सार

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 23 सितंबर को सुबह 10:30 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गुजरात के एकता नगर में पर्यावरण मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। ये सम्मेलन लाइफ, जलवायु परिवर्तन, प्लास्टिक कचरे से निपटने, वन्यजीव और वन प्रबंधन से जुड़े मुद्दों पर केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर तालमेल बनाने के लिए है।
 

नई दिल्ली. प्रकृति को बचाने और संवारने के मकसद से कल एक महत्वपूर्ण सम्मेलन होने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 23 सितंबर को सुबह 10:30 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गुजरात के एकता नगर में पर्यावरण मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन(National Conference of Environment Ministers) का उद्घाटन करेंगे। ये सम्मेलन लाइफ, जलवायु परिवर्तन, प्लास्टिक कचरे से निपटने, वन्यजीव और वन प्रबंधन से जुड़े मुद्दों पर केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर तालमेल बनाने के लिए है। इस मौके पर मोदी सभा को भी संबोधित करेंगे।

जानिए सम्मेलन के बारे में
सहकारी संघवाद(सामूहिक प्रयास) की भावना को आगे बढ़ाते हुए ये सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है, ताकि बेहतर नीतियां बनाने में केंद्र एवं राज्य सरकारों के बीच और अधिक तालमेल बनाया जा सके। इन नीतियों से जुड़े विषय हैं-बहु-आयामी दृष्टिकोण(multidimensional approach) के जरिए प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करना, 'लाइफ-लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट' पर ध्यान केंद्रित करने के साथ जलवायु परिवर्तन से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए राज्य कार्य योजनाएं आदि। इसमें डीग्रेडेड भूमि(भूमि का कटाव या क्षरण) की बहाली और वन्यजीव संरक्षण पर विशेष जोर देने के साथ वन क्षेत्र को बढ़ाने पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

23 और 24 सितंबर को आयोजित होने वाले इस दो दिवसीय सम्मेलन में 6 विषयगत सेशन होंगे। इनमें 'लाइफ', जलवायु परिवर्तन से निपटना (उत्सर्जन के शमन और जलवायु प्रभावों के अनुकूलन के लिए जलवायु परिवर्तन पर राज्य कार्य योजनाओं को अपडेट करना); परिवेश (एकीकृत हरित मंजूरी के लिए सिंगल विंडो सिस्टम); वानिकी प्रबंधन; प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण; वन्यजीव प्रबंधन; प्लास्टिक और अपशिष्ट प्रबंधन जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

जलवायु परिवर्तन एक बड़ा मुद्दा
हाल में पड़ोसी देश पाकिस्तान में पिछले 10 वर्षों की सबसे भयंकर बाढ़ आई। इससे लाखों लोग प्रभावित हुए। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चरमा गई। इसे जलवायु परिवर्तन(Climate change) की एक बड़ी वजह माना जा रहा है। भारत में भी कई राज्यों में असामान्य बारिश हुई। खासकर, दक्षिण भारत जैसे राज्यों में भी बाढ़ देखने को मिल रही है। अंतरराष्ट्रीय रेटिंग फर्म एसएंडपी ग्लोबल द्वारा जारी एक रिपोर्ट में बताया गया कि अगले 28 वर्षों में भारत में 62 फीसदी कृषि पर पानी की कमी का असर पड़ सकता है। ऐसा जलवायु परिवर्तन के कारण होगा। अगर इस पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया, इन वर्षों में भारत की जीडीपी में 15 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है। रिपोर्ट के अनुसार भारत सहित दक्षिण एशिया के अन्य देश जैसे-बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका भी इससे बुरी तरह प्रभावित होंगे। 2050 तक दक्षिण एशिया में भारत और बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था इन खतरों से बहुत अधिक प्रभावित हो सकती है। इन देशों में कुछ दशकों में बाढ़, तूफान, समुद्र के जलस्तर में बढ़ाव जैसे खतरे पैदा हो जाएंगे।

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