सार
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के ताकतवर नेताओं में अनिल देशमुख शुमार हैं। पांच बार से विधायक चुने जा रहे अनिल देशमुख
मुंबई। महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। बांबे हाईकोर्ट द्वारा गृहमंत्री के खिलाफ सीबीआई से प्रारंभिक जांच रिपोर्ट मांगे जाने के बाद महाराष्ट्र की सियासत गरमा गई थी। देशमुख पर इस्तीफा का दबाव बढ़ गया था। NCP नेता नवाब मलिक ने कहा कि देशमुख ने नैतिकता की वजह से पद छोड़ा। वहीं, दिलीप पाटिल नए गृह मंत्री होंगे। अनिल देशमुख पर लगाए गए आरोपों की जांच के लिए सीबीआई टीम मंगलवार को मुंबई पहुंचेगी।
महाराष्ट्र के ताकतवर नेता हैं देशमुख
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के ताकतवर नेताओं में अनिल देशमुख शुमार हैं। पांच बार से विधायक चुने जा रहे अनिल देशमुख एनसीपी कोटे से महाविकास आघाड़ी गठबंधन वाली महाराष्ट्र सरकार में गृहमंत्री हैं। विदर्भ क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले 70 वर्षीय देशमुख भाजपा के फणनवीस सरकार के कार्यकाल को छोड़ दें तो 1995 से लगातार मंत्री हैं। देशमुख 1995 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में कटोल विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने थे। इसके बाद से वह 1999, 2004, 2009 व 2019 में जीतकर विधानसभा पहुंचे। 2014 में अनिल देशमुख को हार का सामना करना पड़ा था।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद ही पटकथा लिखी दी गई
महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख का इस्तीफा उनके खिलाफ कोर्ट के आदेश के बाद तय माना जा रहा था। आज ही बांबे हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए सीबीआई को प्रारंभिक जांच के आदेश दिया था।
हाईकोर्ट ने सीबीआई को 15 दिनों के भीतर प्रारंभिक जांच कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश सुनाया था। कोर्ट ने कहा कि अनिल देशमुख गृहमंत्री होने के नाते पुलिस विभाग के मुखिया हैं। इसलिए पुलिस निष्पक्ष जांच नहीं कर पाएगी। सीबीआई प्रारंभिक जांच कर पंद्रह दिन में रिपोर्ट पेश करे।
मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह की याचिका पर कोर्ट ने यह फैसला सुनाया। 31 मार्च को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था।
बिना एफआईआर ही सीबीआई प्रारंभिक रिपोर्ट देः कोर्ट
फैसला सुनाते हुए बांबे हाईकोर्ट ने कहा था कि आरोप गृहमंत्री पर है। लेकिन बिना एफआईआर के कोई मामला सीबीआई जांच को कैसे दिया जा सकता है। यह पूरा मामला एफआईआर के इर्दगिर्द ही घूम रहा है। जयश्री पाटिल ने पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराने का प्रयास किया था लेकिन उनको सफलता नहीं मिली। अन्य मुद्दों पर अभी चर्चा नहीं होगी। मामला गृहमंत्री से जुड़ा है और पुलिस विभाग का मुखिया होने के नाते निष्पक्ष जांच की अपेक्षा नहीं की जा सकती। ऐसे में सीबीआई बिना एफआईआर किए निष्पक्ष जांच कर 15 दिनों में रिपोर्ट दे।
100 करोड़ रुपये हर महीना उगाही का आरोप
महाराष्ट्र सरकार ने पिछले दिनों मुंबई के पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह को उनके पद से हटाकर डीजी होमगार्ड बना दिया था। पद से हटाए जाने के बाद परमबीर सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक चिट्ठी लिखी थी। चिट्ठी में परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र सरकार के गृहमंत्री अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। परमबीर ने आरोप लगाया था कि अनिल देशमुख पुलिस विभाग के चर्चित अधिकारी सचिन वाजे के माध्यम से हर महीने 100 करोड़ उगाही का लक्ष्य दिए थे। चिट्ठी में आरोप लगाया था कि गृहमंत्री ने उनको घर बुलाया था और 100 करोड़ रुपये हर महीना उगाही करके देने को कहा था।
लेटर बम से सियासत गरमाई
पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के लेटर के बाद सियासी माहौल काफी गरम हो गया था। विपक्ष उद्धव सरकार को घेरने में लग गया था। गृहमंत्री अनिल देशमुख का इस्तीफा लगातार मांगा जा रहा था। अब जब गृहमंत्री ने हाईकोर्ट से झटका लगने के बाद इस्तीफा दे दिया है तो माना जा रहा है कि विपक्ष अब उद्धव सरकार पर हमलावर और हो सकता है।
अनिल देशमुख ने आरोपों को किया था खारिज
उधर, महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने परमबीर सिंह के आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि देश के प्रमुख उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के बाहर मिली गाड़ी के मालिक की हत्या में सचिन वाजे गिरफ्तार हो चुके हैं। पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह भी जांच के दायरे में आ सकते हैं, इन सबसे बचने के लिए वह आरोप लगा रहे हैं।
पवार ने कहा था- नहीं देंगे इस्तीफा
इस मामले में शरद पवार लगतार इस बात पर अड़े हुए थे कि अनिल देशमुख इस्तीफा नहीं देंगे। पिछले दिनों जब शिवसेना नेता संजय राउत और मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से पवार ने मुलाकात की थी, तब भी और दिल्ली में प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान भी दो टूक कहा था कि देशमुख सरकार में बने रहेंगे। राकांपा (NCP) के राज्य प्रमुख और महा विकास आघाडी सरकार में वरिष्ठ मंत्री जयंत पाटिल ने भी कहा कि महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख के इस्तीफा देने का सवाल ही पैदा नहीं होता है। लेकिन जब पवार और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बीच सीक्रेट मीटिंग हुई, तब लगने लगा था कि पवार झुक गए हैं। अब जब हाईकोर्ट ने मामला CBI को सौंप दिया है, तो नैतिक आधार पर देशमुख को इस्तीफा देना पड़ा। यानी अब महाराष्ट्र की राजनीति में आगे और बड़ा भूचाल आने के संकेत हैं।