सार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi) 20 और 21 जून को कर्नाटक दौरे पर हैं। प्रधानमंत्री बेंगलुरु में 27,000 करोड़ रुपये से अधिक की कई रेल और सड़क बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करने यहां पहुंचे। पीएम ने बेंगलुरु में सेंटर फॉर ब्रेन रिसर्च (सीबीआर) का उद्घाटन किया। उन्होंने बागची-पार्थसारथी मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल की आधारशिला रखी।
नई दिल्ली.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi) 20 और 21 जून को कर्नाटक दौरे पर हैं। प्रधानमंत्री बेंगलुरु में 27,000 करोड़ रुपये से अधिक की कई रेल और सड़क बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करने यहां आए। मोदी ने बेंगलुरु में सेंटर फॉर ब्रेन रिसर्च (सीबीआर) का उद्घाटन किया। बागची-पार्थसारथी मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल की आधारशिला रखी। जानिए पूरा कार्यक्रम...
20 जून का PM मोदी का प्रोग्राम
भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) बेंगलुरु में सेंटर फॉर ब्रेन रिसर्च (सीबीआर) का उद्घाटन और बागची-पार्थसारथी मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल की आधारशिला। डॉ. बीआर अंबेडकर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (बेस) बेंगलुरु में बेस यूनिवर्सिटी के नए परिसर का उद्घाटन और डॉ. बीआर अंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण। राष्ट्र को 150 'प्रौद्योगिकी केन्द्र' भी समर्पित,जिन्हें कर्नाटक में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) में बदलाव लाते हुए विकसित किया गया है। बेंगलुरु के कोम्मघट्टा मंे 27000 करोड़ रुपये से अधिक की कई रेल और सड़क बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास। मैसूर के महाराजा कॉलेज ग्राउंड में एक सार्वजनिक समारोह में नागनहल्ली रेलवे स्टेशन पर कोचिंग टर्मिनल की आधारशिला और अखिल भारतीय भाषण और श्रवण संस्थान (एआईआईएसएच) में 'संचार विकार से युक्त दिव्यांगों के लिए एक उत्कृष्टता केंद्र' राष्ट्र को समर्पित। मैसूर के श्री सुत्तूर मठ के अलावा मैसूर के श्री चामुंडेश्वरी मंदिर की विजिट।
PM मोदी का 21 जून का प्रोग्राम
प्रधानमंत्री 8वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर 21 जून की सुबह लगभग छह बजकर 30 मिनट पर मैसूर पैलेस मैदान में सामूहिक योग प्रदर्शन में शामिल होंगे। इस प्रोग्राम में हजारों लोग शामिल होंगे। आजादी के अमृत महोत्सव को 8वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के समारोह के साथ जोड़कर मैसूर में प्रधानमंत्री द्वारा योग प्रदर्शन के साथ-साथ 75 केंद्रीय मंत्रियों के नेतृत्व में देश भर में 75 प्रतिष्ठित स्थानों पर सामूहिक योग प्रदर्शन भी होंगे।
जानिए कुछ प्रोजेक्ट्स की खास बातें
बेंगलुरु उपनगरीय रेल परियोजना (बीएसआरपी) शहर को उसके उपनगरों और उनसे जुड़ी टाउनशिप से जोड़ेगी। इस परियोजना को 15,700 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से तैयार किया जाएगा और इसमें 4 कॉरिडोर की परिकल्पना की गई है। इसकी कुल लंबाई 148 किलोमीटर से अधिक है।
बेंगलुरू कैंट और यशवंतपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन के रीडेवलपमेंट पर क्रमशः 500 करोड़ रुपये और 375 करोड़ रुपये खर्च होंगे। बैयप्पनहल्ली में भारत का पहला वातानुकूलित रेलवे स्टेशन-सर एम विश्वेश्वरैया रेलवे स्टेशन राष्ट्र को समर्पित होगा, जिसे लगभग 315 करोड़ रुपये की कुल लागत से आधुनिक हवाई अड्डे की तर्ज पर विकसित किया गया है।
उडुपी, मडगांव और रत्नागिरी से इलेक्ट्रिक ट्रेनों की शुरुआत। रोहा (महाराष्ट्र) से ठोकुर (कर्नाटक) तक कोंकण रेलवे लाइन (लगभग 740 किलोमीटर) के 100 प्रतिशत विद्युतीकरण। कोंकण रेलवे लाइन का विद्युतीकरण 1280 करोड़ से अधिक की लागत से किया गया है।
दो रेलवे लाइनों के दोहरीकरण की परियोजनाओं-अर्सीकेरे से तुमकुरु (लगभग 96 किमी) और येलहंका से पेनुकोंडा (लगभग 120 किमी) के लिए यात्री ट्रेनों और एमईएमयू सेवा को हरी झंडी। इन दो रेलवे लाइन दोहरीकरण परियोजनाओं को क्रमशः 750 करोड़ रुपये और 1100 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित किया गया है।
बेंगलुरू रिंग रोड परियोजना के दो खंडों की आधारशिला। 2280 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित होने वाली इस परियोजना से शहर में यातायात की भीड़ को कम करने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री कई अन्य सड़क परियोजनाओं जैसे एनएच-48 के नेलामंगला-तुमकुर खंड को छह लेन का बनाना; एनएच-73 के पुंजालकट्टे-चारमाड़ी खंड का चौड़ीकरण; एनएच-69 के एक खंड का पुनर्वास और उन्नयन का भी शिलान्यास। इन परियोजनाओं में होने वाली लागत लगभग 3150 करोड़ रुपये है। लगभग 1800 करोड़ रुपये की लागत से बेंगलुरु से लगभग 40 किलोमीटर दूर मुद्दलिंगनहल्ली में विकसित किए जा रहे मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क की आधारशिला।
नागनहल्ली रेलवे स्टेशन पर उप-शहरी यातायात के लिए कोचिंग टर्मिनल की आधारशिला, जिसे 480 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित किया जाएगा। कोचिंग टर्मिनल में एक मेमू शेड भी होगा और मौजूदा मैसूर यार्ड से भीड़भाड़ कम होगी, जिससे मैसूर से अधिक मेमू ट्रेन सेवाओं और लंबी दूरी की ट्रेनों को चलाने में सुविधा होगी। इससे क्षेत्र की कनेक्टिविटी और पर्यटन क्षमता दोनों में सुधार होगा।
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