सार
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम इस्लाम और मुसलमान विरोधी नहीं हैं। धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता। गरीब मुसलमानों को आरक्षण का लाभ मिल रहा है।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने TIMES NOW को दिए इंटरव्यू में भाजपा के खिलाफ चलाए जा रहे एंटी मुस्लिम नैरेटिव पर बात की है। उन्होंने कहा है कि भाजपा इस्लाम या मुसलमान विरोधी नहीं है। धर्म के आधार पर आरक्षण की व्यवस्था नहीं हो सकती। गरीब मुसलमानों को आरक्षण का लाभ मिल रहा है।
नरेंद्र मोदी ने कहा, "ना हम इस्लाम के विरोधी हैं, न हम मुसलमान के विरोधी हैं। हमारा ये काम नहीं है। जहां तक गाली देते हैं। ये नेहरू के जमाने से नैरेटिव बना हुआ है। इस प्रकार से गाली देने का। पहले गाली देते थे क्योंकि कम मेहनत में ज्यादा मुनाफे वाला काम था। गाली दे दो कि ये मुसलमान का दुश्मन है, आप बिना कुछ किए मुसलमान के मित्र बन जाते हो। मुफ्त में फायदा मिलता है, इसलिए उन्होंने ये भय का वातावरण बना रखा है। फायदे के लिए यह दुकान चलाई जा रही है।"
उन्होंने कहा, "मुसलमान समाज अब समझ रहा है। जब मैं तीन तलाक की परंपरा खत्म करता हूं तो मुस्लिम बहनों को लगता है कि यह सही आदमी है। मैं जब आयुष्मान कार्ड और कोविड का टीका देता हूं तो उसे लगता है कि यह सही आदमी है। हमारे साथ कोई भेदभाव नहीं कर रहा है। इनकी परेशानी ये है कि उनका झूठ अब पकड़ा जा रहा है। इसलिए अब उन्हें बिना सिर पैर के झूठ बोलना पड़ रहा है।"
धर्म के आधार पर हो रहा वोट बैंक का खेल
पीएम ने कहा, "धर्म के आधार पर वोट बैंक के खेल खेले जाते हैं। इस बार उन्होंने (कांग्रेस) ने अपने घोषणापत्र में कहा है कि हम जो ठेके देंगे वो इस पद्धति से देंगे। ये देश ऐसे कैसे चल सकता है। ठेका क्षमता, श्रोत, अनुभव, ट्रैक रिकॉर्ड जैसी चीजें देखकर दिया जाता है। अब आप कहते हैं कि उसमें भी आरक्षण होगा। वो अल्पसंख्यक के लिए आरक्षण होगा।"
उन्होंने कहा, "जब अटल जी की सरकार थी तब भी हमारे घोषणापत्र में राम मंदिर, 370 और यूसीसी रहता था। मोदी की सरकार है जो काम हो गया वो नहीं रहता, जो बाकी है वो रहता है। मैं कहता हूं कि मुझे सरकारी योजनाओं का सैचुरेशन करना है। मतलब गांव में 50 लोग हैं, जिनको घर मिलना चाहिए तो सभी 50 को मिलना चाहिए 49 को नहीं। उसमें सब समाज और धर्म आ जाएंगे।"
मुस्लिम समाज आत्ममंथन कीजिए
पीएम मोदी ने कहा, "करीब-करीब 25 साल हो गए मुझे सरकार चलाते हुए। गुजरात में पहले दंगे होते थे। 2002 के बाद गुजरात में एक भी दंगा नहीं हुआ। मैं मुस्लिम समाज को कह रहा हूं, उनके पढ़े-लिखे लोगों को कहता हूं। आत्ममंथन कीजिए। सोचिए, देश इतना आगे बढ़ रहा है, अगर कमी आपके समाज में महसूस होती है तो क्या कारण है। सरकार की व्यवस्थाओं का लाभ कांग्रेस के जमाने में आपको क्यों नहीं मिला? क्या कांग्रेस के कालखंड में आप इस दुर्दशा के शिकार हुए हो क्या? आत्ममंथन कीजिए और एक बार तय कीजिए। आपके मन में है कि सत्ता में हम बिठाएंगे, हम उतारेंगे, उसमें आप अपने बच्चों का भविष्य खराब कर रहे हो।"
दुनिया में बदल रहा मुसलमान समाज
पीएम ने कहा, "मुसलमान समाज दुनिया में बदल रहा है। आज मैं गल्फ के देशों में जाता हूं। इतना सम्मान मुझे व्यक्तिगत रूप से मिलता है और भारत को भी मिलता है। हमारे यहां विरोध हो रहा है। सऊदी अरब में योग आधिकारिक सिलेबस का विषय है। यहां मैं योग की बात करूं तो आप एंटी मुस्लिम कहते हो। मैं गल्फ के देशों में जाता हूं। सारे अमीर लोग मेरे साथ बैठते होंगे लंच या डिनर में जरूर मुझसे योग के विषय में पूछते हैं। कहते हैं मोदी जी इसकी ट्रेनिंग कैसे लें। अमीर कहते हैं कि पत्नी योग सीखने भारत जाती है। यहां योग को भी हिंदू-मुसलमान बना दिया। मैं मुसलमान समाज से आग्रह पूर्वक कहता हूं। कम से कम अपने बच्चों की जिंदगी का तो सोचो। अपना भविष्य तो सोचो। मैं नहीं चाहता कि कोई समाज बंधुआ मजदूर की तरह जिंदगी जीए, क्योंकि कोई डरा रहा है।"
धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए
नरेंद्र मोदी ने कहा, "जिस समय संविधान बन रहा था, देश के गणमान्य लोग संविधान सभा में बैठे थे। सभी संप्रदाय के लोग थे। सभी ने मिलकर फैसला किया कि भारत जैसे देश में धर्म के आधार पर आरक्षण नुकसान करेगा। यह लंबी सोच के लिए ठीक नहीं है। जहां तक दलित और आदिवासियों का मामला है तो एक सामाजिक व्यवस्था पिछले सैकड़ों वर्षों में समाज में विकृतियां आईं। जिस प्रकार से छूत-अछूत का भाव पैदा हो गया। ऊंच-नीच का भाव पैदा हो गया। समाज के एक बहुत बड़े वर्ग के साथ जन्म के आधार पर भेदभाव हुआ तो उसका प्रायश्चित करना जरूरी था। ये फैसला भी सनातनियों ने किया है। संविधान सभा में जो बैठे थे सब सनातनी थे।"
उन्होंने कहा, “नेहरू जी जैसे कुछ अपवाद हो सकते हैं जो अपने आप को इससे ऊपर मानते हों। राजेंद्र बाबू टीका करके बैठते थे। उन्होंने ये फैसला किया था कि हमें प्रायश्चित करना है और आरक्षण देना है। मैं उस भावना से जुड़ा हुआ हूं। मैं संविधान की उस स्पिरिट को जीना चाहता हूं। इसलिए मैं पहले दिन से कहा रहा हूं कि धर्म के आधार पर मुसलमान को आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए। इसका यह मतलब नहीं है कि मुसलमान को इसका लाभ नहीं मिलेगा। हमने जब संसद में सामान्य जाति के गरीब लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की तो कोई झगड़ा नहीं हुआ। गरीब मुसलमानों को इसका लाभ मिलता है। हम किसी का हक नहीं छीन रहे है, लेकिन धर्म को आधार मानने से रोक रहे हैं। हम मुसलमान को आरक्षण नहीं देंगे ऐसा नहीं कह रहा हूं। मैं कहता हूं धर्म के आधार पर व्यवस्था नहीं हो सकती।”