सार

तिरुपति मंदिर में लड्डू में पशु चर्बी विवाद के बाद, कर्नाटक सरकार ने सभी मंदिरों में नंदिनी घी अनिवार्य कर दिया है। यह कदम प्रसाद की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और विवादों से बचने के लिए उठाया गया है।

Tirupati Laddu row: आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में श्रीवारी लड्डू प्रसादम में जानवरों की चर्बी की मिलावट के बाद पूरे देश में हंगामा मचा हुआ है। इस हंगामा के बीच कर्नाटक सरकार के एक आदेश से कर्नाटक मिल्क फेडरेशन के घी की आपूर्ति में रातों-रात बड़ा उछाल आया है। राज्य सरकार ने घी की बेहतरीन क्वालिटी के लिए सभी मंदिरों में नंदिनी घी की सप्लाई अनिवार्य कर दी है। कर्नाटक में 34 हजार से अधिक मंदिर, सरकार के मंदिर प्रबंधन निकाय के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।

नंदिनी घी का कहां-कहां होगा इस्तेमाल?

कर्नाटक सरकार के आदेश के अनुसार, मंदिर प्रबंधन निकाय के अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी मंदिरों में किसी प्रकार के अनुष्ठान यानी दीपक जलाने से लेकर आरती व प्रसाद तक नंदिनी घी का ही इस्तेमाल होगा। इसके अलावा 'दसोहा भवन' (जहां भक्तों को भोजन परोसा जाता है) में केवल नंदिनी घी का इस्तेमाल करना होगा। सरकार ने कहा कि मंदिर के कर्मचारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि 'प्रसाद' की गुणवत्ता से कभी समझौता न हो।

क्यों नंदिनी घी का ही केवल होगा इस्तेमाल?

दरअसल, राज्य की सबसे बड़ी कोआपरेटिव सोसाइटी कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (केएमएफ) द्वारा निर्मित है। यह ब्रांड फेमस होने के साथ ही राज्य में दूध-घी का सबसे बड़ा ब्रांड है। ऐसे में सरकार किसी प्रकार से गुणवत्ता से समझौता न करते हुए हर तरह के विवाद से दूर रहने के लिए राज्य के अधीन आने वाली कंपनी से घी की सप्लाई लेना अनिवार्य कर दी है।

तिरुपति मंदिर में लड्डूओं में जानवरों की चर्बी पर बढ़ा विवाद

दरअसल, आंध्र सीएम व टीडीपी चीफ चंद्रबाबू नायडू ने 18 सितंबर को दावा किया था कि तिरुपति मंदिर के लड्डू प्रसाद में गाय-सुअर की चर्बी या मछली के तेल के मिलाया जाता रहा है। नायडू ने घी सप्लाई करने वाली कंपनी को ब्लैकलिस्टेड करते हुए एग्रीमेंट खत्म कर दिया। उन्होंने बताया कि मामले की जांच विजिलेंस को सौंपी गई है। 19 सिंतबर को आंध्र सरकार ने लैब टेस्ट रिपोर्ट को सार्वजनिक किया। यह लैब रिपोर्ट, केंद्र सरकार द्वारा संचालित गुजरात के राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के पशुधन और खाद्य विश्लेषण और अध्ययन केंद्र (CALF) की लैब ने दी है। रिपोर्ट में बताया गया कि प्रसाद में जिस घी का इस्तेमाल किया जाता है, वह जानवरों के फैट का बना है। दावा किया गया है कि रिपोर्ट के अनुसार, मंदिर के प्रसाद में इस्तेमाल किए गए घी में मछली के तेल, गोमांस की चर्बी और लार्ड यानि सूअर की चर्बी के अंश मिले हैं।

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