सार

कोरोना वायरस के चलते दुनिया के कई देशों में अभी भी लॉकडाउन है। ऐसे में कंपनियों का काम प्रभावित ना हो, इसके लिए कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम की अनुमति दी गई है। भारत में भी लॉकडाउन के चलते वर्क फ्रॉम का कल्चर तेजी से बढ़ा है। अब माना जा रहा है कि लॉकडाउन के बाद भी आईटी क्षेत्र के 10 लाख से ज्यादा कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम जारी रख सकते हैं।

नई दिल्ली. कोरोना वायरस के चलते दुनिया के कई देशों में अभी भी लॉकडाउन है। ऐसे में कंपनियों का काम प्रभावित ना हो, इसके लिए कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम की अनुमति दी गई है। भारत में भी लॉकडाउन के चलते वर्क फ्रॉम का कल्चर तेजी से बढ़ा है। अब माना जा रहा है कि लॉकडाउन के बाद भी आईटी क्षेत्र के 10 लाख से ज्यादा कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम जारी रख सकते हैं। यह अनुमान आईटी उद्योग के दिग्गज एस (क्रिस) गोपालकृष्णा ने जताया है। 

भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के पूर्व अध्यक्ष गोपालकृष्णा ने कहा कि आईटी क्षेत्र इस लॉकडाउन में स्टे एट होम को वर्क फ्रॉम होम में बदलने में कामयाब हुआ है। 

मौजूदा वक्त में 90-95% आईटी कर्मचारी घर से काम कर रहे
उन्होंने बताया, मौजूदा वक्त में आईटी के 90-95 कर्मचारी घर से ही काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, इस दौरान काम काफी तेजी के साथ और सुचारू तौर पर हुआ है। ऐसे में उन्होंने अनुमान जताया है कि आईटी कंपनी इस कल्चर को आगे भी जारी रखना चाहेंगी। 

वर्क फ्रॉम से जुड़ीं अच्छी बातें

वर्क फ्रॉम होम कहें या रिमोट ऑफिस कहें, सब एक ही है। इसका मतलब होता है कि कर्मचारी ऑफिस के बजाय कहीं भी काम करे, बस प्रोडक्टिविटी प्रभावित नहीं होनी चाहिए। आईए जानते हैं, इससे जुड़ीं कुछ अच्छी बातें

1- कर्मचारियों में संतोष बढ़ा
आम तौर पर कर्मचारियों को वर्क लाइफ और पर्सनल लाइफ के बीच सामान्जस बैठाने में कठिनाई होती है। लेकिन वर्क फ्रॉम होम के चलते यह आसान हुआ है। यहां तक की घर के जिन कामों के लिए उसे समय नहीं मिलता था, उन्हें आज वह दफ्तर का काम करते करते आसानी से कर सकता है। 

2- प्रोडक्टिविटी बढ़ी
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ऑफिस में कर्मचारी ज्यादा वक्त तक ब्रेक लेते हैं। वहीं, कर्मचारी अब ऑफिस की तुलना में वर्क फ्रॉम होम में महीने में 1.4 दिन ज्यादा काम कर रहा है। एक स्टडी में सामने आया है कि एक कर्मचारी दफ्तर में लंच और ब्रेक में 37 मिनट का समय लगाता है, वहीं वर्क फ्रॉम होम में यह घटकर 27 मिनट रह गया है। इसके अलावा प्रोडक्टिविटी भी बढ़ी है। इससे कंपनियों भी वर्क फ्रॉम होम से खुश हैं। 

3- पैसों की बचत 
वर्क फ्रॉम होम में कंपनियों से लेकर कर्मचारियों तक सभी को फायदा पहुंचा है। यहां तक की ऑफिस की गैस, चाय नाश्ता या कर्मचारियों को दफ्तर में मिलने वालीं अन्य सुविधाओं, बिजली-पानी के बिल, किराए में भी बचत हुई है। वहीं, कर्मचारी का दफ्तर पहुंचने का खर्चा, वाहन खर्च भी बच रहा है। 

