सार
भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला (Harsh Vardhan Shringla) 17 फरवरी को रूस की दो दिवसीय यात्रा पर जा रहे हैं। वहां वे रूस के विदेश सचिव इगोर मोरगुलोव (Igor Morgulobv) से कई कूटनीतिक पहलुओं पर वार्ता करेंगे।
नेशनल डेस्क। भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला (Harsh Vardhan Shringla) 17 फरवरी को रूस की दो दिवसीय यात्रा पर जा रहे हैं। वहां वे रूस के विदेश सचिव इगोर मोरगुलोव (Igor Morgulobv) से कई कूटनीतिक पहलुओं पर वार्ता करेंगे। विदेश सचिव की इस यात्रा को बेहद अहम माना जा रहा है। कोविड-19 महामारी (Covid-19 Pandemic) के बाद भारत के विदेश सचिव की इस रूस यात्रा पर दोनों देशों के बीच कई क्षेत्रों में बढ़ते सहयोग के लिहाज से दुनिया भर की नजर है। बता दें कि हाल के वर्षों में रूस भारत के एक बड़े कूटनीतिक सहयोगी के तौर पर सामने आया है। रक्षा से लेकर कई मामलों में दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ता गया है।
क्या कहा रूस में भारत के राजदूत ने
इस मौके पर रूस में भारत के राजदूत वेंकटेश वर्मा (Venkatesh Varma) ने एक वीडियो मैसेज में कहा है कि रूस के साथ हमारे कूटनीतिक संबंध के कई पहलू हैं। उन्होंने कहा कि विदेश सचिव की रूस यात्रा से दोनों देशों के बीच कई क्षेत्रों में सहयोग और भी बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि सितंबर 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मौदी ने रूस के व्लाडिवोस्टक (Vladivostok) की यात्रा की थी, जिससे दोनों देशों के संबंधों में मजबूती आई थी।
मॉस्को में उत्सुकता का माहौल
भारत के विदेश सचिव की रूस यात्रा को लेकर मॉस्को में उत्सुकता का माहैल बना हुआ है। कोविड-19 महामारी को लेकर वैक्सीन और दूसरे क्षेत्रों में रूस का सहयोग मिल सकता है। रूस में भारत के राजदूत वेंकटेश वर्मा ने कहा कि भारत और रूस मिल कर अंतरराष्ट्रीय संबंधों को बेहतर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण काम कर सकते हैं, जो आज बहुत ही जटिल बनते जा रहे हैं। बता दें कि 2021 में भारत के विदेश सचिव की यह पहली विदेश यात्रा है।
रक्षा मामलों में सहयोग के लिए अहम
कोविड-19 महामारी के बीच, भारत के विदेश सचिव की रूस की यह यात्रा रक्षा मामलों के लिए बेहद अहम है। इसे एस-400 मिसाइल सिस्टम (S-400 Missile System) के सौदे के लिहाज से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली के सेंटर फॉर इंटरनेशनल पॉलिटिक्स के प्रोफेसर स्वर्ण सिंह ने कहा कि इस साल के आखिर में आयोजित होने वाले भारत-रूस समिट के लिहाज से भी विदेश सचिव की यह यात्रा अहम है। इस समिट में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) भागीदारी करेंगे।
एस-400 मिसाइल सि्स्टम और सीएएटीएसए
साल 2018 में भारत ने रूस के साथ एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम के लिए 5 बिलियन डॉलर की डील की थी। 2019 में भारत ने इस सिस्टम के लिए रूस को 800 मिलियन डॉलर का पेमेंट किया गया। एस-400 मिसाइल सि्स्टम को जमीन से हवा में मार करने वाले मिसाइल सिस्टम में सबसे आधुनिक माना जाता है। यह अमेरिका के पैट्रियट मिसाइल सिस्टम (Patriot Missile System) से जरा भी कम नहीं है। पिछले साल अमेरिका के राष्ट्रपति रहे डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) ने काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंकशन्स एक्ट (CAATSA) के जरिए तुर्की पर रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम की खरीद में रोड़े अटकाने की कोशिश की थी। अमेरिका 2016 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में रूस की कथित भूमिका से नाराज था और उसे दंड देना चाहता था।
क्या कहा था अमेरिका ने
अमेरिका ने भारत से कहा था कि वह रूस से मिसाइल की हुई डील को रद्द कर दे और वह उसे आधुनिकतम तकनीक वाली डिफेंस टेक्नोलॉजी मुहैया कराएगा। ट्रम्प प्रशासन ने इस डील का विरोध करते हुए भारत पर प्रतिबंध लगाने की भी धमकी दी थी। अमेरिका ने भारत और रूस के संबंधों पर संदेह जताया था। भारत ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि वह संप्रभु देश है और उसकी अपनी स्वतंत्र विदेश नीति है। भारत ने कहा था कि रूस के साथ उसके परंपरागत मजबूत कूटनीतिक संबंध रहे हैं और दोनों देशों के बीच सहयोग का लंबा इतिहास है। भारत ने कड़ाई से अमेरका की इस दखलंदाजी का विरोध किया था। इसके बाद ट्रम्प प्रशासन ने अपने कदम वापस खींच लिए थे। बहरहाल, भारत के विदेश सचिव की इस रूस यात्रा से दोनों देशों के बीच संबंध और भी मजबूत होने की उम्मीद जताई जा रही है।