सार

कोरोना वायरस के बढ़ते हुए संक्रमण के साथ ही भारत में 'तब्लीगी जमात' भी चर्चा में है। 1 से 15 मार्च तक दिल्ली के निजामुद्दीन में हुए तब्लीगी जमात के मरकज में हजारों जमाती शामिल हुए थे। यहां हुए जलसे में देश के 11 राज्यों सहित इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड से भी लोग आए हुए थे।

नई दिल्ली. कोरोना वायरस के बढ़ते हुए संक्रमण के साथ ही भारत में 'तब्लीगी जमात' भी चर्चा में है। 1 से 15 मार्च तक दिल्ली के निजामुद्दीन में हुए तब्लीगी जमात के मरकज में हजारों जमाती शामिल हुए थे। यहां हुए जलसे में देश के 11 राज्यों सहित इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड से भी लोग आए हुए थे। भारत में कोरोना का संक्रमण फैलने में बड़ी वजह इस संगठन को माना जा रहा है। जमात को लेकर काफी बहस भी छिड़ी है। लोग इसके पक्ष विपक्ष में अपनी राय रख रहे हैं। हाल ही में आर्थिक मामलों के जानकार एस. गुरुमूर्ति ने इंडियन एक्सप्रेस में एक आर्टिकल लिखा। इस आर्टिकल को लेकर उनके और बेवसाइट के खिलाफ मानहानि का नोटिस भेजा गया। अब गुरुमूर्ति की ओर से इसका जवाब दिया गया।

क्या था आर्टिकल में: 
एस. गुरुमूर्ति ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस में 'तब्लीगी जमात: इट्स अदर एविल साइड' नामक शीर्षक से एक लेख लिखा था। इसमें उन्होंने लिखा था किस तरह से निजामुद्दीन मामले से पहले देश के ज्यादातर लोगों को इस संगठन का नाम तक नहीं पता था। साथ ही उन्होंने लिखा, कैसे जमात सीधे साधे युवाओं को उस विचारधारा की तरफ धकेलता है, जो सीधे उन्हें आतंकवाद के मार्ग पर ले जाती है। इसमें उन्होंने पाकिस्तान के काउंटर टेररिज्म एंड सिक्योरिटी एक्सपर्ट फरहान जाहिद के हवाले से बताया कि कैसे तब्लीगी जमात का आतंकवाद से संबंध है। इसके साथ ही यूरोप और अमेरिका में कैसे इस संगठन का हाथ आतंकवादी गतिविधियों में रहा है। 

यहां पढ़ें पूरा आर्टिकल:  Tablighi Jamaat - its other, evil side

 

तब्लीगी जमात की तरफ से भेजा गया नोटिस
एस. गुरुमूर्ति द्वारा यह लेख लिखने पर उन्हें और द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बेंगलुरु के रहने वाले तब्लीगी जमात के सदस्य शेख महबूब अब्बास की ओर से कानूनी नोटिस भेजा गया। इसमें लिखा गया था कि यह संगठन दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम संगठन है। इस संगठन ने हमेशा प्रशासन का सहयोग किया है। पिछले 100 साल यानी जब से यह संगठन बना है, इसका कोई कानूनी मामला भी नहीं है। तब्लीगी जमात अपने संगठन के किसी पदाधिकारी या सदस्य को हिंसा के लिए ना उकसाता है और ना ही समर्थन करता है। वेबसाइट पर जो आर्टिकल तब्लीगी जमात को लेकर लिखा गया है, वह मानहानिकारक और भड़काऊ है। जमात का कभी किसी भी आतंकी संगठन से कोई नाता नहीं रहा। यह आरोप निराधार हैं। इसलिए इस आर्टिकल के बदले जल्द ही बिना शर्त माफी छापें। इसमें लिखें कि तब्लीगी जमात का आतंकी संगठनों से कोई लेना देना नहीं है। इसके साथ ही इसमें 1 करोड़ का मानहानि दावा किया गया है।

इसके साथ ही तब्लीगी जमात के सदस्य ने 499 आईपीसी के तहत मानहानि का केस भी किया है। 

क्या मिला जवाब?
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस और एस गुरुमूर्ति की तरफ से दिए गए जवाब में कहा गया है कि तब्लीगी जमात की ओर से लगाए गए आरोप गलत हैं। इसके साथ ही जिस आर्टिकल पर आपत्ति जताई गई है, उसमें जो भी जानकारी दी गई है वह पाकिस्तान, फ्रांस और अन्य जगहों के पब्लिक सोर्स से ली गई है। इसमें फैक्ट और सत्य के आधार पर ही तब्लीगी जमात की हानिकारक गतिविधियों को सामने लाया गया है। 

नोटिस के जवाब में कहा गया है कि कानून में लिखा है कि पब्लिक डोमेन में मौजूद सत्य और फैक्ट जो जनहित में हो, वह मानहानि में नहीं आता। इसलिए आपके आरोप हास्यास्पद हैं।