अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रहे जसवंत सिंह का रविवार को निधन हो गया। उन्होंने 82 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। बताया जा रहा है कि वो लंबे समय से बीमार थे। उनके निधन से राजस्थान में शोक की लहर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने उनके निधन पर दुख जताया है।

नई दिल्ली. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रहे जसवंत सिंह का रविवार को निधन हो गया। उन्होंने 82 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। बताया जा रहा है कि वो लंबे समय से बीमार थे। उनके निधन से राजस्थान में शोक की लहर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने उनके निधन पर दुख जताया है। पीएम ने ट्वीट कर कहा कि उन्हें अलग तरह की राजनीति के लिए याद किया जाएगा। 

अपडेट्स

- कंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने जसवंत सिंह के निधन पर दुख व्यक्त किया और कहा, 'वो रक्षा के एक्सपर्ट थे और हमें उनके जाने का दुख है।'

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- रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने जसवंत सिंह के परिवार से मुलाकात की। 

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जताया दुख 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, 'जसवंत सिंह को राजनीति और समाज को लेकर अपने अलग तरह के नजरिए के लिए हमेशा याद किया जाएगा। भाजपा को मजबूत करने में भी उनका खासा योगदान रहा। मैं उनके साथ हुई चर्चाओं को हमेशा याद रखूंगा। उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करता हूं। ओम शांति'

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राजनाथ सिंह ने जताया दुख 

इसके साथ ही रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी जसवंत सिंह के निधन पर दुख व्यक्त किया और ट्वीट कर लिखा, 'श्री जसवंत सिंह जी को राष्ट्र के लिए उनके द्वारा किए गए काम को लेकर याद किया जाएगा। राजस्थान में बीजेपी की मजबूत बनाने में भी उनका अहम योगदान रहा। उनके परिवार को मेरी ओर से संवेदनाएं। ओम शांति।'

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राजस्थान के बाड़मेर से रखते थे ताल्लुक 

जसवंत सिंह को देश के कद्दावर नेताओं में से एक माना जाता था। वो राजस्थान से ताल्लुक रखते थे। उनका जन्म 3 जनवरी, 1938 को राजस्थान के बाड़मेर जिले के जसोल गांव में ठाकुर सरदारा सिंह और कुंवर बाईसा के घर हुआ था। जसवंत सिंह की पत्नी का नाम शीतल कंवर है। उनके दो पुत्र हैं। बड़ा बेटा मानवेंद्र सिंह बाड़मेर से पूर्व सांसद रह चुका है। जसवंत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता थे और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में 1998 से 2004 के बीच वित्त, रक्षा और विदेश जैसे अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली। वह 2004 से 2009 तक राज्यसभा में विपक्ष के नेता भी रहे। इतना ही नहीं। 1998 से 1999 तक योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी रहे। जसवंत सिंह को उनके कड़े विचारों के लिए भी जाना जाता था।