सार

रविवार दोपहर 2:30 बजे नोएडा के सेक्टर 93-A स्थित ट्विन टावर जमींदोज हो गए। देश में पहली बार 100 मीटर से ज्यादा ऊंची बिल्डिंग को गिराया गया। दोनों टॉवरों को महज 12 सेकंड में ढहा दिया गया। आखिर कौन है इन टॉवर का गुनहगार और कैसे चंद सेकंट में जमींदोज हो गई ये इमारतें, आइए जानते हैं।

Noida Twin Tower Demolition: रविवार दोपहर 2:30 बजे नोएडा के सेक्टर 93-A स्थित ट्विन टावर जमींदोज हो गए। देश में पहली बार 100 मीटर से ज्यादा ऊंची बिल्डिंग को गिराया गया। दोनों टॉवरों को महज 12 सेकंड में ढहा दिया गया। सुबह 7 बजे से ही आसपास की सोसाइटी में रहने वाले करीब 7 हजार लोगों को एक्सप्लोजन जोन से हटा दिया गया था। दोपहर 1 बजे तक टॉवर के आसपास के डेढ़ किलोमीटर के दायरे में किसी को जाने की अनुमति नहीं थी। बता दें कि नियमों को ताक पर रखकर इन टॉवर को बनाया गया था। 

इस कंपनी को मिला बिल्डिंग ढहाने का जिम्मा : 
ट्विन टावर को ढहाने का जिम्मा एडिफाइस नाम की कंपनी को मिला था। ये काम प्रोजेक्ट मैनेजर मयूर मेहता की देखरेख में हुआ। उनके मुताबिक, हमने बिल्डिंग में 3700 किलो बारूद भरा है। पिलर्स में लंबे-लंबे छेद करके बारूद भरना होता है। फ्लोर टु फ्लोर कनेक्शन भी किया जा चुका है। ब्लास्ट होते ही 32 मंजिला इमारत मलबे में तब्दील हो गई। 

5 स्टेप्स में समझें कैसे जमींदोज होंगे टॉवर?
- सबसे पहले इंजीनियर्स ने दोनों बिल्डिंग के पिलर्स और दीवारों पर 35 मिमी के 9642 होल्स बनाए। 
- इसके बाद दीवारों और फर्श को जियोटेक्सटाइल कपड़े से ढंका गया। ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि मलबा कम से कम फैले। 
- बिल्डिंग के नीचे गैस पाइपलाइन को नुकसान न पहुंचे, इसके लिए स्टील प्लेट्स बिछाई गई हैं। इसके अलावा रिहायशी इलाके की ओर एक कंटेनर वॉल भी बनाई गई है।
- पिलर्स और दीवारों पर बने होल्स में करीब 3700 किलो विस्फोटक भरा गया है। 
- 28 अगस्त को दोपहर 2.30 बजते ही एक बटन दबेगा और 12 सेकेंड में ही एक साथ धमाके होंगे, जिससे सुपरटेक ट्विन टावर्स जमींदोज हो जाएंगे।  

कौन है इन टॉवर का गुनहगार?
इस बिल्डिंग को बनाने वाले सुपरटेक बिल्डर (Supertech) के खिलाफ एमराल्ड कोर्ट के खरीदारों ने अपने खर्च पर एक लंबी लड़ाई लड़ी। इसके बाद कोर्ट ने ट्विन टावर को गिराने का फैसला सुनाया । इस इमारत को बनाने के लिए नोएडा के सेक्टर 93-A में सुपरटेक एमरल्ड कोर्ट के लिए जमीन आवंटन 23 नवंबर 2004 को हुआ था। इस प्रोजेक्ट के लिए नोएडा अथॉरिटी ने सुपरटेक को 84,273 वर्गमीटर जमीन आवंटित की थी। नोएडा विकास प्राधिकरण और बिल्डर की मिलीभगत से नियमों को ताक पर रखकर इस बिल्डिंग का निर्माण हुआ था। 

हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी दिया ढहाने का आदेश : 
2014 में हाईकोर्ट ने इन टॉवर को गिराने का आदेश दिया। इसके बाद 32 मंजिल पर ही इसका काम रुक गया। लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुपरटेक बिल्डर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट से भी उसे राहत नहीं मिली और कोर्ट ने 31 अगस्त 2021 को आदेश जारी कर इसे तीन महीने के भीतर ढहाने का आदेश दिया। इसके बाद इसे 28 अगस्त 2022 को ढहाने का आदेश जारी किया गया। 

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