सार
जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने और संविधान के अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधानों को हटाए जाने के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है।
इस्लामाबाद. पाकिस्तान के पीएम इमरान खान सरकार में गृह मंत्री ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) एजाज अहमद शाह ने कबूल किया है कि कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी से समर्थन पाने में नाकाम रहा है। उन्होंने कहा कि इस्लामाबाद के प्रयासों के बावजूद दुनिया भारत की बात पर ही विश्वास करती है। उनके इस बयान से पाकिस्तान के लिए शर्मिंदगी वाली स्थिति बन गई है।
लोग भारत पर कर रहे हैं भरोसा: अहमद शाह
गुरुवार को हम समाचार चैनल के साथ साक्षात्कार में शाह ने कहा कि पाकिस्तान में सत्तासीन बड़े लोगों ने देश को बरबाद कर दिया है। कश्मीर में हालात पर किए गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, 'हम कहते हैं कि उन्होंने (भारत) कर्फ्यू लगा दिया, वहां दवाईंया नहीं मिल रहीं लेकिन लोग (दुनिया) हम पर भरोसा ही नहीं कर रहे, बल्कि वे तो भारत पर भरोसा कर रहे हैं।' प्रधानमंत्री इमरान खान ने दावा किया था कि कश्मीर मुद्दे पर 58 देशों ने पाकिस्तान के रूख का समर्थन किया है। इसके बाद शाह की यह टिप्पणी आई है। खान ने 26 अगस्त को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा था कि वह संयुक्त राष्ट्र महासभा समेत सभी अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर मुद्दे को उठाएंगे।
प्रतिबंधित संगठनों पर करोड़ों रुपए खर्च किए: शाह
जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने और संविधान के अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधानों को हटाए जाने के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। पाक ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। भारत ने अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी को स्पष्ट शब्दों में यह कह दिया है कि अनुच्छेद 370 को खत्म करना उसका आंतरिक मामला है। साथ ही उसने पाकिस्तान को भी यह सलाह दी है कि वह सचाई को स्वीकार कर ले। शाह ने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने जमात उद दावा जैसे प्रतिबंधित संगठनों पर करोड़ों रुपए खर्च कर दिए हैं और अब उन्हें मुख्यधारा में लाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस तरह के समूहों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जा चुकी है।
शाह ने कहा कि राष्ट्रीय कार्य योजना के तहत सभी जिहादियों पर नियंत्रण के सरकार के फैसले का ही परिणाम है कि मुंबई आतंकी हमले का मास्टरमाइंड और जमात उद दावा का प्रमुख हाफिज सईद अदालतों में मुकदमों का सामना कर रहा है।
नोट- यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।