सार
पाकिस्तान की नई सरकार के लिए महंगाई बड़ी चुनौती है। वहां के ऑयल एवं गैस नियामक ने पेट्रोल की कीमतें 120 रुपए बढ़ाने की सिफारिश की है। शनिवार से यह कीमतें लागू भी हो सकती हैं। उधर, दुनियाभर के तमाम देश फॉसिल फ्यूूल को खत्म करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
इस्लामाबाद। पाकिस्तान (Pakistan) में इमरान खान की पीटीआई (PTI) सरकार गिरने के कुछ ही दिन बाद तेल एवं गैस नियामक प्राधिकरण (OGRA) ने पेट्रोलियम उत्पादों में 120 पाकिस्तानी (Petrol price hike in Pakistan) रुपए तक की वृद्धि का सुझाव दिया है। यह कल से प्रभावी हो जाएगा। अभी पाकिस्तान में पेट्राेल 150 पाकिस्तानी रुपए में बिक रहा है। 120 रुपए की वृद्धि के बाद देश में पेट्रोल की कीमत 270 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच जाएगी। गौरतलब है कि इमरान सरकार के खिलाफ अविश्वास से पहले देश में महंगाई अहम मुद्दा था। अब पेट्रोल पर रिकॉर्ड टैक्स लगाकर देश की जनता को फिर बड़ा झटका दिया जा रहा है।
इमरान ने 30 जून तक कीमतें बढ़ाने पर लगाई थी रोक
पाकिस्तानी मीडिया हाउस द डॉन ने OGRA के सूत्रों के हवाले से बताया कि सरकार को 15 अप्रैल को होने वाली अगले पखवाड़े की समीक्षा के लिए मूल्य वृद्धि के दो विकल्प दिए गए थे। दोनों में ही कीमतें बढ़ाई जानी है। अब पाकिस्तान के नए पीएम शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) को फैसला करना है कि इमरान सरकार द्वारा 28 फरवरी को कीमतें बढ़ाने पर लगाई गई चार-माह (30 जून तक) खत्म हो जाएगी या नहीं। इमरान के नेतृव्व वाली पाकिस्तानी सरकार ने मार्च के लिए तेल विपणन कंपनियों को पेमेंट के लिए 31 अरब रुपए से थोड़ा अधिक की मंजूरी दी थी, लेकिन अप्रैल के पहले पखवाड़े के लिए 34 अरब रुपए की राशि अब तक बजट में न तो स्वीकार की गई है और न ही आवंटित की गई है।
भारत समेत कई देश फॉसिल फ्यूल के विकल्पों पर कर रहे काम
भारत, दक्षिण अफ्रीका, चीन और ब्राजील जैसे देश फाॅसिल फ्यूल (Fossil Fuel) से दूरी बनाने और पर्यावरण के अनुकूल ईंधन पर काम कर रहे हैं। भारत में भी इस दिशा में तेजी से काम हो रहा है। ई-व्हीकल, एथेनॉल जैसे विकल्पों की तरफ सरकार बढ़ रही है। दरअसल, तेजी से बढ़ती पेट्रोल-डीजल की कीमतें लोगों का बजट बिगाड़ने लगी हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine war) का असर कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ा, जिसके बाद यह 139 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था। हालांकि, अब इसमें कमी आई है।
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84 फीसदी लोग फॉसिल फ्यूल छोड़ने के पक्ष में
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (World econimic forum) के लिए फ्रांस की मार्केट रिसर्च फर्म इप्सोस (Ipsos) द्वारा कराए गए एक अध्ययन में सामने आया है कि 84 प्रतिशत लोग कोयला और कैच्चे तेल को चरण बद्ध तरीके से खत्म करने के पक्ष में हैं। यह सर्वे 30 देशों के 22 हजार से अधिक लोगों पर किया या। हालांकि, ऐसे देश भी हैं, जिनमें बड़ी संख्या में लोगों ने अभी फॉसिल फ्यूल नहीं छोड़ने की बात कही। ऐसे जवाब यूनाइडेड किंगडम (UK) और संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) और रूस (Russia) से आए हैं। ईंधन की बढ़ती कीमतों को देखते हुए 55 प्रतिशत लोगों ने कहा कि कीमतों में वृद्धि ऐसे ही जारी रहती है, हमारी परचेजिंग पावर पर असर पड़ेगा।
फॉसिल फ्यूल के खिलाफ किन देशों के कितने लोग
देश | लोगों का प्रतिशत |
साउथ अफ्रीका | 93% |
चीन | 90% |
ब्राजील | 89% |
भारत | 89% |
सऊदी अरब | 85% |
यूके | 81% |
अमेरिका | 75% |
रूस | 72% |
अन्य 30 देश | 84% |
स्रोत : IPSOS |
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