सार

टीएमसी नेता ने हाईकोर्ट से मांग की थी कि बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे और वकील अनंत देहाद्राई को रिश्वतखोरी का आरोप लगाए जाने से रोका जाए।

 

नई दिल्ली। हाईकोर्ट से टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा को झटका लगा है। कैश फॉर क्वेरी मामले में महुआ मोइत्रा के खिलाफ लग रहे रिश्वतखोरी के आरोपों को रोकने के लिए हाईकोर्ट में उनकी अपील को खारिज कर दी गई है। टीएमसी नेता ने हाईकोर्ट से मांग की थी कि बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे और वकील अनंत देहाद्राई को रिश्वतखोरी का आरोप लगाए जाने से रोका जाए।

दरअसल, महुआ मोइत्रा को बीते दिसंबर 2023 में लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था। कोर्ट से उन्होंने मांग की थी कि निशिकांत दुबे और अनंत देहाद्राई यह दावा करते फिर रहे हैं कि संसद में सवाल पूछने के एवज में उन्होंने बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी से रिश्वत ली है।

संसद का एथिक्स पैनल इस मामले की जांच किया था। पैनल ने पूर्व सांसद महुआ मोइत्रा को संसद से निष्कासित करने की सिफारिश की थी। बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को लेटर लिखकर यह आरोप लगाया था कि महुआ मोइत्रा ने बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी से दो करोड़ रुपये कैश और लग्जरी गिफ्ट्स लिए हैं। बदले में उन्होंने संसद में पीएम मोदी के खिलाफ सवाल पूछे हैं। महुआ मोइत्रा पर आरोप लगे कि उन्होंने पॉर्लियामेंट की वेबसाइट की अपनी लॉगिन आईडी और पॉसवर्ड को भी शेयर किया था ताकि दर्शन हीरानंदानी की टीम सवालों को पोस्ट कर सके।

एथिक्स कमेटी ने महुआ मोइत्रा के कृत्य को संसदीय आचरण के खिलाफ माना था। हालांकि, एथिक्स कमेटी में ही मतभेद खुलकर उभरे। विपक्षी सभी सदस्यों ने अध्यक्ष पर मनमानी का आरोप लगाया और कहा कि बिना रिपोर्ट पर चर्चा किए और सभी पक्षों को सुने ही गैर कानूनी तरीके से अप्रूव कर सिफारिश लोकसभा अध्यक्ष को भेज दी गई।

उधर, महुआ मोइत्रा ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को खारिज कर दिया था। उन्होंने एथिक्स कमेटी पर उनकी बात नहीं सुनने और एकतरफा फैसला देने का भी आरोप लगाया था।

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