सार

दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र से पूछा है कि लोकसेवा परीक्षा में 1996 से दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिये रिक्तियों की सही संख्या क्या है? न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह 1996 के बाद से दिव्यांगों के लिये छूटी (बैकलॉग) रिक्तियों, खास तौर पर दृष्टिबाधितों के संदर्भ में विवरण प्रस्तुत करे।

नई दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र से पूछा है कि लोकसेवा परीक्षा में 1996 से दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिये रिक्तियों की सही संख्या क्या है? न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह 1996 के बाद से दिव्यांगों के लिये छूटी (बैकलॉग) रिक्तियों, खास तौर पर दृष्टिबाधितों के संदर्भ में विवरण प्रस्तुत करे। पीठ ने कुछ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया जिनमें संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा आयोजित कराई जाने वाली लोक सेवा परीक्षाओं में दृष्टि बाधित व्यक्तियों के लिये रिक्तियों में कथित गड़बड़ियों का आरोप लगाया गया था।

अदालत ने रिक्तियों की सटीक संख्या के बारे में दो विवरण मिलने के बाद यह निर्देश जारी किये। एक विवरण याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील रजनीश कुमार झा द्वारा सूचना के अधिकार के तहत हासिल किया गया था जबकि दूसरा कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा दायर किया गया था। अदालत इस मामले में अगली सुनवाई पांच नवंबर को करेगी।

(यह खबर न्यूज एजेंसी पीटीआई भाषा की है। एशियानेट हिंदी की टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)