हम मिलकर हर कार्य करेंगे। इसी आह्वान के साथ राष्ट्रपति जी का धन्यवाद करता हूं। सभी आदरणीय सदस्यों का भी धन्यवाद करता हूं।
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Parliament Session Live Update : कांग्रेस न होती, तो पंडित कश्मीर में होते, इमरजेंसी का कलंक न होता
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद का जवाब दिया। राज्यसभा में अपने भाषण की शुरुआत में ही मोदी ने विपक्षी दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और आनंद शर्मा पर तंज कसा। कहा- खड़गे जी ने कुछ देश के लिए, कुछ दल के लिए, कुछ खुद के लिए काफी कुछ बातें बताई थीं। आनंद शर्मा जी ने भी उनको जरा समय की तकलीफ रही, लेकिन फिर भी उन्होंने कोशिश की है। उन्होंने कहा कि देश की उपलब्धियों को स्वीकारा जाए। मनोज झा जी ने राजनीति से भाषण परे होना चाहिए। जानें, पल-पल का अपडेट
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किशोर कुमार को इंदिरा जी के सामने न झुकने के कारण आपातकाल में निकाल दिया गया था। हम सभी जानते हैं कि एक विशेष परिवार के खिलाफ किसी ने आवाज ऊंची की तो क्या होता है। सीताराम केसरी के बारे में सभी को पता है।
किशोर कुमार को इंदिरा जी के सामने न झुकने के कारण आपातकाल में निकाल दिया गया था। हम सभी जानते हैं कि एक विशेष परिवार के खिलाफ किसी ने आवाज ऊंची की तो क्या होता है। सीताराम केसरी के बारे में सभी को पता है।
लता मंगेशकर जी के निधन से आज पूरा देश दुखी है। उनका परिवार गोवा का है। लेकिन उनके परिवार के साथ कैसा सलूक किया ये भी देश को जानना चाहिए। लता जी के छोटे भाई पंडित हृदय नाथ मंगेशकर जी को ऑल इंडिया रेडियो से निकाल दिया गया। वो इसमें काम करते थे। उनका गुनाह ये था कि उन्होंने वीर सावरकर की एक देशभक्ति से भरी कविता की ऑल इंडिया रेडियो पर प्रस्तुति दी थी। हृदयनाथ जी ने एक इंटरव्यू में यह बताया था। 8 दिन के अंदर उन्हें कविता गाने पर रेडियो से निकाल दिया गया था। ये आपका फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन था।
नेहरू जी ने गोवा को लेकर जो कहा था उसे कोट करता हूं। लाल किले से उन्होंने कहा था कि कोई धोखे में न रहे कि हम वहां फौजी कार्रवाई करेंगे। कोई फोर्स गोवा के पास नहीं है। अंदर के लोग चाहते हैं कि कोई शोर मचाकर ऐसे हालात पैदा करे कि हम मजबूर हो जाएं कि फौज भेजने के लिए। ये उनका 15 अगस्त को गोवा वासियों के लिए नेहरू के बयान हैं। उन्होंने आगे कहा था जो लोग वहां आगे जा रहे हैं, लोहिया जी समेत... उनकाे वहां जाना मुबारक हो। लेकिन ये भी याद रखें जो अपने को सत्याग्रही कहते हैं तो सत्याग्रह के सिद्धांत याद रखें। सत्याग्रही के पीछे खोजे नहीं चलतीं। मोदी ने कहा- देश की आजादी के लिए लड़ने वालों के लिए क्या अंहकार था। गोवा की जनता कांग्रेस के इस रवैये को कभी भूल नहीं सकती।
गोवा मुक्ति को 60 साल हुए। अगर सरदार साहब जिस प्रकार से सरदार पटेल ने हैदराबाद के लिए रणनीति बनाई, जूनागढ़ के लिए कदम उठाया, अगर सरदार साहब की प्रेरणा लेकर गोवा के लिए वैसी ही रणनीति बनाई होती तो गोवा को हिंदुस्तान की आजादी के 15 साल तक गुलाम नहीं रहना होता। उस समय के अखबार उस जमाने की मीडिया रिपोर्ट बताती है कि तबके प्रधानमंत्री अंतरराष्ट्रीय छवि का क्या होगा... ये उनकी सबसे बड़ी चिंता का विषय था। पंडित नेहरू को लगता था कि गोवा की औपनिवेशिक सरकार पर आक्रमण कर उनकी छवि खराब होगी। गोवा को जो होता है होने दो, जो गोवा वाले झेलते हैं झेलने देा। उस समय गोवा पर जो विदेशी चला रहे थे तब हमारे देश के प्रधानमंत्री ने कहा था कि मैं सेना नहीं भेजूंगा। सत्याग्रहियों की मदद करने से उन्होंने इंकार कर दिया था। ये गोवा के साथ कांग्रेस का जुल्म है।
