सार
मुकेश ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी कि जब तक उसकी दया याचिका राष्ट्रपति के पास है, तब तक उसके डेथ वॉरंट पर रोक लगा दी जाए। लेकिन कोर्ट ने कहा कि दोषियों को भरपूर मौका दिया गया। डेथ वॉरंट पर रोक नहीं लगाई जाएगी।
नई दिल्ली. निर्भया के दोषी मुकेश की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि डेथ वॉरंट रद्द नहीं किया जाएगा। दोषियों को भरपूर मौका दिया गया। हालांकि, जस्टिस मनमोहन और जस्टिस संगीता धींगरा की बेंच ने दोषी को सेशन कोर्ट में अपील करने की छूट दे दी। निर्भया के दोषी मुकेश ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी कि जब तक उसकी दया याचिका राष्ट्रपति के पास है, तब तक उसके डेथ वॉरंट पर रोक लगा दी जाए। कोर्ट में सुनवाई के दौरान दोषी पक्ष के वकील ने कहा, अगर दया याचिका खारिज भी होती है तो भी फांसी से पहले दोषी को 14 दिन का वक्त दिया जाता है। इस पर सरकारी वकील ने भी कोई आपत्ति दर्ज नहीं की।
- दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा, निर्भया के गुनाहगारों की तरफ से कोई नई याचिका डाली गई है। दिल्ली सरकार की तरफ से इसे क्लीयर करके तुरंत उपराज्यपाल के पास भेज दिया गया है। सरकार इस मामले में कोई कोताही नहीं बरतेगी।
बलात्कारियों ने निर्भया के प्राइवेट पार्ट में डाल दी थी रॉड
दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया। लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं। छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया।
13 दिन बाद निर्भया ने तोड़ दिया था दम
बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया गया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई।