सार
असम में पिछले 1 हफ्ते की माथापच्ची के बाद आखिर तय हो गया कि कौन राज्य का अगला मुख्यमंत्री होगा। भाजपा नेता हेमंत बिस्वा शर्मा को विधायक दल का नेता चुना गया। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह ने इसका ऐलान किया। वहीं, राज्य के मौजूदा मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने राज्यपाल जगदीश मुखी को अपनी इस्तीफा सौंप दिया।
नई दिल्ली. असम में पिछले 1 हफ्ते की माथापच्ची के बाद आखिर तय हो गया कि कौन राज्य का अगला मुख्यमंत्री होगा। भाजपा नेता हेमंत बिस्वा शर्मा को विधायक दल का नेता चुना गया। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह ने इसका ऐलान किया। वहीं, राज्य के मौजूदा मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने राज्यपाल जगदीश मुखी को अपनी इस्तीफा सौंप दिया। आईए जानते हैं आखिर हेमंत बिस्वा शर्मा कौन हैं और उन्हें पूर्वोत्तर का चाणक्य क्यों कहा जाता है?
हेमंत बिस्वा शर्मा को आज असम ही नहीं पूर्वोत्तर की राजनीति में भाजपा का बड़ा चेहरा माना जा सकता है। 2015 में हेमंत के भाजपा में आने के बाद पार्टी को पूर्वोत्तर में असम के अलावा अन्य राज्यों में भी सरकार बनाने में सफलता मिली। यही वजह है कि हेमंत बिस्वा शर्मा को पूर्वोत्तर का चाणक्य भी कहा जाता है।
गुवाहाटी में हुआ जन्म
1 फरवरी 1969 को हेमंत का जन्म गुवाहाटी के गांधी बस्ती उलूबरी में हुआ। उनके पिता का नाम कैलाश नाथ शर्मा और मां का नाम मृणालिनी देवी है। हेमंत शर्मा ने 1990 में ग्रेजुएशन किया। उन्होंने 1992 में गुवाहाटी से ही पोस्ट ग्रेजुएशन किया। हिमंता बिस्वा शर्मा ने सरकारी लॉ कॉलेज से एलएलबी और गुवाहाटी कॉलेज से पीएचडी की। इसके बाद उन्होंने साल 1996 से 2001 तक गुवाहाटी हाई कोर्ट में लॉ की प्रैक्टिस की।
कांग्रेस से शुरू किया राजनीतिक करियर
हेमंत ने कांग्रेस ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। वे 2001 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर जालुकबरी से चुनाव लड़े और जीते। इसके बाद वे लगातार तीन बार कांग्रेस के टिकट पर इसी सीट से चुनाव जीते।
कांग्रेस सरकार में तीन बार रहे कैबिनेट मंत्री
हेमंत के कद का पता इसी से चलता है कि वे गोगोई सरकार में हर बार मंत्रिपद पर रहे। उन्होंने सरकार में एग्रिकल्चर, प्लानिंग एंड डेवलपमेंट, फाइनांस, कैबिनेट मिनिस्टर, हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर जैसे मंत्रालय संभाले।
कैसे बिगड़ी बात
2011 में गोगोई की जीत में हेमंत की बड़ी भूमिका मानी जाती है। लेकिन उन्हें इस बार सरकार में ज्यादा महत्व नहीं दिया गया। यहां तक की उन्होंने कई बार राहुल गांधी से भी बात करने की कोशिश की। लेकिन उन्हें मिलने नहीं दिया गया। इसके बाद वे भाजपा में शामिल हो गए। कांग्रेस छोड़ने के बाद हेमंत बिस्वा शर्मा ने बताया था कि उन्होंने 8-9 बार राहुल गांधी से बात करने की कोशिश की। लेकिन राहुल ने उन्हें मौका नहीं दिया। वहीं, भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह सिर्फ एक फोन पर मिलने के लिए राजी हो गए। ऐसे में हेमंत ने शाह के घर पर भाजपा में शामिल होने का फैसला किया।
हेमंत के आने से भाजपा को फायदा मिला
वहीं, हेमंत के भाजपा में आने से पार्टी को फायदा मिला। 2016 में हुए विधानसभा चुनाव में सर्बानंद सोनोवाल के नेतृत्व में भाजपा ने सरकार बनाई। कांग्रेस सत्ता से बेदखल हो गई। वहीं, 2021 में भी असम में भाजपा के जीतने में हेमंत बिस्वा शर्मा ने अहम भूमिका निभाई।