सार

केंद्र सरकार ने सोमवार को लोकसभा में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक पास करा लिया। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने इसे पेश किया था। इस बिल के मुताबिक, दिल्ली में उपराज्यपाल के अधिकार बढ़ जाएंगे। वहीं, इस बिल के पास होने पर मुख्यमंत्री केजरीवाल ने विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि लोकसभा में GNCTD अमेंडमेंट बिल पास होना दिल्ली के लोगों का अपमान है। 

नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने सोमवार को लोकसभा में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक पास करा लिया। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने इसे पेश किया था। इस बिल के मुताबिक, दिल्ली में उपराज्यपाल के अधिकार बढ़ जाएंगे। वहीं, इस बिल के पास होने पर मुख्यमंत्री केजरीवाल ने विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि लोकसभा में GNCTD अमेंडमेंट बिल पास होना दिल्ली के लोगों का अपमान है। 

केजरीवाल ने कहा, यह विधेयक उन लोगों से अधिकार छीनता है। जिन लोगों ने वोट देकर चुना है और जो लोग हार गए थे, उन्हें दिल्ली चलाने के लिए शक्तियां देता हैं। BJP ने लोगों को धोखा दिया है।

 


क्या है केंद्र का नया बिल? 
दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन संशोधन विधेयक, 2021 बिल के तहत सरकार के संचालन और कामकाज को लेकर बदलाव किए जा रहे हैं। इसके मुताबिक, उप राज्यपाल को कुछ अतिरिक्त अधिकार दिए जाएंगे। इस बिल में कहा गया है कि यह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को बढ़ावा देता है। इसके तहत दिल्ली में राज्य सरकार और उपराज्यपाल की जिम्मेदारियों को बताया गया है। इस बिल के मुताबिक, विधानसभा में पारित विधान के परिप्रेक्ष्य में सरकार का आशय राजधानी के उपराज्यपाल से होगा।

इस बिल के मुताबिक, राज्य सरकार, कैबिनेट या फिर किसी मंत्री द्वारा कोई भी शासनात्मक फैसला लिया जाता है, तो उसमें उपराज्यपाल की राय या मंजूरी जरूरी है। इसके साथ ही विधानसभा के पास अपनी मर्जी से कोई कानून बनाने का अधिकार नही होगा, जिसका असर दिल्ली राज्य में प्रशासनिक तौर पर पड़ता हो।

सुप्रीम कोर्ट का क्या फैसला था? 
दिल्ली में अधिकारों को लेकर जंग नई नहीं है, यहां पहले भी केंद्र और केजरीवाल सरकार आमने सामने आ चुकी है। इस मामले को लेकर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था। कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार को जमीन, पुलिस या पब्लिक ऑर्डर से जुड़े फैसलों को लेकर उपराज्यपाल की अनुमति की जरूरत होगी। जबकि इनसे अन्य मामलों में मंजूरी लेनी की जरूरत नहीं है। हालांकि, सरकार के मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए फैसले की सूचना उपराज्यपाल को देनी होगी