आदिवासियों ने स्वतंत्रता संग्राम में जो योगदान दिया, उसे कोई याद नहीं कर रहा है। महिलाओं का सशक्तीकरण हमारे लिए प्राथमिकता है। 50 प्रतिशत आबादी हमारी माताएं बहनें हैं। महिलाओं को लेकर पहले से चिंतन हो रहा है। हमने मैटरनिटी लीव बढ़ाई। यह सशक्तीकरण का प्रयास है। बेटी बढ़ाओ बेटी पढ़ाओ के चलते पुरुषों से अधिक माताओं-बहनों की संख्या बढ़ रही है। आज एनसीसी में, सेना में, नौसेना में, वायुसेना में बेटियां हैं। तीन तलाक हमने खत्म किया। इसे खत्म करने से बेटियों को ही नहीं उस पिता और भाई को भी न्याय मिलता है जिसकी बेटी या बहन तीन तलाक के कारण घर लौटकर आती है। यह मुस्लिम पुरुषों के लिए भी उपयोगी है क्योंकि वो भी बेटी का पिता या भाई है। कश्मीर में धारा 370 हटने से माताओं-बहनों की ताकत बढ़ी। बेटे-बेटी की शादी की उम्र एक समान क्यों नहीं होनी चाहिए।
हम उनकी मेमोरी को सचेत कर रहे हैं। कुछ लोगों का इतिहास एक परिवार तक सीमित है। 300 साल पर जाएंगे तो शिवाजी का नाम आएगा ही। गौरवपूर्ण इतिहास को भुला देना हमारा दायित्व है। इसी को लेकर हम 25 सालों में देश केा नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।
वह भी एक समय था हम प्राकृतिक संसाधन एक परिवार के खजाने भरते थे। 2005 में हमने पारदर्शी खनिज संसाधन की प्रक्रिया शुरू की। ओपन मार्केेट में सेल्फ बिक्री की। इससे बीते एक साल में माइनिंग रेवेन्यू 14 हजार करोड़ से बढ़कर 35 हजार करोड़ हुआ है। यह राज्यों को मिला है। ओडिशा इस रिफॉर्म को लागू करने में अग्रणी रहा है। ये भी चर्चा हुई कि हम इतिहास बदलने की कोशिश कर रहे हैं। मैं देख रहा हूं कि कांग्रेस अर्बन नक्सल में फंस गई है। उनकी सोच पर अर्बन नक्सलों ने कब्जा कर लिया है। इसी के कारण ये बोल रहे हैं कि इतिहास बदल रहा है। हम कुछ लोगों की याददाश्त ठीक करना चाह रहे हैं।
कांग्रेस न होती तो लोकतंत्र परिवारवादमुक्त होता। कांग्रेस न होती तो सिखों का नरसंहार न होता। कांग्रेस न होती तो क्षेत्रवाद न होता। जीएसटी काउंसिल में सभी राज्यों के वित्त मंत्री निर्णय लेते हैं। हम इसका भी गौरव नहीं करते हैं। क्षेत्रीय न्याय बहुत जरूरी है। हमने एस्पिरेशनल जिले बनाए। इन जिलों को बराबरी का दर्जा देने के लिए ऐसा किया। योजना का विचार भारत सरकार को आया लेकिन एक राज्य को छोड़कर सभी ने अपनाया। 100 से ज्यादा राज्यों को बदलने के लिए सभी सरकारें काम कर रही हैं। सबने मिलकर उत्तम परिणाम दिए हैं। बहुत कम समय में ये जिले औसत से आगे निकल गए हैं। कुछ आकांक्षी जिले जन धन अकाउंट पहले की तुलना में चार गुना ज्यादा खुले।
कांग्रेस न होती, तो पंडित कश्मीर में होते। कांग्रेस न होती, तो इमरजेंसी का कलंक न होता। कांग्रेस ने देश का विकास नहीं होने दिया। कांग्रेस ने होती, तो आज जातिवाद न होता। कांग्रेस न होती, तो लोकतंत्र परिवारवाद से मुक्त होता। हमारी सोच कांग्रेस की तरह संकीर्ण नहीं। हमारी सोच में राष्ट्रवाद है।
ये लोकतंत्र किसी की मेहरबानी से नहीं है। 1975 में लोकतंत्र का गला घोंटा गया। कांग्रेस ने परिवारवाद के आगे कुछ सोचा ही नहीं। लोकतंत्र को सबसे बड़ा खतरा परिवारवादियों से है।
कोरोना में राज्यों को 64000 करोड़ रुपए दिए। कोरोना काल में आयुष मंत्रालय ने अच्छा काम किया। भारत ने अपने फॉर्मा उद्योगों को भी सशक्त किया।
