सार
देश में चारों तरफ यूनिफॉर्म सिविल कोड की बात हो रही है। भाजपा शासित कुछ राज्यों ने इस पर काम भी शुरू कर दिया है। इस बीच AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि यूनिफाॅर्म सिविल कोड की जरूरत ही नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा बाकी राज्यों में इसकी बात कर रही है तोगोवा में क्यों चुप है।
औरंगाबाद। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने देश में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code)की आवश्यकता को खारिज कर दिया। बड़ी संख्या में देश के लोग यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की मांग कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी (BJP) शासित उत्तराखंड में इसे लागू करने के लिए एक पैनल का गठन कर दिया गया है।
शराबबंदी के बारे में सभी क्यों चुप हैं?
ओवैसी ने कहा- इस देश में समान नागरिक संहिता की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने विधि आयोग का हवाला देते हुए कहा कि इसका मानना है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड भारत में जरूरी नहीं है। ओवैसी ने यूनिफाॅर्म सिविल कोड की सिफारिश करने वालों के तर्क का विरोध करते हुए कहा कि भारतीय संविधान के तहत राज्य भारत के पूरे क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करने का प्रयास करेगा। ओवैसी ने कहा- यह शराबबंदी के बारे में भी है, लेकिन किसी को भी इस बारे में बात करते हुए नहीं देखा जा सकता है। ओवैसी ने गोवा के समान नागरिक संहिता के प्रावधान पर चुप रहने के लिए भाजपा की आलोचना की, जहां हिंदू पुरुष को दो बार शादी करने की अनुमति है।
गोवा में हिंदुओं को दो शादी का अधिकार
ओवैसी ने कहा-- गोवा नागरिक संहिता के अनुसार, यदि पत्नी 30 साल की उम्र तक एक लड़के को जन्म नहीं देती तो हिंदू पुरुषों को दूसरी शादी का अधिकार है। उस राज्य में भी भाजपा की सरकार है। लेकिन, वे इस मामले पर चुप हैं। ओवैसी ने कहा– अर्थव्यवस्था विफल हो रही है, रोजगार बढ़ रहा है, बिजली-कोयला संकट है लेकिन वे (भाजपा नेता) यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर परेशान हैं।
2019 के घोषणापत्र में था यूनिफाॅर्म सिविल कोड
इससे पहले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार समान नागरिक संहिता लागू करेंगे। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी शनिवार को कहा कि सभी मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए एक समान कानून लाना जरूरी है। विशेष रूप से, भाजपा के 2019 के लोकसभा चुनाव घोषणापत्र में, भाजपा ने सत्ता में आने पर यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने का वादा किया था।
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