सार

VVPAT का इस्तेमाल EVM के साथ होता है। जब कोई वोटर मतदान करता है तो VVPAT से एक पर्ची प्रिंट होती है। इसमें मतदाता देख पाता है कि उसने किसे वोट दिया। सात सेकंड बाद यह पर्ची कटकर VVPAT के बॉक्स में गिर जाती है।

नई दिल्ली। देश में लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) हो रहे हैं। ईवीएम की मदद से मतदाता केंद्र की सरकार चुनने के लिए वोट देंगे। इस दौरान VVPAT (Voter Verifiable Paper Audit Trail) का भी इस्तेमाल किया जाएगा।

भारत में मतदान के लिए EVM का इस्तेमाल किया जाता है। EVM से भारत जैसे दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देश में चुनाव कराने में सुविधा हुई है। इसकी मदद के नतीजे जल्द मिल जाते हैं। हालांकि समय-समय पर कई राजनीतिक दलों की ओर से ईवीएम में छेड़छाड़ किए जाने की संभावना जताई गई है। इसके चलते VVPAT नाम की मशीन के इस्तेमाल की शुरुआत हुई। पहले EVM की मदद से वोट डालने के बाद मतदाता देख नहीं पाता था कि उसका वोट उसी उम्मीदवार को मिला, जिसे उसने वोट दिया था। VVPAT ने इसी मुद्दे पर काम किया। अब VVPAT की मदद के वोट डालने के बाद मतदाता देख पाते हैं कि उन्होंने किसे वोट दिया।

ऐसे शुरू हुआ था VVPAT का इस्तेमाल

4 अक्टूबर 2010 को चुनाव में ईवीएम के इस्तेमाल को लेकर चुनाव आयोग द्वारा सभी राजनीतिक दलों की बैठक आयोजित की गई थी। बैठक में कुछ पार्टियों ने चुनाव आयोग से मतदान प्रक्रिया में और अधिक पारदर्शिता लाने के लिए वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल शुरू करने पर विचार करने का अनुरोध किया था।

चुनाव आयोग ने इस संबंध में जांच की और मामले को ईवीएम पर अपनी तकनीकी विशेषज्ञ समिति को भेजा। विशेषज्ञ समिति ने ईवीएम के निर्माताओं (बीईएल और ईसीआईएल) के साथ कई दौर की बैठकें कीं। इसके बाद ईवीएम के साथ VVPAT प्रणाली की डिजाइन जरूरतों का पता लगाने के लिए राजनीतिक दलों और समाज के अन्य लोगों से विचार-विमर्श किया गया। विशेषज्ञ समिति के निर्देश पर बीईएल और ईसीआईएल ने VVPAT तैयार किया। इसे सबसे पहले नागालैंड के 51-नोकसेन (एसटी) विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के उपचुनाव में ईवीएम के साथ इस्तेमाल किया गया।

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कैसे काम करता है VVPAT?

VVPAT को EVM के साथ जोड़कर इस्तेमाल किया जाता है। यह एक तरह का प्रिंटर है। जब वोट डाला जाता है तब वीवीपैड के प्रिंटर से एक पर्ची प्रिंट होती है। इस पर्ची पर उम्मीदवार का सीरियल नंबर, नाम और चुनाव चिह्न छपा होता है। वोट डालने के बाद पर्ची निकलती है और 7 सेकंड तक कांच के पीछे रहती है। इस दौरान वोटर पर्ची को देख सकते हैं। इसके बाद यह VVPAT के सीलबंद बॉक्स में गिर जाती है। वोटों की गिनती के समय अगर विवाद की स्थिति हुई तो वीवीपैट की पर्ची की गिनती कर विवाद का हल किया जा सकता है।

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