सार

केरल के कोझिकोड एयरपोर्ट पर शुक्रवार को एयर इंडिया एक्सप्रेस का विमान हादसे का शिकार हो गया। इस हादसे में दोनों पायलटों समेत 18 लोगों की मौत हो गई थी। जांच की वजहों का पता लगाने के लिए डीजीसीए और अन्य एजेंसियों ने जांच शुरू कर दी है।

तिरुअनंतपुरम. केरल के कोझिकोड एयरपोर्ट पर शुक्रवार को एयर इंडिया एक्सप्रेस का विमान हादसे का शिकार हो गया। इस हादसे में दोनों पायलटों समेत 18 लोगों की मौत हो गई थी। जांच की वजहों का पता लगाने के लिए डीजीसीए और अन्य एजेंसियों ने जांच शुरू कर दी है। जांच एजेंसियों ने ब्लैक बॉक्स भी खोज लिया है, अब इसी से हादसे की वजहों का पता लगाया जा रहा है। इसके अलावा एविएशन से जुड़े कई एक्सपर्ट्स और पायलट्स ने भी हादसे को लेकर अपनी राय दी है। हालांकि, अभी हादसे की वजह का सही आकलन करना थोड़ा मुश्किल है। 

विमान दुर्घटना की जांच कर रहे नागरिक उड्डयन महा-निदेशालय(डीजीसीए) के अफसरों के मुताबिक, टेबल टॉप रनवे पर विमान को जिस तय जगह पर लैंड करना था, वह उससे एक किमी आगे उतरा। इसके बाद विमान संतुलन खो बैठा और खाई में जा गिरा। हालांकि, अफसरों का कहना है कि रनवे की लंबाई विमान को सुरक्षित रूप से रोकने के लिए पर्याप्त थी।  हालांकि यह स्पष्ट है कि रनवे की सतह गीली थी। इसे ही विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की मुख्य वजह माना जा सकता है। 


 

क्या टाला जा सकता था हादसा?
हाल ही में एक फ्लाइट ट्रैकिंग ऐप फ्लाइटरडार-24 पर एक एनीमेटेड वीडियो सामने आया है। इसके मुताबिक, एयर इंडिया एक्सप्रेस IX-1344 ने एक बार लैंडिंग की कोशिश को निरस्त कर दिया था। लेकिन इसके बाद और तेज गति से लैंडिंग का प्रयास किया गया। यह औसत से काफी तेज थी। इस वीडियो के सामने आने के बाद कई विशेषज्ञों का मानना है कि इस घटना को टाला भी जा सकता था।  




इस स्पीड के साथ नहीं छू सकते रनवे- विशेषज्ञ
हवाई सुरक्षा विशेषज्ञ कैप्टन अमित सिंह ने हादसे को लेकर कहा, विमान की गति, रनवे की लंबाई और मौसम के मुताबिक आदर्श गति नहीं थी। इस गति के साथ रनवे को नहीं छू सकते। खासकर टेबल टॉप रनवे पर। 

कुछ रिपोर्ट के अनुसार पायलट ने रनवे के विपरीत दूसरे छोर से उतरने की अनुमति के लिए भी ट्रैफिक कंट्रोल से पूछा था। लेकिन हवा का दबाव इतना ज्यादा था कि वे ऐसा करने के लिए सक्षम नहीं हो सके।

निष्कर्ष निकालने से पहले जांच का करें इंतजार- उड्डयन मंत्री
हादसे के वक्त जो पायलट विमान उड़ा रहे थे, वे काफी अनुभवि थे। बताया जा रहा है कि उनमें से एक तो एयर फोर्स में भी विंग कमांडर रह चुके हैं। वहीं, नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, हमें हादसे में निष्कर्ष निकालने से पहले जांच का इंतजार करना चाहिए। उन्होंने कहा, दुर्घटनाग्रस्त विमान में पर्याप्त ईंधन था। 




क्या होता है ब्लैक बॉक्स, कैसे पता चलेगी हादसे की वजह?
ब्लैक बॉक्स कलर की इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्डिंग डिवाइस होती है। यह स्टील या टाइटेनियम से बनी होती है। विमान क्रैश होने के बाद इसी की जांच से हादसे की सही वजह का पता चलता है। ब्लैक बॉक्स में लगी डिवाइसों में हर सेकंड हवा की स्पीड, ऊंचाई, ऊपर जाने की स्पीड और फ्यूल फ्लो जैसी 80 गतिविधियां रिकॉर्ड होती हैं। इसके अलावा इसमें  पायलटों की आपसी बातचीत, एयर ट्रैफिक कंट्रोल से हुई बातचीत भी रिकॉर्ड होती है। ब्लैक बॉक्स में 25 घंटे का रिकॉर्डिंग स्टोरेज रहता है।