मेरा गवर्नेंस का सिद्धांत है कि नीचे से ऊपर तक सही जानकारी आनी चाहिए। साथ ही ऊपर से नीचे तक सही गाइडेंस जानी चाहिए। यह टू वे कम्यूनिकेशन किसी भी समस्या को हल कर सकता है। मेरे यहां निराशा के सारे दरवाजे बंद हैं। मैं रोता बैठता नहीं हूं। होता रहता है यह सब, हम किसलिए हैं। आत्मविश्वास से भरकर आगे बढ़ें। जब कोई नीजी स्वार्थ नहीं होता तो निर्णय में दुविधा नहीं होती। यह अमानत मेरे पास है। मैं सिर्फ देश के लिए, आपके लिए करना चाहता हूं। आपके माता पिता को जिन मुसीबतों से गुजरना पड़ा, मैं नहीं चाहता कि आपको भी गुजरना पड़ा। हमें ऐसा देश बनाकर देना है दोस्तों को आने पीढ़ी हम पर गर्व करे। यह हमारा सामूहिक प्रयास होना चाहिए। बुरी से बुरी चीज में भी पॉजिटीव देखना चाहिए।
- Home
- National News
- परीक्षा पे चर्चा 2024: PM मोदी ने छात्रों को बताया अपना सीक्रेट, बोले- 'मैं हर चुनौती को देता हूं चैलेंज'
परीक्षा पे चर्चा 2024: PM मोदी ने छात्रों को बताया अपना सीक्रेट, बोले- 'मैं हर चुनौती को देता हूं चैलेंज'
Pariksha Pe Charcha 2024. पीएम नरेंद्र मोदी फिर एक बार बोर्ड परीक्षा से पहले छात्रों के बीच आए और छात्रों को कई महत्वपूर्ण टिप्स दिए। भारत मंडपम में परीक्षा पे चर्चा 2024 कार्यक्रम सुबह 11 बजे शुरू और करीब 1 बजकर 10 मिनट पर समाप्त हुआ। इस प्रोग्राम के लिए देशभर से 2.27 करोड़ से स्टूडेंट्स ने रजिस्ट्रेशन कराया है। जिनमें से करीब 3 हजार छात्र नई दिल्ली के कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। पीएम मोदी द्वारा परीक्षा पे चर्चा का यह 7वां कार्यक्रम रहा।
- FB
- TW
- Linkdin
पीएम मोदी ने कहा कि मेरे कार्यकाल में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। मैं देश के लोगों पर विश्वास करता हूं। मैं कभी नहीं सोचता हूं कि मैं क्या कर पाऊंगा, मैं तो चाय बेचने वाला हूं। लेकिन मैं लोगों पर अपार भरोसा करता हूं। दूसरा आपके पास नीर क्षीर का विवेक चाहिए। यह अनुभव से आता है। गलती भी हो जाए तो मैं मानकर चलता हूं कि यह मेरे लिए सीख है। मैं इसे निराशा का कारण नहीं मानता हूं। कोरोना के दौरान हमने बैठने की जगह देशवासियों से रोज बात की। इससे कोरोना नहीं खत्म हुआ लेकिन लड़ने की शक्ति देशवासियों में पैदा हुई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इसके कई जवाब हो सकते हैं। अच्छा लगा कि आपको पता है कि प्रधानमंत्री को कितना प्रेशर झेलना पड़ता है। हर एक के जीवन में अपनी स्थिति से अतिरिक्त ऐसी स्थितियां होती हैं, जिसे संभालना होता है। हमें समस्याओं से भागना नहीं चाहिए। पीएम ने कहा कि मेरी प्रकृति है कि मैं हर चुनौती तो चुनौती देता हूं। हर परिस्थिति को हैंडल करने के नए तरीके अपनाता हूं। मेरे भीरत कांफिडेंस है, मैं हमेशा मानता हूं कि कुछ भी 140 करोड़ देशवासी मेरे साथ हैं। अगर 100 मिलियन चुनौतियां हैं तो बिलियंस ऑफ बिलियंस समाधान भी है। मुझे कभी नहीं लगता कि अकेला हूं। मुझे पता है कि मेरा देश, मेरे देश के लोग, लोगों का मष्तिष्क सामर्थ्यवान है और हम हर मुश्किल को पार कर जाएंगे।