जब कोरोना की ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई गई। सरकार ने प्रेजेंटेशन दिया। लेकिन वो खुद ही नहीं आए। भारतीय वैक्सीन के खिलाफ मुहिम चलाई गई। शरद राव जी आए। टीएमसी सहित सभी दलों के लोग आए। उन्होंने अपने सुझाव दिए। ये मानव संकट को लेकर मीटिंग थी। उसमें भी आपने बहिष्कार किया। पता नहीं आपको कौन सलाह देता है। आपकी कितनी आलोचना हुई। आप दूसरे दिन के अखबार देख लीजिये। हमने आधुनिक चिकित्सा, भारतीय चिकित्सा पद्धति पर काम किया। आज विश्व में हमारे आंध्र तेलंगाना के लोग बताएंगे कि हमारी हल्दी का जो एक्सपोर्ट बढ़ रहा है उसने भारत के लोगों को भारत की उपचार पद्धति के लिए प्रेरित किया है। भारत की ट्रेडिशनल मेडिसिन अपना पहचान बना रही है।
सदन में हमारे एक साथी ने कहा - Vaccination is not a nig deal मैं यह देखकर हैरान हूं। कुछ लोगों को भारत की इतनी बड़ी उपलब्धि उपलब्धि नहीं लग रही है। हमारे देश के नागरिकों की रक्षा करने के लिए जितना भी हमारी शक्ति थी।
मोदी ने कहा कि आईटी सेक्टर में 27 प्रतिशत नौकरियां बढ़ी हैं। विपक्ष को निराशाजनक तस्वीर पेश करने में आनंद आता है। 2014 में जो जनता ने रोशनी की, उसमें किसी की आंखों चली गईं। उनको पुराने दिन ही दिखते हैं। हमारे यहां शास्त्रों में कहा गया है कि महाजन लोग बड़े लोग जिस पद पर जाते हैं वही मार्ग अनुकरणीय होता है। इस सदन में एक बात कहना चाहता हूं, जनप्रतिनिध अपने आप में छोटा हो बड़ा हो नेतृत्व करता है। जो भी उसका कमांड एरिया होगा वहां के लोग उसको देखते हैं। अब ऐसा सोचना ठीक नहीं है कि हम सत्ता में हैं तो लीडर हैं। लीडर अगर इस प्रकार से निराशा से भरा होगा तो क्या होगा भाई... यहां बैठे तभी देश की चिंता होती है, लेकिन क्षेत्र में जाकर चिंता नहीं होती है।
मेन्युफैक्चरिंग बढ़ने से भारत के ग्लोबल एक्सपोर्ट में वृद्धि हुई। इसका लाभ रोजगार के क्षेत्र में हुआ। 2021 में भारत में जितने यूनिकॉर्न बने, वह पहले बने कुल यूनिकॉर्न में से ज्यादा हैं। और यह सब रोजगार में नहीं आता है तो फिर तो रोजगार से ज्यादा राजनीति की चर्चा ही मानी जाती है। कई माननीय सदस्यों ने महंगाई की चर्चा की है। कोरोना की भयंकर महामारी ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है। अमेरिका में 40 साल में सबसे अधिक महंगाई का दौर है। ब्रिटेन 30 साल में सबसे अधिक महंगाई की मार से परेशान है। दुनिया के 19 देशों में जहां यूरो करंसी है वहां महंगाई की दर उच्चतम है। ऐसे माहौल में भी महामारी के दबाव के बावजूद हमने महंगाई को एक लिवर पर रोकने का बहुत प्रयास किया है। महंगाई 5.5 प्रतिशत के आसपास थी। इसकी तुलना यूपीए के दौर से करें तो पता चलेगा कि महंगाई होती क्या है। तब महंगाई डबल डिजिट्स छू रही थी।
2021 में लगभग 1 करोड़ 20 लाख नए लोग ईपीएफओ के पैरोल पर जुड़े। ये सारे फॉर्मल जॉब्स हैं। इनमें भी 60 से 65 लाख 18 से 25 साल के हैं। ये उम्र पहली जॉब की है। यानी पहली बार उनकी जॉब मार्केट में एंट्री हुई है।
दुनिया के 150 देशों को दवाएं पहुंचाने से लेकर हर काम में भारत ने एक लीडरशिप के रोल में काम किया। जब संकट का काल होता है चुनौतियां अपार होती हैं, विश्व की हर शक्ति अपने बचाव में लगी होती हैं तो ऐसे काल में संकट से बाहर निकालना बहुत बड़ा काम होता है। उन्होंने अटल जी की कविता पढ़ी- व्याप्त हुआ बर्बर अंधियारा, किन्तु चीरकर तमकी छाती, चमका हिंदुस्तान हमारा। शत-शत आघातों को सहकर, जीवित हिंदुस्तान हमारा। जग के मस्तर पर रोली सा, शोभित हिंदुस्तान हमारा।
जम्मू कश्मीर हो या नॉर्थ ईस्ट, हर जगह विकास की यात्रा को आगे बढ़ाया। हमारे देश के युवाओं ने खेल जगह में जिस तरह युवाओं ने प्रदर्शन किया उसने देश का गौरव बढ़ाया। इसी कोरोना काल में आज जब हमारे देश का युवा स्टार्टअप एक पहचान बन गई है। इसी कारण युवा स्टार्टअप की दुनिया में टॉप थ्री पर पहुंच गए हैं।