सार
कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन का शुक्रवार को 9वां दिन है। सरकार के साथ शनिवार को होने वाली बैठक से पहले किसानों ने आज बड़ा ऐलान करते हुए 8 दिसंबर को भारत बंद करने की घोषणा की है। उनका कहना है कि अब दिल्ली की बची हुई सड़कों को भी ब्लॉक करेंगे। किसानों की मीटिंग के बाद उनके नेता हरविंदर सिंह लखवाल ने यह जानकारी दी।
नई दिल्ली. कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन का शुक्रवार को 9वां दिन है। सरकार के साथ शनिवार को होने वाली बैठक से पहले किसानों ने आज बड़ा ऐलान करते हुए 8 दिसंबर को भारत बंद करने की घोषणा की है। उनका कहना है कि अब दिल्ली की बची हुई सड़कों को भी ब्लॉक करेंगे। किसानों की मीटिंग के बाद उनके नेता हरविंदर सिंह लखवाल ने यह जानकारी दी। इस बीच सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी लगाई गई है। पिटीशनर ने कहा है कि किसानों को दिल्ली की सीमाओं से तुरंत हटाने के निर्देश दिए जाएं क्योंकि प्रदर्शनकारियों की वजह से कोरोना का खतरा बढ़ सकता है। पिटीशनर के वकील ओम प्रकाश परिहार ने यह जानकारी दी। हालांकि, इस अर्जी पर सुनवाई का दिन तय नहीं हुआ है। किसानों को मिला ममता बनर्जी का साथ...
किसान भाइयों को शु्क्रवार से ममता बनर्जी का भी साथ मिल गया है। ममता बनर्जी ने कई किसान नेताओं से फोन पर बात की है और उनसे कहा कि केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ आपके आंदोलन में तृणमूल पूरी तरह साथ है। इससे पहले गुरुवार को 40 किसान नेताओं और सरकार के बीच बातचीत हुई। 7 घंटे से ज्यादा समय तक बातचीत हुई, लेकिन सरकार आंदोलन खत्म करने के लिए किसानों को नहीं मना सकी। बैठक खत्म होने के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आज की बातचीत बेनतीजा रहने के बाद 5 दिसंबर को दोपहर 2 बजे पांचवें दौर की बातचीत होगी।
दिल्ली पुलिस लगा रही डिवाइडर
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, किसान आंदोलन के 9वें दिन पुलिस किसानों को रोकने के लिए डिवाइडर लगा रही है। ये डिवाइडर दिल्ली के सिंघु बॉर्डर से करीब 200 मीटर आगे दिल्ली की तरफ लगाया जा रहा है।
किसानों को खालिस्तानी कह अपमानित किया जा रहा: हुड्डा
हरियाणा के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा, किसानों का अपमान किया जा रहा है। उन्हें 'खालिस्तानी' और 'कांग्रेसी' कहा जा रहा है। किसान किसान हैं। वे धर्म, जाति और क्षेत्र से ऊपर उठकर अपनी मांगों के साथ यहां आए हैं। वे इस ठंड में यहां हैं।
300 से ज्यादा टॉयलेट, 100 से अधिक टैंकर की व्यवस्था
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा, आज मैंने सिंघु बॉर्डर पर किसानों के लिए की गई व्यवस्थाओं का जायज़ा लिया। बॉर्डर पर 300 से ज्यादा टॉयलेट दिल्ली सरकार ने लगाए हैं, पानी के लिए सौ से अधिक टैंकर और एंबुलेंस की व्यवस्था भी की गई है। सभी व्यवस्थाएं संतोषजनक है। कल कैप्टन साहब दिल्ली आए थे तो ऐसे बिहेव कर रहे थे जैसे BJP के CM हों। कल चुपचाप अमित शाह से मिलकर चले गए किसानों की कोई बात नहीं हुई, बस ये बात हुई कि किसानों के धरने को कैसे तोड़ा जाए। अगर किसानों की मांगें मनवाने की कोई बात हुई होती तो कल फैसला हो जाता।
कैप्टन अमरिंदर भाजपा का बचाव करते हैं: दिल्ली के डिप्टी सीएम