पीएम मोदी ने कहा कि मोबाइल को लेकर परिवार में ट्रांसपैरेंसी रखें। किसी को छुप छुपकर मोबाइल न देखना पड़े। मोबाइल का उपयोग करना सीखें। प्रधानमंत्री ने कहा कि मोबाइल का पॉजिटीव उपयोग करें।
पीएम मोदी ने कहा कि खाना खाते समय कोई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट टेबल पर नहीं होगा। घर में एक नो गैजेट जोन बनाएं और वहां सिर्फ बातचीत करें। टेक्नोलॉजी से आप भाग नहीं सकते हैं। तकनीकी को बोझ नहीं समझना चाहिए। आप बच्चों को बताएं कि मोबाइल पर क्या-क्या है। हमें पूरे परिवार में क्या चल रहा है, पता होना चाहिए। मोबाइल लॉक करने का नंबर परिवार के सभी लोगों को पता होना चाहिए। सबका मोबाइल भले अलग लेकिन कोडवर्क सबको पता हो। अपने स्क्रीन टाइम को मैनेज कीजिए। इससे आपको पता चलेगा कि हमने कितना समय मोबाइल को दिया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारे यहां शास्त्रों में भी कहा गया और सहज जीवन में कहा गया कि किसी भी चीज की अति भला नहीं करती है। हर चीज का एक मानदंड होना चाहिए। मान लीजिए मां ने अच्छा खाना बनाया है। टेस्ट अच्छा है, समय खाने का है। मां परोसती जा रही है और आप खाते जा रहे हैं लेकिन आपका पेट भर जाता है तो आप मना कर देते हैं। ऐसे ही सोशल मीडिया भी है, मोबाइल के ऊपर कितनी भी प्रिय चीजें आती हों तो भी समय तय करना होगा। समय का उपयोग कैसे करना है तो यह आपको तय करना है। मोबाइल का कैसे और कितना उपयोग करना है, हमें ही तय करना चाहिए। जो मां बाप दिन भर खुद मोबाइल देखते हैं वे भी चाहते हैं कि बच्चा इससे दूर रहे। आज देखा जाता है कि चार लोग घर में ही मैसेज फॉरवर्ड करते हैं, यह अविश्वास का बड़ा साधन है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हर महीने या सप्ताह में गेट टू गेदर करें। इस दौरान किसी उदाहरण के साथ बच्चों को मोटिवेट करें। कोई अच्छी मूवी, कोई अच्छी कहानी, किसी पॉजिटीव स्टोरी पर चर्चा करें। इससे बच्चों को पॉजिटिव होने में मदद मिलेगी।
टीचर भी कभी कभी दो चार अच्छ बच्चों के ही साथ रहते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि सभी टीचर्स के लिए सभी स्टूडेंट्स समान होने चाहिए। जिस बच्चे को सबसे ज्यादा जरूरत है तो उसकी मदद कीजिए। बच्चा पढ़ने में ठीक नहीं है लेकिन हैंड राइटिंग अच्छी है तो तारीफ कीजिए। कोई बच्चा डल है तो भी उसकी तारीफ कीजिए। इससे बच्चा मोटिवेट होगा। बच्चों को भी यह सोचना चाहिए कि हमारी कौन सी गलती है कि जिससे हमारा परिवार या टीचर हमें सम्मान नहीं देते हैं। तय कीजिए बात कीजिए और आगे बढ़िए।
पीएम मोदी ने कहा बच्चा अगर किसी दिन खाना नहीं खाया तो मां कहती है कि जरूर बाहर से कुछ खाकर आए हो। ऐसे में बच्चे को चोट पहुंचती है। किसी मां बाप ने 100 रुपया दिया और पूछेंगे कि क्या किया। मां बाप को भरोसा करना चाहिए कि आपने 100 रुपए 30 दिन के लिए दिए हैं तो भरोसा कीजिए उस पर। कभी पूछना भी तो ऐसे पूछिए कि बच्चे को अच्छा लगे। बच्चों को कुछ न कुछ कहना बंद करना चाहिए। इससे बच्चे मां बाप से दूर होने लगते हैं। ऐसे में बच्चा डिप्रेशन का शिकार हो जाता है। टीचर्स को भी बच्चों के साथ खुलापन रखना चाहिए।
