सार

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही राजनीतिक गतिविधियां भी तेज हो गई हैं। हालांकि, 288 विधानसभा सीटों वाले राज्य में भाजपा-शिवसेना के बीच सीटों के बंटवारे पर अभी तक फैसला नहीं हो सका। 

मुंबई. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही राजनीतिक गतिविधियां भी तेज हो गई हैं। हालांकि, 288 विधानसभा सीटों वाले राज्य में भाजपा-शिवसेना के बीच सीटों के बंटवारे पर अभी तक फैसला नहीं हो सका। उधर, गृह मंत्री अमित शाह भी आज मुंबई में हैं। इससे पहले बंटवारे के फॉर्मूले पर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच सीटों को लेकर बातचीत हुई पर अंतिम नतीजा नहीं निकला पाया है। महाराष्ट्र में हरियाणा के साथ ही 21 अक्टूबर को मतदान होना है। नतीजे 24 अक्टूबर को आएंगे।

माना जा रहा है कि सीटों के तालमेल को लेकर अमित शाह, उद्धव ठाकरे के बीच अहम बातचीत हो सकती है, जिसके बाद आज देर शाम या सोमवार सुबह तक गठबंधन को लेकर बड़ा ऐलान हो सकता है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल साफ कर चुके हैं कि भाजपा-शिवसेना के बीच गठबंधन पक्का है। सीटों के बंटवारे को लेकर देवेंद्र फडणवीस और उद्धव ठाकरे अंतिम फैसला लेंगे। 

किस बात पर फंसा है पेंच?
महाराष्ट्र में विधानसभा की कुल 288 सीटें हैं। 18 सीटें बीजेपी और शिवसेना ने अपने सहयोगी दलों के लिए छोड़ी हुई हैं। बाकी 270 सीटों के बंटवारे को लेकर फैसला लिया जाना है। शिवसेना की मांग है कि बंटवारा 50:50 के फॉर्मूले पर किया जाए। इस फॉर्मूले पर भाजपा असहमत है। 

बीजेपी किस फॉर्मूले पर चाहती है सीटों का बंटवारा?
बीजेपी चाहती है कि गठबंधन में भाजपा और शिवसेना के पास जितनी सीटें हैं वो उसे अपने पास रखें। बाकी बच रही सीटों को आधा आधा बांट लिया जाए। इस लिहाज से देखें तो शिवसेना के पास 63 और भाजपा के पास 122 सीटें हैं। शेष 85 सीटों को आधा आधा करने पर बीजेपी के हिस्से में 164 या 165 और शिवसेना के हिस्से में 105 या 106 सीटें आएंगी।

क्या बनेगी बात?
सूत्र कहते हैं कि भाजपा शिवसेना के लिए कुछ और सीट छोड़ने का मन बना सकती है। यह संभव है कि भाजपा अपने फॉर्मूले से हटते हुए शिवसेना को 115 सीट तक दे दे। लेकिन एक बात बिल्कुल साफ है कि बीजेपी, शिवसेना के फॉर्मूले पर सीटों का बंटवारा कभी नहीं करेगी।

बीजेपी-शिवसेना गठबंधन में कौन कौन?
महायुति के साथ केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले की आरपीआई, राज्य के कैबिनेट मंत्री महादेव जानकर की रासप के साथ सदाभाऊ खोत की रयत क्रांति सेना और विनायक मेटे की शिवसंग्राम पार्टी आदि सहयोगी पार्टियां है। लोकसभा में इन सहयोगी पार्टियों को 48 में से एक भी सीट नहीं दी गई थी। आठवले भले ही बीजेपी के टिकट पर आरपीआई का उम्मीदवार चुनाव नहीं लड़ेगा कह चुके हैं, लेकिन दूसरे सहयोगी दलों ने सीटों के लिए अबतक कोई मांग नहीं की है। इसमें जानकर ने तो एक भी सीट नहीं मिलने पर भी गठबंधन बने रहने की बात की है। सीटों के बंटवारे की घोषणा के बाद यह भी देखना दिलचस्प होगा कि गठबंधन के किस सहयोगी दलों को 18 में कितनी सीटें मिलती हैं।