सार

लोकसभा में 'एक देश, एक चुनाव' विधेयक पेश होने पर विपक्ष का भारी विरोध। संसद में तनातनी के बीच भविष्य पर सवाल।

नई दिल्ली। एक देश एक चुनाव (One Nation, One Poll) मंगलवार को लोकसभा में पेश किया गया। विपक्ष ने इसपर भारी विरोध जताया है। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि इसे बहस के लिए संसदीय पैनल के पास भेजा जा सकता है। लोकसभा में बिल स्वीकार करने पर वोटिंग हुई। बिल के पक्ष में 220 और विरोध में 149 वोट पड़े। 

सदन में पहली बार इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से मतदान कराया गया। इसमें 369 सांसदों ने वोट डाला। एक भी सांसद ने वोटिंग का बहिष्कार नहीं किया। विपक्ष द्वारा आपत्ति जताए जाने के बाद लोकसभा अध्यक्ष ने फिर से पर्ची के माध्यम से मतदान कराने का फैसला किया। दूसरी बार मतदान करने पर भी विधेयक के पक्ष में 269 और विरोध में 198 वोट मिले।

कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में पेश किए दो विधेयक

केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मंगलवार को लोकसभा में दो प्रमुख विधेयक पेश किए। इसका उद्देश्य पूरे भारत में एक साथ चुनाव कराना है। संविधान (129 संशोधन) विधेयक 2024 को आमतौर पर "एक राष्ट्र, एक चुनाव" विधेयक के रूप में जाना जाता है। इसके साथ ही केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक 2024 भी पेश किया गया। इसमें जम्मू और कश्मीर, पुडुचेरी और दिल्ली में चुनावों को एक साथ कराने की बात की गई है।

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी बोले-संविधान के मूल सिद्धांत के खिलाफ है विधेयक

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने लोकसभा में कहा, "मैं संविधान 129वें संशोधन विधेयक 2024 और केंद्र शासित प्रदेश कानून संशोधन विधेयक 2024 का विरोध करता हूं। ये विधेयक संविधान के मूल ढांचे पर हमला करते हैं। ये संविधान के मूल सिद्धांत के खिलाफ हैं।"

समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव बोले-संविधान की मूल भावना खत्म की गई

समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने लोकसभा में कहा, "मैं संविधान के 129वें संशोधन अधिनियम का विरोध करता हूं। मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि अभी 2 दिन पहले संविधान को बचाने की गौरवशाली परंपरा में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। 2 दिन के भीतर संविधान संशोधन विधेयक लाकर संविधान की मूल भावना और मूल ढांचे को खत्म कर दिया गया।"

टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी बोले-संविधान के मूल ढांचे पर किया गया प्रहार

टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा, "यह विधेयक संविधान के मूल ढांचे पर प्रहार करता है। राज्य सरकार और राज्य विधानसभा केंद्र सरकार या संसद के अधीन नहीं हैं। इस संसद के पास सातवीं अनुसूची की सूची एक और सूची तीन के तहत कानून बनाने का अधिकार है। इसी तरह राज्य विधानसभा के पास सातवीं अनुसूची की सूची दो और सूची तीन के तहत कानून बनाने का अधिकार है। नए बिल से राज्य विधानसभा की स्वायत्तता छीनी जा रही है।"

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