पीएम मोदी ने कहा कि हमने ऐसी शिक्षा नीति बनाई है कि आपको लगता है कि विषय बदलना है तो स्विच कर सकते हैं। किसी भी हालत में हमें निर्णायक होने की जरूरत है। एक बार आप निर्णायक हो गए तो कंफ्यूजन दूर हो जाएगा।
पीएम मोदी ने कहा कि आप उलझन में नहीं हैं। आपको अपने भरोसा नहीं है, दुविधा है इसलिए 50 लोगों से सलाह लेते हैं। फिर जो सलाह सबसे सरल लगती है तो उसे अडॉप्ट कर लेते हैं। मैं समझता हूं कि सबसे बुरी स्थिति कंफ्यूजन है। हमें अनिश्चितता से बचना चाहिए। निर्णय करने से पहले सभी तराजू पर तौलना चाहिए। कोई भी विषय छोटा नहीं है, हमें उसमें जान भरनी चाहिए, वह बड़ा हो जाएगा। हम किसी चीज को कम न आंके। हमारे में दम होगा तो हम उसमें जान भर देंगे। जो चीज हाथ में ले जी जान से जुट जाएं। किसने क्या विषय लिया छोड़ दीजिए। आपने जो लिया है, उस पर फोकस कीजिए।
प्रधानमंत्री ने छात्रों को नींद का महत्व बताया और कहा कि मैं 30 सेकेंड में डीप स्लीप में चला जाता हूं। यह पूरे साल चलता रहता है। जब जागें तो पूरी तरह से जागें और जब नींद लें तो पूरी तरह से लें। इसके अलावा हमें संतुलित आहार लेना चाहिए। इसके बाद एक्सरसाइज जरूर करना चाहिए। जैसे हम टूथब्रश रोज करते हैं वैसे ही व्यायाम भी रोज करना चाहिए। कोई न कोई रास्ता निकालें जिससे आपकी फिजिकल एक्टिविटी होती रहे।
जैसे हम मोबाइल का चार्ज करते हैं तभी वह काम करता है, ठीक उसी तरह हमें अपने शरीर को भी व्यायाम के माध्यम से चार्ज करना चाहिए। सिर्फ पढ़ाई ही जरूरी नहीं है। कुछ लोग खेलते ही रहते हैं। जीवन में संतुलन बनाना होगा। जब हम स्वस्थ्य ही नहीं होंगे तो पढ़ाई भी अच्छी नहीं होगी। हमें शरीर को स्वस्थ रखना होगा। जीवन में कुछ नियम बनाने चाहिए। शरीर को सनसाइट में जरूर ले जाएं। व्यायाम करें भले ही वह ही मिनटों का हो। दूसरी नींद को कम मत आंकिए। नींद जरूर पूरी कीजिए। रील देखना कम कीजिए। एक के बाद एक रील देखते गए। कितना समय बीत जाता है। आज आधुनिक हेल्थ साइंस नींद को बहुत तवज्जो देता है। आपके स्वास्थ्य पर नींद का बहुत प्रभाव है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ज्यादा से ज्यादा लिखने पर ध्यान दें। आजकल मोबाइल और कंप्यूटर की वजह से हमारे लिखने की आदत कम हो रही है। ऐसे में पहले लिखने की ज्यादा कोशिश करें। यह आपको परीक्षा में बहुत काम आएगा। हम जितना लिखेंगे, उतना चीजें याद होंगी। तब हमें परीक्षा हाल में बैठने पर कोई घबराहट नहीं होगी। आप तैरना जानते हैं तो पानी में जाने से डर नहीं लगेगा। प्रैक्टिकल बनें। पढ़ने के साथ ही ज्यादा से ज्यादा लिखने की कोशिश करें।
पीएम मोदी ने कहा कि परीक्षा के दौरान बहुत ज्यादा तैयारी, कपड़े, नया पेन, इन सब के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए। परीक्षा में कुछ नया खिलाने की कोशिश की जाती है। मनोवैज्ञानिक दबाव वहीं से शुरू हो जाता है। मेरा सुझाव है तो बच्चे को अपनी मस्ती में परीक्षा के लिए जाने दीजिए। दरवाजे तक पिता छोड़ने जाते हैं। इस तरह की गतिविधियां नहीं होनी चाहिए। आराम से जाइए, एग्जाम हॉल में मस्ती से बैठिए। दोस्तों से हंसी मजाक कीजिए। कुछ नहीं है तो गहरी सांस लीजिए। परीक्षा से 5 मिनट पहले खुद को कंफर्ट कीजिए। हमें खुद में ही खोए रहना चाहिए और जैसे ही प्रश्न पत्र आए तो अगल बगल की दुनिया को भूलकर सिर्फ प्रश्न और उत्तर पर ध्यान देना चाहिए। अर्जुन की तरह लक्ष्य पर ही फोकस रहें।