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा, ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश के किसानों की आवाज दबा के केंद्र सरकार और कांग्रेस राजनीति कर रही है। कल कैप्टन अमरिंदर सिंह भाजपा के नेताओं से मिलते हैं, जो कहने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री हैं और भाजपा का बचाव करते हैं। वो (कैप्टन अमरिंदर सिंह) पंजाब के किसानों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बता रहे हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री आज भाजपा के मुख्यमंत्री की तरह व्यवहार कर रहे हैं।
सिंघु बॉर्डर पर किसानों के बीच पहुंचे TMC सांसद
टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन सिंघु बॉर्डर पहुंचे और कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों से मिले। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फोन पर किसानों से बात की और उनका समर्थन किया।
नोएडा से दिल्ली जाने वाले मार्ग पर 4 किलोमीटर जाम
नोएडा के डीएनडी बॉर्डर पर कई किलोमीटर लंबा जाम लग गया है। सैकड़ों की संख्या में गाड़ियों की लाइन लगी हैं। नोएडा से दिल्ली जाने वाले मार्ग पर करीब 4 किलोमीटर से भी लंबा जाम लगा। लोगों को दिल्ली जाने में खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर किसान दोपहर का खाना बनाते हुए
दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर किसान 9 दिन से डटे हुए हैं। वहीं पर वे सभी के लिए खाना तैयार कर रहे हैं। एक किसान ने कहा, कृषि कानून को लेकर हमारी चिंताओं को सुनने में सरकार को 7 महीने लग गए।
शुक्रवार को सिंघु बॉर्डर पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात
किसान और सरकार के बीच चार दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन किसान अपनी मांगों को लेकर अड़े हैं। सरकार उन्हें समझाने में नाकाम साबित हो रही है। इस बीच सिंघु बॉर्डर पर हो रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए बॉर्डर पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किए गए हैं।
आंदोलन की वजह से इन जगहों से न लें दिल्ली में एंट्री
दिल्ली पुलिस ने टिकरी, झारोदा बॉर्डर को पूरी तरह से बंद कर दिया है। वहीं बदुसराय बॉर्डर छोटी गाड़ियों जैसे कार और टू-व्हीलर को लिए खोली गई है। झटीकरा बॉर्डर को सिर्फ टू-व्हीलर के लिए खोला गया है।
आंदोलन के समर्थन में 35 खिलाड़ी शनिवार को करेंगे अवार्ड वापसी
किसान आंदोलन के समर्थन में अब अवॉर्ड वापसी के लिए देश के खिलाड़ी आगे आने लगे हैं। पूर्व हॉकी कप्तान परगट सिंह समेत पंजाब के 35 खिलाड़ियों ने 5 दिसंबर को राष्ट्रपति से मिलकर अपना पद्मश्री, द्रोणाचार्य और अर्जुन अवॉर्ड वापस करने का ऐलान किय है। बता दें कि पंजाब के पूर्व CM प्रकाश सिंह बादल ने सबसे पहले 'पद्म विभूषण' सम्मान लौटाने का ऐलान कर अवार्ड वापसी की शुरुआत की। उन्होंने ऐसा किसान आंदोलन के समर्थन में किया। प्रकाश सिंह बादल पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री हैं एवं शिरोमणी अकाली दल के प्रमुख हैं। बादल के ऐलान के कुछ देर बाद ही शिरोमणि अकाली दल (डेमोक्रेटिक) के प्रमुख और राज्यसभा सांसद सुखदेव सिंह ढींडसा (फाइल फोटो) ने कृषि कानूनों के विरोध में पद्म भूषण लौटाने की घोषणा की।
मीटिंग के बाद कृषि मंत्री ने कहा- एमएसपी में कोई बदलाव नहीं होगा
कृषि मंत्री ने MSP को लेकर भी किसानों को भरोसा दिया। उन्होंने कहा कि MSP में कोई बदलाव नहीं होगा। ये जारी है और आगे भी जारी रहेगा। नरेंद्र सिंह तोमर ने ये भी कहा कि सरकार छोटे किसानों की जमीन के डर को दूर करने के लिए तैयार है। बिल में कानूनी संरक्षण पहले से है। उन्होंने कहा कि किसी भी विवाद को हल करने के लिए नए बिल में एसडीएम कोर्ट का प्रावधान है, लेकिन किसान इन मामलों को जिला अदालत में ले जाने के लिए कह रहे थे। सरकार इस मुद्दे पर भी चर्चा करने के लिए तैयार है।
