सार
UN security council permanent seat: ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट की मांग के साथ वैश्विक संस्थाओं में सुधार और न्यायसंगत ग्लोबल ऑर्डर पर जोर दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के संदेश को दोहराया कि यह युद्ध का युग नहीं है। वैश्विक विवादों को बातचीत और कूटनीति के माध्यम से हल किया जाना चाहिए।
रूस के कज़ान में 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में डॉ. जयशंकर ने कहा: ब्रिक्स इस बात का गवाह है कि पुरानी व्यवस्था कितनी गहराई से बदल रही है। लेकिन अतीत की कई असमानताएं भी जारी है। यह नया शेप ले रहा है। हम इसे डेवलेपमेंटल रिसोर्सस और मार्डन टेक्नोलॉजी व दक्षताओं तक पहुंच बना रहे हैं। हमें यह भी स्वीकार करना चाहिए कि ग्लोबलाइजेशन के लाभ बहुत असमान रहे हैं। इन सबके अलावा, कोविड महामारी और संघर्षों ने ग्लोबल साउथ के बोझ को और बढ़ा दिया है। हेल्थ, फूड और फ्यूल सिक्योरिटी की चिंताएं विशेष रूप से गंभीर बनी हुई हैं।
भारत को अगर सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट मिल गई तो क्या होगा बदलाव?
- भारत को अगर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सीट मिलती है तो ग्लोबल गवर्नेंस और रीजनल डायनेमिक्स में कई महत्वपूर्ण चेंज हो सकते हैं।
- वैश्विक प्रभाव बढ़ेगा और प्रभावी ढंग से निर्णय लेने की शक्ति होगी। स्थायी सदस्य के रूप में भारत को इंटरनेशनल इशूज़ में प्रभावी ढंग से उठाने और निर्णय में शामिल होने का मौका मिलेगा। वह वैश्विक शांति और सुरक्षा से संबंधित प्रमुख निर्णयों को प्रभावित कर सकेगा। इसमें आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर कार्रवाई शुरू करने की क्षमता शामिल है। भारत की विश्व मंच पर इसकी वैधता बढ़ेगी।
- चीन के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए भारत एक प्रमुख शक्ति बनकर उभरेगा। सुरक्षा परिषद में स्थायी तौर पर इसका शामिल होना अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में चीन के बढ़ते प्रभाव को बैलेंस करेगा। विशेष रूप से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में यह प्रभावी होगा।
- वीटो पावर के साथ, भारत चीन और उसके सहयोगी पाकिस्तान के बारे में अपनी रणनीतिक चिंताओं को संबोधित करने के लिए बेहतर स्थिति में होगा। संभावित रूप से पाकिस्तान को आतंकवाद का प्रायोजक राज्य घोषित करने में सफल होने के लिए उसके खिलाफ प्रतिबंधों की वकालत भी कर सकेगा।
- सुरक्षा परिषद में भारत अगर स्थायी सदस्य बन जाता है तो आतंकवाद के खिलाफ मजबूती से पहल कर सकेगा। क्षेत्रीय संतुलन के लिए मजबूती से अपनी बात रख सकेगा जिससे क्षेत्रीय स्थिरता हो सके।
- सुरक्षा परिषद में भारत के शामिल होने के बाद वह विकासशील देशों के हितों की वकालत कर सकेगा। वह आर्थिक असमानता और विकास चुनौतियों को भी बेहतर ढंग से हैंडल कर सकेगा।
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