4- कर्मचारी परिवार के साथ बिता रहे वक्त
वहीं, भाग दौड़ वाली जिंदगी में लोगों को अपने परिवार के साथ वक्त बिताने का समय नहीं मिलता। लेकिन वर्क फ्रॉम होम में वह हर वक्त अपने परिवार के साथ रहकर काम कर रहा है। ऐसे में लोग अपने परिवार के साथ ज्यादा वक्त बिता रहे हैं।

5- कंपनी और कर्मचारियों को मिल रहे ये अतिरिक्त फायदे
कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम की अनुमति देना, उन्हें स्वतंत्रता और अनुशासन का अधिकार देता है। इससे कर्मचारियों औ कंपनियों के बीच विश्वास की भावना भी पैदा होती है। किसी कर्मचारी की नजर से उनकी कंपनी उन पर विश्वास जता रही है, ऐसे में वे प्रबंधन की नजर में ना होने के बावजूद अच्छा काम कर सकते हैं। वहीं, प्रोडक्टिविटी बढ़ने से कंपनी को भी फायदा मिलता है।

वर्क फ्रॉम होम के नुकसान
ऐसा नहीं, वर्क फ्रॉम से सभी कर्मचारी संतुष्ट या खुश ही हों। इससे कर्मचारियों को कुछ परेशानी का भी सामना करना पड़ रहा है।

1- टेक्निकल 
वर्क फ्रॉम में कर्मचारियों को सबसे ज्यादा परेशानी टेक्निकल तौर पर हुई है। कर्मचारियों को दफ्तर के बराबर इंटरनेट कनेक्टिविटी, स्पीड नहीं मिल पा रही है। इससे कर्मचारियों का काम काफी प्रभावित हो रहा है। 

2- शारिरिक समस्याएं
वर्क फ्रॉम होम आसान नहीं होता है। इससे सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ने का खतरा अधिक रहता है। इसके अलावा वर्क फ्रॉम में लगातार एक जगह पर बैठने, लगातार काम करने और वर्क हेल्पिंग फर्नीचर ना मिलने से थकावट का भी सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा कर्मचारियों के लगातार सिस्टम, मेल या फोन पर बिजी रहने से आंखों पर भी प्रभाव पड़ रहा है। वहीं, दफ्तर में मीटिंग और अन्य सामान काम के लिए मेल या फोन का इस्तेमाल नहीं होता है।   

3- डिप्रेशन बढ़ रहा
टेक्निकल और फिजिकल समस्याओं के चलते लोगों में डिप्रेशन भी बढ़ रहा है। वहीं, जब घरेलू या अन्य समस्याओं के चलते लोगों का काम प्रभावित होता है, तो उसमें डिप्रेशन बढ़ने लगता है। 

4- घरेलू हिंसा के केस बढ़ रहे: वहीं, लॉकडाउन और वर्क फ्रॉम के चलते कई देशों में घरेलू हिंसा के केस बढ़ रहे हैं। इसका कारण सामाजिक तनाव और घर से बाहर ना निकलने की छूट बड़ी वजह मानी जा रही है। यहां तक की लंदन में हर रोज 100 से ज्यादा गिरफ्तारियां हो रही हैं। 

5- सिक्योरिट
वर्क फ्रॉम होम से कंपनियों के लिए साइबर सिक्योरिटी बड़ी समस्या हैं। वर्क फ्रॉम होम से कंपनियों के डाटा चोरी होने का खतरा बढ़ गया है। इसके अलावा साइबर क्राइम के मामलों में भी बढ़ोतरी देखी गई है। जबकि दफ्तर में काम करते वक्त साइबर सिक्योरिटी रखी जा सकती है। 


क्या वर्क-फ्रॉम-होम स्थायी व्यवस्था बनने वाली है?
अभी तक इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (आईटी) सेक्टर को छोड़कर बाकी सेक्टरों में वर्क-फ्रॉम-होम यानी घर काम की इजाजत मिलना काफी मुश्किल था। लेकिन लॉकडाउन के चलते अन्य कंपनियों ने भी वर्क फ्रॉम होम की अनुमति दी है। ऐसे में अभी तक कंपनियों का काम प्रभावित भी नहीं हुआ है। ऐसे मे आने वाले समय में कंपनियां कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम की अनुमति दे सकती हैं।