किसानों ने नहीं खाया सरकार का खाना, बाहर से मंगवाया लंच
बातचीत के बीच थोड़ी देर के लिए ब्रेक हुआ। इस दौरान सरकार की तरफ से खाना दिया गया, लेकिन किसानों ने खाना खाने से मना कर दिया। उन्होंने बाहर से खुद के लिए खाना मगंवाया। इससे पहले की बैठक में मंत्रियों की तरफ से चाय ऑफर की गई तो उन्होंने मना कर दिया और कहा कि आप धरनास्थल पर आईए हम जलेबी खिलाएंगे।
3 कानून कौन से हैं, जिसका किसान विरोध कर रहे हैं
1- किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020 (The Farmers Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Bill 2020)
अभी क्या व्यवस्था- किसानों के पास फसल बेचने के ज्यादा विकल्प नहीं है। किसानों को एपीएमसी यानी कृषि उपज विपणन समितियों में फसल बेचनी होती है। इसके लिए जरूरी है कि फसल रजिस्टर्ड लाइसेंसी या राज्य सरकार को ही फसल बेच सकते हैं। दूसरे राज्यों में या ई-ट्रेडिंग में फसल नहीं बेच सकते हैं।
नए कानून से क्या फायदा-
1- नए कानून में किसानों को फसल बेचने में सहूलियत मिलेगी। वह कहीं पर भी अपना अनाज बेच सकेंगे।
2- राज्यों के एपीएमसी के दायरे से बाहर भी अनाज बेच सकेंगे।
3- इलेक्ट्रॉनिग ट्रेडिंग से भी फसल बेच सकेंगे।
4- किसानों की मार्केटिंग लागत बचेगी।
5- जिन राज्यों में अच्छी कीमत मिल रही है वहां भी किसाने फसल बेच सकते हैं।
6- जिन राज्यों में अनाज की कमी है वहां भी किसानों को फसल की अच्छी कीमत मिल जाएगी।
2- किसानों (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) का मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 (The Farmers (Empowerment and Protection) Agreement of Price Assurance and Farm Services Bill 2020)
अभी क्या व्यवस्था है- यह कानून किसानों की कमाई पर केंद्रित है। अभी किसानों की कमाई मानसून और बाजार पर निर्भर है। इसमें रिस्क बहुत ज्यादा है। उन्हें मेहनत के हिसाब से रिटर्न नहीं मिलता।
नए कानून से क्या फायदा-
1- नए कानून में किसान एग्री बिजनेस करने वाली कंपनियों, प्रोसेसर्स, होलसेलर्स, एक्सपोर्टर्स और बड़े रिटेलर्स से एग्रीमेंट कर आपस में तय कीमत में फसल बेच सकेंगे।
2- किसानों की मार्केटिंग की लागत बचेगी।
3- दलाल खत्म हो जाएंगे।
4- किसानों को फसल का उचित मूल्य मिलेगा।
5- लिखित एग्रीमेंट में सप्लाई, ग्रेड, कीमत से संबंधित नियम और शर्तें होंगी।
6- अगर फसल की कीमत कम होती है, तो भी एग्रीमेंट के तहत किसानों को गारंटेड कीमत मिलेगी।
3- आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 (The Essential Commodities (Amendment) Bill
अभी क्या व्यवस्था है- अभी कोल्ड स्टोरेज, गोदामों और प्रोसेसिंग और एक्सपोर्ट में निवेश कम होने से किसानों को लाभ नहीं मिल पाता। अच्छी फसल होने पर किसानों को नुकसान ही होता है। फसल जल्दी सड़ने लगती है।
नए कानून से क्या फायदा-
1- नई व्यवस्था में कोल्ड स्टोरेज और फूड सप्लाई से मदद मिलेगी जो कीमतों की स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलेगी।
2- स्टॉक लिमिट तभी लागू होगी, जब सब्जियों की कीमतें दोगुनी हो जाएंगी।
3- अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेलों, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाया गया है।
4- युद्ध, प्राकृतिक आपदा, कीमतों में असाधारण वृद्धि और अन्य परिस्थितियों में केंद्र सरकार नियंत्रण अपने हाथ में ले लेगी।