सार

Fuel Price Hike : रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच कच्चे तेल की कीमतें पिछले हफ्ते की शुरुआत में 140 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थीं। हालांकि, अब कीमतें 102 डॉलर प्रति बैरल के आसपास आ गई हैं। वित्त राज्य मंत्री ने संसद में बताया कि 4 नवंबर, 2021 से पेट्रोल और डीजल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में क्रमशः 5 रुपए प्रति लीटर और 10 रुपए प्रति लीटर की कटौती की गई थी। जरूरत होगी तो सरकार हस्तक्षेप करेगी। 

नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन युद्ध (Russia ukraine war) और तेल की कीमतों को लेकर केंद्र सरकार ने मंगलवार को राज्यसभा में जवाब दिया। संसद में पूछा गया था कि क्या यूक्रेन संकट के कारण तेल की बढ़ती कीमतें नियंत्रित करने के लिए सरकार उत्पाद शुल्क में कटौती करेगी। इसके जवाब में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी (Pankaj Choudhary) ने कहा किकच्चे तेल (Crude Oil) और प्राकृतिक गैस, ईंधन और बिजली उपसमूह का कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव से सीधा संबंध है। सरकार सभी मुद्दों और घटनाक्रमों पर नजर रख रही है। आम आदमी के हितों की रक्षा के लिए जब भी जरूरत होगी, सरकार सुविचारित हस्तक्षेप करेगी। गौरतलब है कि देश की तेल कंपनियां कच्चे तेल की कीमतों के आधार पर रोज पेट्रोल-डीजल के दाम निर्धारित करती हैं।

भारत में जरूरत का 85 फीसदी क्रूड होता है निर्यात 
भारत अपनी तेल जरूरतों का लगभग 85 प्रतिशत कोटा विदेशों से खरीदता है। एशिया में तेल की ऊंची कीमतों से प्रभावित होने वाले देशों में भारत सबसे ऊपर गिना जाता है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच कच्चे तेल की कीमतें पिछले हफ्ते की शुरुआत में 140 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थीं। हालांकि, अब कीमतें 102 डॉलर प्रति बैरल के आसपास आ गई हैं। मंत्री ने बताया कि 4 नवंबर, 2021 से पेट्रोल और डीजल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में क्रमशः 5 रुपए प्रति लीटर और 10 रुपए प्रति लीटर की कटौती की गई थी। राज्य सरकारों ने भी वैट घटाए हैं। नवंबर 2021 से डीजल और फ्यूल की कीमतों में संशोधन नहीं किया गया है।

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आयुष्मान भारत के किसी लाभार्थी को इलाज देने से इंकार नहीं किया गया : सरकार 
केंद्र सरकार ने मंगलवार को बताया कि आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Scheame) के तहत किसी भी लाभार्थी को इलाज देने से इंकार नहीं किया गया। राज्यों की मांग में कमी के कारण योजना के संशोधित बजट में कमी की गई है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री भारती पवार ने मंगलवार को राज्यसभा में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 2019-20, 2020-21 और 2021-22 में इस योजना का बजट अनुमान 6,400 करोड़ रुपए था, जो संशोधित अनुमान में क्रमश: 3,200 करोड़ रुपए, 3,100 करोड़ रुपए और 3,199 करोड़ रुपए रहा। उन्होंने बताया कि पैसे के उपयोग के आधार पर बजटीय आवंटन की समीक्षा की जाती है। राज्यों की कम जरूरत या मांग में कमी के कारण संशोधित अनुमान को घटा दिया गया है। मंत्री ने कहा कि 7 मार्च, 2022 तक आयुष्मान भारत योजना के तहत रजिस्टर्ड अस्पतालों में कोविड-19 के इलाज के लिए करीब 8.74 लाख मरीजों की अस्पतालों में भर्ती हुई। इसके एवज में 30.60 करोड़ रुपए आवंटित किए गए। योजना के किसी लाभार्थी को पैसे की कमी के चलते इलाज देने से नहीं मना किया गया।  

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