सार
मध्य प्रदेश में संवैधानिक संकट की स्थिति बनती दिख रही है। जहां एक तरफ सोमवार को विधानसभा कार्यवाही को 26 मार्च तक स्थगित कर दिया गया है, जिससे कमलनाथ सरकार को 10 दिन की मोहलत मिल गई है।
भोपाल. मध्य प्रदेश में संवैधानिक संकट की स्थिति बनती दिख रही है। जहां एक तरफ सोमवार को विधानसभा कार्यवाही को 26 मार्च तक स्थगित कर दिया गया है, जिससे कमलनाथ सरकार को 10 दिन की मोहलत मिल गई है। वहीं राज्यपाल लालजी टंडन ने 24 घंटे में दूसरी बार मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर फ्लोट टेस्ट की मांग की। खास बात यह रही कि दूसरी बार जब राज्यपाल लालजी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखा तो काफी कड़ी भाषा का इस्तेमाल किया। उन्होंने अपने पत्र में , "पत्र की भाषा मर्यादाओं के अनुकूल", "यह खेद की बात है", "आपने आना-कानी की", "आपके तर्क आधारहीन हैं"...जैसी लाइनों का इस्तेमाल किया। जिसके बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ राज्यपाल से मिलने राजभवन पहुंचे।
दूसरे पत्र के बाद राज्यपाल से मिलने पहुंचे कमलनाथ
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री दूसरे पत्र के बाद राज्यपाल टंडन से मिलने पहुंचे। मुलाकात के बाद उन्होंने कहा, मैंने राज्य की वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर चर्चा की। इस दौरान मैंने उन्हें अभिभाषण के लिए धन्यवाद भी दिया। मैंने उनसे कहा दिया है, हम जो भी करेंगे, वह संविधान के दायरे में रहकर करेंगे। बीजेपी हमारे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाई। लेकिन हमारे पास आज भी नंबर हैं। जो लोग कह रहे हैं हमारे पास नंबर नहीं, वे हमारे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएं। हम फ्लोर टेस्ट क्यों दें। 16 बागी विधायकों की क्या समस्या है, वे सबके सामने बताएं।
राज्यपाल के पत्र की कुछ चुनिंदा लाइनें
1- कमलनाथ जी, मुझे आपका उत्तर प्राप्त हुआ। धन्यवाद। मुझे खेद है कि पत्र का भाव/भाषा संसदीय मर्यादाओं के अनुकूल नहीं है।
2- मैंने आपसे 16 मार्च को विश्वास मत प्राप्त करने का निवेदन किया था। लेकिन आपने विश्वास मत प्राप्त करने की कार्यवाही नहीं की। इस संबंध में कोई सार्थक प्रयास भी नहीं किया।
3- आपने अपने पत्र में जिस सुप्रीम को्ट के निर्णय का जिक्र किया है, वह वर्तमान परिस्थियों और तथ्यों में लागू नहीं होता है।
4- जब यह प्रश्न उठे कि किसी सरकार को सदन का विश्वास प्राप्त है या नहीं। तब ऐसी स्थिति में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपने अनेक निर्णयों में निर्विवादित रूप से स्थापित किया गया है कि इस प्रश्न का उत्तर अंतिम रूप से सदन में फ्लोर टेस्ट के माध्यम से ही हो सकता है।
5- खेद की बात है कि आपने मेरे द्वारा दी गई समयावधि में अपना बहुमत सिद्ध करने के बजाय यह पत्र लिखकर फ्लोर टेस्ट कराने में अपनी असमर्थतता व्यक्त की। आना-कानी की है, जिसका कोई औचित्य नहीं है।
6- आपके अपने पत्र में फ्लोर टेस्ट नहीं कराने के जो कारण दिए हैं वे आधारहीन एवं अर्थहीन है।
7- मेरा पुन: निवेदन है कि कल दिनांक 17 मार्च 2020 तक फ्लोर टेस्ट करवाएं। अन्यथा यह माना जाएगा कि वास्तव में आपको विधान सभा में बहुमत प्राप्त नहीं है।
24 घंटे में राज्यपाल लालजी टंडन ने दूसरी बार सीएम कमलनाथ को पत्र लिखकर कहा, कल फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित करें, नहीं तो मैं मानूंगा कि आपको विधानसभा में बहुमत नहीं है।
लालजी टंडन के पत्र के क्या मायने हैं?
राज्यपाल और मुख्यमंत्री कमलनाथ के बीच पत्र की शुरुआत 14 मार्च को हुई। लालजी टंडन ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा कि उनकी सरकार 16 मार्च को अभिभाषण के बाद फ्लोट टेस्ट कर बहुमत साबित करें। 16 मार्च की सुबह बजट सत्र शुरू होने से पहले ही मुख्यमंत्री कमलनाथ ने लालजी टंडन को पत्र लिखकर जवाब दिया।
राज्यपाल को कमलनाथ ने पत्र लिखा था
उन्होंने कहा था-
- महामहिम, मैं आपको स्मरण कराना चाहूंगा कि दिनांक 13 मार्च को जब मैं आपसे मिला था तब मैंने आपको अवगत कराया था कि भाजपा द्वारा कांग्रेस पार्टी के कई विधायकों को बंदी बना कर कर्नाटक पुलिस के नियंत्रण में रखकर उन्हें विभिन्न बयान देने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
- फ्लोर टेस्ट का औचित्य तभी है जब सभी विधायक बंदिश से बाहर हों तथा पूर्ण रूप से दबावमुक्त हों।
राज्यपाल से मिलने पहुंचे थे भाजपा विधायक
क्या 26 मार्च तक इंतजार करेंगे राज्यपाल?
कमलनाथ का पत्र मिलने के बाद लालजी टंडन ने करीब 4 से 5 घंटे बाद फिर से एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने कार्यवाही स्थगित होने के बाद भी कहा कि 17 मार्च को फ्लोर टेस्ट कराएं। ऐसे में राज्यपाल की भाषा देखकर यही लगता है कि वह 26 तारीख तक इंतजार करने के मूड में नहीं लग रहे हैं।