सार
2 जून को इंटरनेशनल सेक्स वर्कर्स डे है। यह दिन 1976 से हर साल 2 जून को मनाया जाता है। यह दिन 1976 से हर साल मनाया जाता है। इसे मनाने का उद्देश्य सेक्स वर्कर्स के अधिकारों के बारे में समाज में जागरुकता लाना है, ताकि वो भी सम्मान से जिंदगी गुजार सकें।
International Sex Workers Day 2022: आज (2 जून) इंटरनेशनल सेक्स वर्कर्स डे है। यह दिन 1976 से हर साल 2 जून को मनाया जाता है। इंटरनेशनल सेक्स वर्कर्स डे मनाने का मकसद यौनकर्मियों (सेक्स वर्कर्स) के अधिकारों के बारे में समाज में जागरुकता फैलाना है, ताकि वो भी सम्मान के साथ अपनी जिंदगी बिता सकें। भारत में ऐसे कई रेड लाइट एरिया हैं, जहां हजारों सेक्स वर्कर्स न चाहते हुए भी इस दलदल में जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं। इन्हीं में से मेरठ के कबाड़ी बाजार की एक सेक्स वर्कर की कहानी हम बताने जा रहे हैं। हम इसमें पीड़िता का नाम उजागर नहीं कर रहे हैं।
मेरी मजबूरी का फायदा उठाया :
पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले से मेरठ के रेडलाइट एरिया कबाड़ी बाजार पहुंची इस सेक्स वर्कर की कहानी बेहद दर्दभरी है। उसके मुताबिक, मेरे घर में मां-बाप के अलावा मेरी एक छोटी बहन और भाई था। घर की माली हालत बिल्कुल भी अच्छी नहीं थी। ऐसे में मुझे लगा कि क्यों न मैं भी कुछ काम कर लूं तो घर की थोड़ी मदद हो जाएगी। मैं काम तलाश ही रही थी कि मुझे एक शख्स ने शहर नौकरी दिलाने की बात कही। इसके लिए उसने मेरे मां-बाप को भी मना लिया।
मेरठ लाके मुझे एक कोठे पर बेच दिया :
कुछ दिनों बाद वो मुझे नौकरी की तसल्ली देते हुए अपने साथ मेरठ ले आया और यहां लाकर मुझे एक कोठे पर बेच दिया। मैं नौकरी की तलाश में आई थी, लेकिन यहां लाकर मुझे सेक्स वर्कर बना दिया गया। ये मेरे लिए मौत को गले लगाने जैसा था। शुरू में मैंने खूब हाथ-पैर मारे और इसका विरोध किया, लेकिन मेरे साथ मारपीट की जाती थी। कई बार तेजाब से चेहरा जलाने और जान से मारने की धमकियां भी मिलती थीं। ऐसे में मेरे पास उस दलदल में धंसने के सिवा कोई चारा नहीं था। धीरे-धीरे मैं टूट गई और खुद को इस धंधे के हवाले कर दिया।
फिर एक शख्स ने किया नर्क से छुटकारा दिलाने का वादा :
मुझे इस दलदल से छुटकारा चाहिए था, लेकिन कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था। इसी बीच, कोठे पर मेरी मुलाकात एक शख्स से हुई। उसने मेरी मदद की बात कही और बोला कि वो मुझे इस नर्क से दूर ले जाएगा। पहले तो मुझे मनीष पर भरोसा हो गया, लेकिन जिंदगी में पहले ही धोखा खाने के बाद मुझे लगा कि ये भी उसी तरह का होगा।
उस शख्स ने मुझे बाहर निकालने के लिए एनजीओ की मदद ली :
मुझे उस शख्स पर अब भी यकीन नहीं था, लेकिन उसने शहर के एक एनजीओ से कॉन्टैक्ट किया। ये एनजीओ वेश्यावृत्ति के दलदल में फंसी लड़कियों को छुड़ाने में मदद करता था। इसके बाद उस एनजीओ के डायरेक्टर ने भी मुझे भरोसा दिलाया कि वो तुम्हें सच में इस दलदल से निकालना चाहता है।
वेश्यावृत्ति के दलदल से निकलने की उम्मीद छोड़ चुकी थी मैं :
मैं वेश्यावृत्ति के दलदल से छुटकारा पाने की हर उम्मीद छोड़ चुकी थी। लेकिन वो शख्स मेरी जिंदगी में एक उजाला बनकर आया। कहते हैं कि तवायफों की कोई लव स्टोरी नहीं होती, लेकिन जिस तरह से वो मेरी मदद कर रहा था, मुझे भी उससे प्यार हो गया। तमाम कानूनी और कागजी कार्यवाही के बाद आखिरकार मुझे उस नर्क की जिंदगी से छुटकारा मिला। इस तरह मैं सेक्स वर्कर की जिंदगी से आजाद हो सकी। इसके बाद उस शख्स ने मुझे अपना लिया और हमने शादी कर ली। अब हम दोनों एक बेटी के माता-पिता हैं।
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