पेगासस जासूसी कांड ने पूरे देश की राजनीति को गरमा दिया है. हजारों लोगों के मोबाइल टैप कर जासूसी किए जाने की विदेशी मीडिया रिपोर्ट्स के बाद सड़क से सदन तक हंगामा बरपा है. विपक्ष पूरा जोर लगातार सरकार पर हमलावर है तो सरकार इसे कोरी बकवास करार दे रही है.

नई दिल्ली। पेगासस जासूसी कांड का सच क्या एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा निर्मित एक ‘संकेतक‘ सूची ही है, जिसके भरोसे जासूसी कांड की एक पूरी मनगढ़त कहानी रच दी गई?
गुरुवार को सरकार के वरिष्ठ सलाहकार कंचन गुप्ता ने दावा किया कि एमनेस्टी ने ‘संभावितों‘ की एक ‘सूची‘ तैयार की और इसे मीडिया सहयोगियों में बांट दिया। फिर एक कहानी रच दी गई। जासूसी कांड की कहानी रचने वाले वहीं लोग हैं जिन्होंने आंखें मूंद झूठी कहानियां सामने लाते हैं।

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टेक्नोलॉजी न्यूज के किम जेट्टर का हवाला देते हुए गुप्ता ने कहा, ‘एमनेस्टी ने स्वीकार किया और स्पष्ट किया कि उसने अपनी ओर से एक सूची निकाली। और उसे शरारती ढंग से लपक लिया गया जोकि इन दिनों नया बिजनेस मॉडल बनता जा रहा है। सरकार के सलाहकार कंचन गुप्ता ने कहा कि ‘पेगासस स्टोरी‘ एक बकवास है। 

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जेटर ने एक इजराइली वेबसाइट, कैल्कलिस्ट का हवाला दिया, जिसमें बताया गया था कि एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा था कि उसने कभी भी सूची को ‘एनएसओ की पेगासस स्पाइवेयर सूची‘ के रूप में नहीं आगे बढ़ाया, न ही ऐसा दावा किया। हालांकि, ‘दुनिया के कुछ मीडिया ने ऐसा किया होगा‘।

एमनेस्टी और जिन मीडिया आउटलेट्स के साथ उन्होंने काम किया है, उन्होंने शुरू से ही बहुत स्पष्ट भाषा में यह कह दिया था कि यह उन लोगों की लिस्ट है जिनमें एनएसओ के कुछ कस्टमर्स का इंटरेस्ट है जोकि दुनिया के अलग-अलग देशों या शासनकाल में रहे हैं। 

जेटर के अनुसार, एमनेस्टी अब अनिवार्य रूप से यह कह रहा कि सूची में ऐसे लोग शामिल हैं जिनकी एनएसओ के कस्टमर आमतौर पर जासूसी करने में रुचि रखते हैं लेकिन सूची विशेष रूप से उन लोगों की नहीं है जिनकी जासूसी की गई थी। उन्होंने आगे कहा कि एमनेस्टी शुरू से ही कहता रहा है कि उनकी सूची एनएसओ के सर्विलांस पर रहने वालों की सूची नहीं थी।

एक अन्य साइबर विशेषज्ञ, रूना सैंडविक ने ट्विटर पर साझा किया कि कैसे दस प्रकाशनों ने एमनेस्टी और पेरिस स्थित मीडिया आउटलेट फॉरबिडन स्टोरीज से प्राप्त 50,000 नंबरों की सूची का वर्णन किया।

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