सार
5 लड़ाकू विमान राफेल बुधवार को भारत आ गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खास अंदाज में राफेल का स्वागत किया। पीएम मोदी ने अंबाला में राफेल की लैंडिंग का वीडियो शेयर किया। इतना ही नहीं उन्होंने संस्कृत में एक संदेश भी लिखा।
नई दिल्ली. 5 लड़ाकू विमान राफेल बुधवार को भारत आ गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खास अंदाज में राफेल का स्वागत किया। पीएम मोदी ने अंबाला में राफेल की लैंडिंग का वीडियो शेयर किया। इतना ही नहीं उन्होंने संस्कृत में एक संदेश भी लिखा। साथ ही पीएम ने भारतीय वायु सेना का ध्येय वाक्य 'नभः स्पृशं दीप्तम' यानी 'आप का रूप आकाश तक दमक रहा है' भी लिखा।
पीएम मोदी ने ट्वीट किया, राष्ट्ररक्षासमं पुण्यं, राष्ट्ररक्षासमं व्रतम्, राष्ट्ररक्षासमं यज्ञो, दृष्टो नैव च नैव च।। इसका मतलब होता है, राष्ट्र की रक्षा के समान कोई पुण्य नहीं है। राष्ट्र की रक्षा से बढ़ा कोई व्रत नहीं है, राष्ट्र रक्षा से बढ़कर कोई यज्ञ नहीं है।
वाटर कैनन से हुआ स्वागत
दोपहर करीब 3 बजे सभी 5 राफेल अंबाला एयरबेस पहुंचे। यहां वाटर कैनन से स्वागत किया गया। इससे पहले सुरक्षा को देखते हुए अंबाला में धारा 144 लागू कर दी है। इसके अलावा मीडिया को भी एयरबेस के अंदर आने से मना किया गया है। इस क्षेत्र में फोटोग्राफी और वीडियो ग्राफी पर भी रोक लगाई गई है। बेस कैंप के 3 किमी के आसपास ड्रोन से नजर रखी जा रही है। इसके अलावा एयरबेस के बाहर बड़ी संख्या में पुलिस भी तैनात की गई है। एयरबेस के ऊपर हेलिकॉप्टर लगातार निगरानी कर रहे हैं।
12 पायलटों ने की ट्रेनिंग पूरी
भारत ने 36 राफेल फ्रांस से खरीदे हैं। 5 विमानों का पहला बेच 29 जुलाई को भारत पहुंचेगा। अब तक वायुसेना के 12 पायलट राफेल के लिए अपनी ट्रेनिंग पूरी कर चुके हैं। वहीं, कुछ और ट्रेनिंग की फाइनल स्टेज में हैं। दोनों देशों के बीच हुए करार के मुताबिक, फ्रांस को भारत के 36 पायलटों को राफेल उड़ाने की ट्रेनिग देना है। इनमें से ज्यादातक की ट्रेनिंग फ्रांस में होगी।
300 किलोमीटर दूर जमीन पर भी साध सकता है निशाना
राफेल का मिसाइल सिस्टम काफी आधुनिक और बेहतर है। यह विमान हवा से हवा और हवा से जमीन पर सटीक निशाना साधने वाले हथियारों को अपने साथ ले जाने में सक्षम है। राफेल में लगी मीटियोर मिसाइल है, जो 150 किलोमीटर मार कर सकती है। वहीं, स्कैल्फ मिसाइल 300 किलोमीटर तक मार कर सकती है। जबकि HAMMER का इस्तेमाल कम दूरी के लिए किया जाता है। यह मिसाइल आसमान से जमीन पर वार करने के लिए कारगार साबित होती है।