सार
Supreme Court वकील एमएल शर्मा, माकपा सांसद जॉन ब्रिटास, पत्रकार एन राम, पूर्व आईआईएम प्रोफेसर जगदीप चोककर, नरेंद्र मिश्रा, परंजॉय गुहा ठाकुरता, रूपेश कुमार सिंह, एसएनएम आब्दी, पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया सहित 12 याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।
नई दिल्ली। पेगासस जासूसी कांड पर सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी जांच की याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर ली है। एपेक्स कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है। सुप्रीम कोर्ट एक-दो दिनों में अपना फैसला सुनाएगा।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार इस मुद्दे को सनसनीखेज बनाने का जोखिम नहीं उठा सकती। नागरिकों की निजता की रक्षा करना भी सरकार की प्राथमिकता है लेकिन साथ ही सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा को बाधित नहीं कर सकती। इंटरसेप्शन किसी तरह गैर कानूनी नहीं है, इन सबकी जांच एक विशेषण समिति से कराने दें।
केंद्र ने कहा कि हम जानकारी सार्वजनिक नहीं कर सकते
केंद्र ने कहा कि हम हलफनामे के जरिए ये जानकारी सार्वजनिक नहीं कर सकते। अगर मैं कहूं कि मैं किसी विशेष सॉफ्टवेयर का उपयोग नहीं रहा हूं या इसका उपयोग नहीं कर रहा हूं तो यह आतंकवादी तत्वों को एक तरह से मौका मिल जाएगा।
किसने की मामले की सुनवाई?
पेगासस जासूसी कांड की सुनवाई CJI एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने की है।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस मुद्दे पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से नाराजगी जताई है। मुख्य न्यायाधीश रमना ने कहा कि आप बार-बार उसी बात पर वापस जा रहे हैं। हम जानना चाहते हैं कि सरकार क्या कर रही है। हम राष्ट्रीय हित के मुद्दों में नहीं जा रहे हैं। हमारी चिंता लोगों के के बारे में है।
कोर्ट ने कहा-आपके मंत्री के बयान के आधार पर ही बात कर रहे
कोर्ट ने कहा कि संसद में आपके अपने आईटी मंत्री के बयान के अनुसार कि फोन का तकनीकी विश्लेषण किए बिना आकलन करना मुश्किल है। उन्होंने 2019 में तत्कालीन आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद के बयान का हवाला दिया जिसमें भारत के कुछ नागरिकों की जासूसी का अंदेशा जताया गया था।
वर्तमान मंत्री के बयान का हवाला सरकार की ओर से दिया गया
सॉलिसिटर जनरल मेहता ने वर्तमान आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव के संसद में दिए बयान का हवाला देते हुए कहा कि सरकार ने किसी भी तरह की जासूसी का खंडन किया है।
कोर्ट ने कहा हमने बारबार मौका दिया, अब आदेश देंगे
सीजेआई ने आगे कहा कि हमने केंद्र को हलफनामे के लिए बार-बार मौका दिया। अब हमारे पास आदेश जारी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। कमेटी नियुक्त करना या जांच करना यहां सवाल नहीं है अगर आप हलफनामा दाखिल करते हैं तो हमे पता चलेगा कि आपका स्टैंड क्या है।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि पिछली बार हमने स्पष्ट किया था कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में किसी की दिलचस्पी नहीं है। हम आपसे केवल यही सीमित हलफनामा दाखिल करने की उम्मीद कर रहे थे। हमारे सामने ऐसे नागरिक हैं जो अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगा रहे हैं। ये सभी मुद्दे अनुच्छेद 21 के तहत निजता के अधिकार के उल्लंघन का आरोप लगाने वाले नागरिकों के वर्ग तक सीमित हो सकते हैं।
याचिकाकर्ता एन राम के लिए कपिल सिब्बल ने कहा कि ये सरकार की ज़िम्मेदारी है कि वो जवाब दे। नागरिकों की निजता का संरक्षण करने सरकार का कर्तव्य है। स्पाइवेयर पूरी तरह अवैध है। अगर सरकार अब कहती है कि हलफनामा दाखिल नहीं करेगी तो माना जाना चाहिए कि पेगासस का अवैध इस्तेमाल हो रहा है।
इस मामले की 12 याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा सुप्रीम कोर्ट
कोर्ट वकील एमएल शर्मा, माकपा सांसद जॉन ब्रिटास, पत्रकार एन राम, पूर्व आईआईएम प्रोफेसर जगदीप चोककर, नरेंद्र मिश्रा, परंजॉय गुहा ठाकुरता, रूपेश कुमार सिंह, एसएनएम आब्दी, पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया सहित 12 याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।
वहीं, केंद्र सरकार का बार-बार यह कहना था कि सुरक्षा उद्देश्यों के लिए फोन को इंटरसेप्ट करने के लिए किस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया, इसका सार्वजनिक तौर पर खुलासा नहीं किया जा सकता। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि सुरक्षा और सैन्य एजेंसियों द्वारा राष्ट्रविरोधी और आतंकवादी गतिविधियों की जांच के लिए कई तरह के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाता है।
उन्होंने कहा कि कोई भी सरकार यह सार्वजनिक नहीं करेगी कि वह किस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रही है ताकि आतंकी नेटवर्क अपने सिस्टम को मॉडिफाई कर सकें और ट्रैकिंग से बच सकें।
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