमिट और रिसीव (TR) मॉड्यूल होंगे। इससे विमान की टारगेट और ट्रैकिंग क्षमता बढ़ जाएगी। Su-30MKI को हाइपरसोनिक गाइडेड मिसाइलों और विभिन्न अन्य गाइडेड हथियारों से लैस किया जाएगा। Su-30MKI विमान को एक नए मिशन कंप्यूटर, टचस्क्रीन कॉकपिट डिस्प्ले और एक अपडेट हथियार सिस्टम पैकेज से सुसज्जित किया जाएगा। कार्यक्रम का उद्देश्य सालाना लगभग 25 Su-30MKI विमानों को अपग्रेड करना है। वर्ष 2034 तक सभी विमानों के लिए अपग्रेड पूरा करने का लक्ष्य है।
क्या है AESA रडार?
एईएसए रडार का मतलब 'एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे' रडार है। इसका काम दुश्मन के विमानों, जहाजों और मिसाइलों का पता लगाना और उसपर नजर रखना है। पारंपरिक रडार एक टॉर्च की तरह होते हैं जिन्हें टारगेट को देखने के लिए मैन्युअल रूप से घूमना पड़ता है। एईएसए राडार छोटे फ्लैशलाइटों के एक समूह की तरह हैं। इससे एक साथ अलग-अलग दिशाओं में टारगेट को ट्रैक किया जा सकता है।
पारंपरिक रडार एक समय में एक रडार सिग्नल भेजता है और फिर सिग्नल के वापस लौटने का इंतजार करता है। यह धीमा और कम लचीला होता है। दूसरी ओर एईएसए रडार बहुत सारे छोटे रडार मॉड्यूल का उपयोग करता है जो व्यक्तिगत रूप से सिग्नल भेज और प्राप्त कर सकते हैं। ये मॉड्यूल एक साथ कई क्षेत्रों को स्कैन करने के लिए एक साथ काम कर सकते हैं। इससे तेजी से और अधिक सटीक मिलती है। एईएसए रडार तेज और अधिक कुशल है। इससे एक ही समय में कई टारगेट को ट्रैक किया जा सकता है। यह क्षमता फाइटर जेट के लिए काफी मायने रखती है।