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब किसी टीचर के दिमाग में यह बात आती है कि वह स्टूडेंट्स का तनाव कैसे दूर करे। यदि टीचर और स्टूडेंट का नाता सिर्फ परीक्षा के समय का है तो इसे करेक्ट करें। दोनों के बीच यह रिश्ता पहले दिन से लेकर परीक्षा आने तक बना रहना चाहिए। ऐसा होगा तो परीक्षा के समय तनाव आएगा ही नहीं। जिस दिन टीचर स्टूडेंट्स का नाता सेलेबस से निकलकर आगे बढ़ेगा तो जरूर दोनों के बीच बातचीत होगी। आपने कई डॉक्टर देखें होंगे। इसमें कई ज्यादा सफल होते हैं। डॉक्टर मरीज की बॉडिंग अच्छी हो तो बीमारी जल्दी ठीक हो जाएगी।
पीएम मोदी ने कहा कि दोस्ती लेन देन के लिए नहीं है। अपने दोस्त से स्पर्धा करें, ईर्ष्या न करें। हमने कई दोस्त देखें हैं कि वह भले ही फेल हो गया लेकिन दोस्त पास है तो मिठाई फेल होने वाला ही बांटता है।
पीएम मोदी ने दिव्यांग बच्चों का उदाहरण देकर बच्चों को प्रेरित किया। पीएम ने कहा कि दोस्त को 90 मिल गए तो आपके लिए 10 ही नहीं बचा। इसलिए दोस्त की प्रगति से परेशान मत होइए बल्कि अपने लिए टारगेट तय कीजिए। अपने से प्रतिभावान दोस्त ढूंढने चाहिए। कभी भी ईष्या भाव मन में नहीं लाना चाहिए। मां बाप हर बार अपने बच्चों को कोसते रहते हैं, दूसरे से तुलना करते हैं। यह बंद करना होगा। कृपा करके मां बाप इन चीजों से बचें। जो मां बाप अपने जीवन में सफल नहीं हुए वे बच्चों का रिपोर्ट कार्ड ही अपना विजिटिंग कार्ड बना लेते हैं। यह नेचर भी बच्चे के मन में गलत भाव भर देता है।
पीएम मोदी ने कहा कि अगर जीवन में चुनौतियां न हों, स्पर्धा न तो जीवन प्रेरणाहीन बन जाएगा। प्रतिस्पर्धा होनी ही चाहिए। कंपीटिशन हेल्दी होना चाहिए। परिवारिक वातावरण में ही तरह के दवाब बना दिए जाते हैं, विकृत स्पर्धा का भाव परिवार के रोजमर्रा के जीवन में बो दिया जाता है। मेरी पैरेंट्स से आग्रह है कि अपने बच्चों की तुलना मत कीजिए। उसी प्रकार से स्कूल में भी तुलनात्मक प्रतिस्पर्धा नहीं होनी चाहिए। सबको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित जरूर करें लेकिन तुलना करके आत्मविश्वास मत कमजोर कीजिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने परीक्षा के तनाव से बचने के लिए कहा कि सबसे पहले खुद को सामर्थ्यवान बनाइए। मन से तय करना होगा। मन तैयार हो गया तो दबाव को आसानी से झेला जा सकता है। मन से संकल्प करें कि इस तनाव से बचना है। पीएम ने कहा कि कई तरह के दबाव हैं। पहला यह कि आप खुद ही अपने ऊपर दबाव बनाना कम करें। धीरे-धीरे आगे बढ़ें। दूसरा मां बाप प्रेशर पैदा करते हैं। ये क्यों नहीं किया, देर से क्यों उठे। दोस्त को देखो। माता पिता की यह कमेंट्री चलती रहती है। तीसरा यह कि कारण कुछ नहीं समझ का अभाव होता है। हम बिना मतलब का प्रेशर ले लेते हैं। इससे बचने के लिए परिवार, टीचर सबको आगे आना होगा।