सार
भारतीय नौसेना के प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने बताया कि सोमालिया के समुद्री लुटेर इंडियन नेवी के डर से अगवा किए गए जहाज को छोड़कर भाग गए थे। ऑपरेशन के दौरान समुद्री डाकू जहाज पर दिखाई नहीं दिए।
नई दिल्ली। भारतीय नौसेना के एलीट मरीन कमांडो MARCOs ने शुक्रवार को सोमालिया के तट पर अगवा किए गए मालवाहक जहाज MV Lila Norfolk को समुद्री लुटेरों से बचाया। MARCOs जहाज पर पहुंचे और चालक दल के 21 सदस्यों को सुरक्षित निकाला। इनमें से 15 भारतीय हैं। जान बचाए जाने के बाद चालक दल के भारतीय सदस्यों ने 'भारत माता की जय' के नारे लगाए।
MV Lila Norfolk पर पांच-छह हथियारबंद लुटेरों ने कब्जा कर लिया था। इसके बाद जहाज के चालक दल के सदस्यों ने खुद को सुरक्षित जगह पर बंद कर लिया था। चालक दल ने यूके मैरीटाइम ट्रेड ऑपरेशंस पोर्टल को संकट का संदेश भेजा था। उस वक्त एमवी लीला नॉरफॉक उत्तरी अरब सागर में था। मदद मांगे जाने पर भारतीय नौसेना ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। नौसेना ने सहायता के लिए तुरंत एक युद्धपोत, समुद्री गश्ती विमान पी -8 आई, हेलीकॉप्टर और एमक्यू 9 बी प्रीडेटर ड्रोन को इस मिशन में लगा दिया। नौसेना के एक अधिकारी के अनुसार युद्धपोत आईएनएस चेन्नई ने शुक्रवार को दोपहर 3:15 बजे एमवी लीला नॉरफॉक जहाज को रोका और MARCOs ने इसे सैनिटाइज किया।
नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने बताया कैसे चला बचाव अभियान
भारतीय नौसेना के प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने एक इंटरव्यू में बताया कि कैसे यह बचाव अभियान चलाया गया। उन्होंने इसे "टीम वर्क" बताया और कम वक्त में भारत सरकार से मंजूरी मिलने की सराहना की। हरि कुमार ने कहा, "अगवा किए गए जहाज पर पहुंचने पर भारतीय नौसेना के समुद्री कमांडो ने क्षेत्र को सावधानीपूर्वक सैनिटाइज किया। दिलचस्प बात यह है कि ऑपरेशन के दौरान समुद्री डाकू जहाज पर दिखाई नहीं दे रहे थे।"
नौसेना प्रमुख ने कहा, "ऐसा लगता है कि हमारे विमानों और ड्रोनों को जहाज के चारों ओर चक्कर लगाते देख समुद्री डाकू 4-5 जनवरी की रात को ही भाग गए थे। हमें इसके बारे में शुक्रवार को जानकारी मिली। हमने सबसे पहले आईएनएस चेन्नई को जहाज की ओर भेजा। उस वक्त वह 400 मील की दूरी पर था। इसके बाद जहाज के चालक दल से संपर्क करने के लिए विमान भेजा।"
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हरि कुमार ने कहा, “सरकारी नीति के अनुसार हमें भारतीय नागरिकों की मदद करनी है चाहे वे कहीं भी संकट में हों। चाहे वह यमन हो या कहीं और। हमारे दिमाग में बस यही बात थी जब मैंने भारतीय नागरिकों को बचाने के लिए अपने युद्धपोत आईएनएस चेन्नई और मार्कोस को भेजने की मंजूरी दी थी।”