सार
भारत में कोरोना के अब तक 45 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। इसी के साथ भारत ब्राजील को पीछे छोड़कर सबसे ज्यादा केसों के मामले में दूसरे नंबर पर पहुंच गया है। दिल्ली जैसे शहर जहां पिछले दिनों ऐसा लग रहा था कि कोरोना के संक्रमण पर काबू पाया जाने लगा है, वहां अचानक फिर से तेजी से मामले बढ़ते हुए नजर आ रहे हैं।
नई दिल्ली. भारत में कोरोना के अब तक 45 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। इसी के साथ भारत ब्राजील को पीछे छोड़कर सबसे ज्यादा केसों के मामले में दूसरे नंबर पर पहुंच गया है। दिल्ली जैसे शहर जहां पिछले दिनों ऐसा लग रहा था कि कोरोना के संक्रमण पर काबू पाया जाने लगा है, वहां अचानक फिर से तेजी से मामले बढ़ते हुए नजर आ रहे हैं।
भारत में जहां अगले महीने से त्योहारी सीजन शुरू हो रहा है, ऐसे में अधिकांश सेवाओं को अनलॉक करने से स्थिति औद बदतर होने की उम्मीद है। भारत में आम नागरिक कोरोना से कैसे निपट रहे हैं, इस बारे में तमाम क्षेत्रों से बातचीत के बाद LocalCircles ने एक सर्वे किया। ताकि लोगों में सामाजिक नेटवर्क, मनोविज्ञान और वायरस के प्रति डर की सीमा को समझा जा सके। इस सर्वे में देश के 221 जिलों के 24 हजार लोगों ने हिस्सा लिया।
सवाल- कोरोना ने लोगों के सोशल नेटवर्क को कैसे प्रभावित किया?
- पहले सवाल में, लोगों से पूछा गया था कि कोरोना ने उनके सामाजिक नेटवर्क को कैसे प्रभावित किया? (इसमें उनका परिवार, मित्र, साथ काम करने वाले लोग, पड़ोसी, व्यापारिक सहयोगी आदि शामिल हैं।) 31% लोगों ने कहा, उनके 6 या उससे ज्यादा जानने वाले कोरोना की चपेट में आए। जबकि 34% लोगों ने बताया कि उनके 2 से 5 जानने वाले लोग संक्रमित हुए। वहीं, 12% लोगों के सिर्फ 1 करीबी या जानने वाले को कोरोना हुआ। वहीं, 20% लोग ऐसे थे, जिनके किसी जानने वाले को कोरोना नहीं हुआ।
source- LocalCircles
इसका मतलब ये है कि सर्वे में हिस्सा लेने वाले कुल लोगों में 77% लोग ऐसे हैं, जिनका 1 या उससे अधिक करीबी संक्रमित हुआ। इसी तरह का सर्वे जब जुलाई और मई में किया गया था तो सिर्फ 31% और 7% लोग ऐसे थे, जिनका कोई करीबी संक्रमित हुआ था।
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सवाल- आपके संपर्क में ऐसे कितने लोग हैं जो 6 महीने में लक्षण के बावजूद टेस्ट कराने नहीं गए और उन्होंने खुद को क्वारंटीन किया या घर पर इलाज किया।
- इस सवाल के जवाब में 14% लोगों ने कहा कि वे ऐसे 10 लोगों को जानते हैं। वहीं, 10% लोगों ने कहा कि वे ऐसे 6-10 लोगों को जानते हैं। जबकि 10% लोगों को सिर्फ एक शख्स ऐसा मिला। वहीं, 52% लोगों ने कहा कि वे इस मामले में कुछ नहीं कह सकते।
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इससे साफ होता है कि 48% लोग ऐसे हैं, जिनके संपर्क में 1 या उससे ज्यादा ऐसे लगो आए, जिनमें लक्षण होने के बाद भी उन्होंने कोरोना टेस्ट नहीं कराया और खुद को क्वारंटीन किया या अपने आप इलाज किया। इनमें से ज्यादातर लोगों ने इसलिए टेस्ट नहीं कराया, क्यों कि उन्हें डर था कि उन्हें सरकारी अस्पताल में भर्ती करा दिया जाएगा। या फिर प्राइवेट में बहुत ज्यादा खर्चा होगा।
सवाल- लोगों से पूछा गया कि वे कोरोना के बारे में एक चीज, जिससे वे सबसे ज्यादा भयभीत हैं?
- इसके जवाब में 5% लोगों ने कहा कि वे समाजिक अलगाव से डरते हैं। वहीं, 29% ने कहा कि परिवार के सदस्यों या सहयोगियों के संक्रमित होने, 22% लोगों ने कहा, अस्पताल में जाने, जबकि 8% ने कहा कि वे केस चरम पर पहुंचने जबकि 6% लोगों ने कहा, स्थानीय अधिकारियों के व्यवहार से। 17% ने कहा कि वे अन्य कारणों से जैसे- कमाई में कमी, परिवार की देखभाल, जानकारी की कमी आदि उनके सबसे बड़े डर हैं, जबकि 13% ने कहा कि वे किसी भी चीज से डरते नहीं हैं।
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इससे पता चलता है कि कोविड -19 में परिवार के सदस्यों, सहकर्मियों का संक्रमित होना और अस्पताल में भर्ती होना दो ऐसी चीजें हैं जिनसे सबसे ज्यादा भारतीय डरते हैं।
भारत में कोरोना की दूसरी लहर
एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने पिछले हफ्ते कहा था कि भारत के कई इलाकों में कोरोना की दूसरी लहर देखने को मिली है। भारत में हर रोज दुनिया में सबसे ज्यादा केस सामने आ रहे हैं। हर रोज करीब 90 केस मिल रहे हैं। इनमें से 60% सिर्फ 5 राज्यों में निकल रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि कठोर लॉकडाउन से इसे काबू में किया जा सकता है।
केंद्र सरकार और अधिकांश राज्य सरकारों ने आर्थिक गतिविधियों के लिए विभिन्न क्षेत्रों को खोलने का फैसला किया है। इसलिए भारतीयों को मास्क, सैनिटाइजर साथ रखने और सोशल डिस्टेंसिंग अपनाने के साथ साथ जीना सीखना होगा।
कैसे हुआ सर्वे?
इस सर्वे में 221 जिलों के 24 हजार लोगों ने हिस्सा लिया। इसमें 69% पुरुष और 31% महिलाएं हैं। इनमें से 49% लोग टियर 1, 28% लोग टियर-2 और 23% लोग टियर 3, टियर 4 और ग्रामीण इलाकों के हैं।