सार
भारत में कोरोना वायरस के अब तक 1 करोड़ से ज्यादा केस सामने आ चुके हैं। वहीं, 1.5 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। इसी बीच कोरोना से जंग में भारत को रविवार को बड़ी जीत मिली है। दरअसल, ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया यानी DCGI ने सीरम इंस्टिट्यूट और भारत बायोटेक की वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है।
नई दिल्ली. भारत में कोरोना वायरस के अब तक 1 करोड़ से ज्यादा केस सामने आ चुके हैं। वहीं, 1.5 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। इसी बीच कोरोना से जंग में भारत को रविवार को बड़ी जीत मिली है। दरअसल, ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया यानी DCGI ने सीरम इंस्टिट्यूट और भारत बायोटेक की वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है।
वहीं, इन वैक्सीन की विश्वसनीयता को लेकर DCGI निदेशक वीजी सोमानी ने खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, अगर वैक्सीन में थोड़ा भी संशय होता तो हम ऐसे किसी भी चीज को मंजूरी नहीं देते। ये वैक्सीन 110 फीसदी सुरक्षित हैं। हल्के बुखार, दर्द और एलर्जी जैसे कुछ दुष्प्रभाव हर वैक्सीन के लिए आम बात हैं। वैक्सीन से लोग नपुंसक हो सकते हैं, यह दावा पूरी तरह से बकवास है।
इसके अलावा डीजीसीआई ने कैडिला की ZyCoV-D वैक्सीन के तीसरे ट्रायल की अनुमति भी दे दी है। वहीं, आने वाले हफ्तों में फाइजर और रूस की स्पूतनिक वैक्सीन को भी अनुमति मिलने की उम्मीद है। भारत सरकार ने वैक्सीनेशन के पहले चरण की तैयारी पूरी कर ली है। पहले चरण में 3 करोड़ हेल्थवर्कर्स और कोरोना वॉरियर्स को वैक्सीन दी जानी है।
कोविशील्ड :
कोविशील्ड कोरोना वैक्सीन को ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका ने बनाया है। ब्रिटेन, अर्जेंटीना और स्लावाडोर के बाद भारत चौथा देश है, जिसने कोविशील्ड के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी है। कोविशील्ड को भारत की कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ने बनाया है। सीरम का दावा है कि कंपनी पहले ही 5 करोड़ डोज बना चुकी है। वहीं, कंपनी के 5-6 करोड़ वैक्सीन हर महीने बनाने की क्षमता है।
- कितनी असदार है वैक्सीन?
डीजीसीआई का कहना है कि कोविशील्ड 70.42% असरदार है। हालांकि, यह फाइजर और मॉडर्ना की तुलना में कम असरदार है। लेकिन तय मानक यानी 50% से काफी अधिक है। कोविशील्ड ने ट्रायल में विदेशों में 18 साल या उससे अधिक के 23745 वॉलंटियर का डाटा सब्मिट किया है, इसमें वैक्सीन सुरक्षा, प्रतिरक्षा और प्रभावकारिता का डेटा प्रस्तुत किया गया है। इसके अलावा 2-3 चरण में देश में 1000 वॉलंटियर पर किए गए ट्रायल का डाटा भी डीजीसीआई के साथ शेयर किया है।
नवंबर में प्रकाशित आंकड़ों से पता चला है कि वैक्सीन की आधी खुराक के बाद पूर्ण खुराक में 90 प्रतिशत सफलता दर थी जबकि दो पूर्ण शॉट 62 प्रतिशत प्रभावी थे।
- कितनी डोज की पड़ेगी जरूरत :
एसईसी के मुताबिक, वैक्सीन की 4-6 हफ्तों में दो फुल डोज कोरोना से निपटने के लिए प्रभावी हैं। इससे एक साल तक इम्यून रह सकता है। वैक्सीन को 2°C से 8°C तक स्टोर किया जा सकता है।
- कितनी होगी कीमत ?
सीरम इंस्टीट्यूट का कहना है कि सरकार को वैक्सीन 440 रुपए की पड़ेगी। जबकि प्राइवेट मार्केट में इसकी कीमत 700-800 रुपए होगी।
कोवैक्सिन:
कोवैक्सिन को हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक और आईसीएमआर ने तैयार किया है। कोवैक्सिन को कोरोनोवायरस के कणों का इस्तेमाल करके बनाया गया है, जो उन्हें संक्रमित या दोहराने में असमर्थ बनाते हैं। इन कणों की विशेष खुराक इंजेक्ट करने से शरीर में मृत वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने में मदद करके इम्यून का निर्माण होता है।
कितनी प्रभावी है ये वैक्सीन?
डीजीसीआई के मुताबिक, कोवैक्सीन सुरक्षित और एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया प्रदान करता है। वैक्सीन का भारत में तीसरा ट्रायल अभी पूरा करना बाकी है और ऐसे में प्रभावकारिता दर सार्वजनिक नहीं की गई है।
ट्रायल के पहले और दूसरे चरण में लगभग 800 लोगों पर परीक्षण किया गया था और नतीजों से पता चलता है कि वैक्सीन सुरक्षित है और इम्यून प्रदान करता है। वहीं, तीसरे चरण में अब तक 25,800 वॉलंटियर पर ट्रायल किया जा चुका है। वहीं, करीब 22500 लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है। वैक्सीन सुरक्षित पाई गई है।
कितनी डोज की पड़ेगी जरूरत : इस वैक्सीन की भी 2 डोज दी जाएंगी। इसे 2-8° डिग्री सेल्सियस में स्टोर किया जा सकता है। भारत बायोटेक ने बताया था कि वैक्सीन की दो डोज 14 दिन के अंतराल में दी जाएंगी।
कीमत: भारत बायोटेक ने शुरुआत में बताया था कि उनकी वैक्सीन की कीमत 350 रुपए होगी।