सार

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में रविवार को सुबह से शुरू हुई बारिश ने आम जनमानस का जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया। 

बलरामपुर: उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में रविवार को भोर से शुरू हुई बारिश से आम जनमानस का जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया। करीब 12 घंटे लगातार हुई मूसलाधार बारिश से जहां तराई क्षेत्र के गांव में पहाड़ी नाले उफना गए तो वही जिला मुख्यालय से जुड़ने वाली तमाम सड़कों पर पानी चलने लगा। जिले के शहरी क्षेत्र में भी बाढ़ जैसे हालात हो गए। लोगों के घरों तक में पानी घुस गया है। बारिश बंद होने के बाद शहर के हालात तो ठीक हो गए लेकिन तराई क्षेत्र के गांव में बाढ़ के पानी में कहीं एम्बुलेंस फस गई तो कहीं रेलवे ट्रैक की कट गया। ग्रामीणों के इलाज के लिए गई मेडिकल टीम भी बाढ़ में फस गई। पुलिस व प्रशासन ने एसडीआरएफ की मदद से लोगों के राहत व बचाव कार्य में जुट गई है।

 

पहला मामला 

ग्राम कौवापुर लक्ष्मणपुर के पास का है जहां पहाड़ी नाले से आए पानी से रेलवे ट्रैक के नीचे की मिट्टी कट गई। जिससे पूरे पूर्वोत्तर रेलवे विभाग में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में ट्रेनों का संचालन बंद कर दिया गया। गोंडा गोरखपुर इंटरसिटी को लखनऊ से लौटते समय ही गोंडा में रोक दिया गया। शाम करीब 7:12 पर इंटरसिटी को गोंडा में ही रोकने का आदेश जारी किया गया। जो देर रात तक गोंडा में ही खड़ी रही और हजारों यात्री परेशान रहे। वहीं हमसफर ट्रेन को चिल्हिया के पास रोका गया जिले के तुलसीपुर स्टेशन पर भी कई ट्रेनों को रोका गया। सूचना के बाद हरकत में आए जीआरपी व गोंडा रेलवे विभाग ने अफसरों को भेजकर ट्रैक की मरम्मत का काम शाम को ही शुरू करा दिया जो देर रात होते-होते किसी तरह रेलवे मार्ग को सुचारू रूप से चालू किया जा सका। 

 

दूसरा मामला 

गांव में लोगों का इलाज करने गई मेडिकल टीम MMU (मोबाइल मेडिकल यूनिट) से जुड़ा है यहां सरकार द्वारा दी गई स्पेशल सुविधा जिसमे एक डॉक्टर, टेक्नीशियन, पैथोलोजिस्ट सहित कुल मिलाकर 5 लोगों की टीम होती है और आपके घर जाकर लोगों का इलाज करती है। वह ललिया के पास एक डिप में फंस गई। पानी का बहाव इतना ज्यादा था कि लोगों को एंबुलेंस से निकलकर एंबुलेंस की छत पर शरण लेनी पड़ी। इसमे दोनों तरफ 1 किलोमीटर तक पानी ही पानी था। किसी तरह यूनिट ने इसकी सूचना अपने उच्चाधिकारियों को दी। जिसके बाद पुलिस व प्रशासन हरकत में आया और SDRF की टीम के साथ राहत व बचाव के लिए रवाना हो गए। मध्य रात्रि में उन्हें कड़ी मशक्कत के बाद बचाया जा सका। फिलहाल एम्बुलेंस को निकाला नहीं जा सका है।

 

तीसरा मामला 

जिले के तराई क्षेत्र से जुड़ा है यहां मकुंनहवा गांव के पूर्व ग्राम प्रधान चेतराम वर्मा अपने चार साथियों के साथ ट्रैक्टर से ललिया मार्ग पर बने एक डिप को पार करने का प्रयास कर रहे थे। गहराई का अंदाजा न लग पाने के कारण पांचों लोग बाढ़ के पानी में बह गए। जिनमें चार को तैरना आता था वो ग्रामीणों की मदद से किसी तरह बाहर निकल आए। जबकि पूर्व ग्राम प्रधान चेतराम वर्मा अभी भी लापता हैं। जिनकी तलाश में एसडीआरएफ समेत पुलिस व प्रशासन की टीमें लगी हुई है। घंटों की तलाश के बावजूद भी पुलिस प्रशासन को कोई भी सफलता हाथ नहीं लगी है।

 

चौथा मामला

मामला शहर से जुड़ा है जहां नगर पालिका परिषद बलरामपुर मानसून से पहले पूरी मुस्तैदी का दावा करता नहीं तक रहा था। वहीं महज 12 घंटों की बरसात में ही उसके सारे दावे खोखले साबित हो गए। शहर की सड़कों पर ड्रेनेज व्यवस्था ना होने के कारण जहां-तहां जलभराव हो गया। शहर के पानी को निकालने वाले नाले भठे पड़े थे। जबकि जिलाधिकारी सहित तमाम अधिकारियों ने आदेश दिया था कि मानसून से पहले सफाई जाए। जिससे शहर के लोगो को बाढ़ की समस्या से जूझना न पड़े लेकिन नगरपालिका के अधिशासी अधिकारी नगर पालिका अध्यक्ष के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। मानसून का इंतजार करते रहे मानसून की पहली बारिश से ही शहर के हालात बिगड़ गए। सड़क तो सड़क लोगों के घरों तक में पानी घुस गया। लोग बताते हैं कि सालों पहले आई बाढ़ में भी ऐसा कभी नहीं हुआ था, कि हमारे घर में ऊंचाई के स्थानों तक पानी पहुंचे, लेकिन इस बार नगर पालिका की व्यवस्था इतनी खराब थी कि नालियों का पानी जो नाले में जाना चाहिए था वह लोगों के घरों में वापस आ रहा था। नगर पालिका अध्यक्ष की लापरवाही की खासी निंदा सोशल मीडिया पर भी देखने को मिली जहां लोगों ने अपनी भड़ास जमकर निकाली है।

 

मुख्यालय से टूट गया तराई व तुलसीपुर सम्पर्क

जिले में रविवार को हुई करीब 12 घंटे लगातार बारिश से बलरामपुर तुलसीपुर बौद्ध परिपथ मार्ग करीब आधा दर्जन पुलों का निर्माण चल रहा है। जिनके लिए बाईपास व कच्चे रास्तों की व्यवस्था की गई थी कच्चे रास्तों पर आब बारिश व पहाड़ी नालों का पानी जमा हो गया है। जिससे बलरामपुर तुलसीपुर का संपर्क मार्ग बंद हो चुका है। इस पर यातायात के साधनों को प्रशासन द्वारा आने-जाने पर रोक लगा दी गई है। वहीं तराई क्षेत्र की बात करें तो ललिया मार्ग पर भी जगह-जगह जलभराव जैसी स्थिति है। तमाम ऐसे स्थान है जहां से वाहनों को गुजरने से प्रशासन द्वारा रोक दिया गया है। लिहाजा जिले से अब तराई क्षेत्र के लोगों व तुलसीपुर क्षेत्र के लोगों का संपर्क पूर्णतया टूट गया है।