सार
कर्नाटक के स्कूलों में हिजाब पर बैन करने के मामले ने राजनीति रंग ले लिया है। कांग्रेस की महासचिव(General Secretary) प्रियंका गांधी के tweet ने इसे और तूल दे दिया है। हालांकि उनके tweet पर लोगों ने उन्हें ट्रोल किया है। कर्नाटक के कई कॉलेजों में हिजाब पहनकर आने वाली छात्राओं की NO ENTRY के मामले में हाईकोर्ट(High Court) में सुनवाई हो रही है।
बेंगलुरु. कर्नाटक के स्कूलों में हिजाब पर बैन करने के मामले ने राजनीति रंग ले लिया है। कांग्रेस की महासचिव(General Secretary) प्रियंका गांधी के tweet ने इसे और तूल दे दिया है। हालांकि उनके tweet पर लोगों ने उन्हें ट्रोल किया है। इससे पहले राहुल गांधी ने इसी मामले पर tweet करके लिखा था- हिजाब को शिक्षा के रास्ते में लाकर भारत की बेटियों का भविष्य बर्बाद किया जा रहा है। राहुल गांधी ने भाजपा पर तंज कंसते हुए कहा था कि, 'मां शारदा सभी को बुद्धि दें।'
प्रियंका गांधी के tweet पर लोगों ने पूछा
प्रियंका गांधी ने tweet किया-चाहे वह बिकिनी हो, घूंघट हो, जींस की जोड़ी हो या हिजाब; यह तय करना एक महिला का अधिकार है कि वह क्या पहनना चाहती है। यह अधिकार भारतीय संविधान द्वारा गारंटीकृत है। महिलाओं को प्रताड़ित करना बंद करो। #ladkihoonladsaktihoon
इस पर लोगों ने प्रियंका गांधी से कई सवाल पूछ लिए। एक ने राजस्थान के मुख्यमंत्री के 2019 के एक बयान का जिक्र करते हुए कहा-ये राजस्थान के आपके वर्तमान मुख्यमंत्री। इसमें ANI के 5 नवंबर, 2019 के tweet का हवाल दिया गया। इसमें लिखा है-जयपुर में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत: गांव में आज भी घूंघट है, एक महिला को घूंघट में क़ैद करने का, एक समाज को क्या अधिकार है? जब तक घूंघट रहेगा तब तक महिलाएं आगे नहीं बढे़ंगी, जमाना गया घूंघट का।
एक यूजर ने अशोक गहलोत के 5 फरवरी, 2016 के बयान का जिक्र किया। इसमें उन्होंने कहा था-अब महिलाओं को घूंघट की कैद से मुक्त किया जाना चाहिए, क्योंकि हम 21वीं सदी में चल रहे है।
एक यूजर ने अफगानिस्तान में तालिबान का उदाहरण देकर पूछा कि आप अफगानी लड़कियों के लिए नहीं लड़तीं!
एक यूजर ने लिखा-हिजाब आपका अधिकार है तो आपका ये अधिकार वहां लागू होगा जहां आपका अधिकार क्षेत्र है। स्कूल में क्या पहनना है, ये स्कूल का अधिकार क्षेत्र है और स्कूल में आपको स्कूल के ड्रेस कोड का अनुसरण करना ही होगा। कट्टरपंथ को हवा मत दीजिए दीदी।
एक यूजर ने तर्क दिया-संविधान स्कूल/कॉलेज को ड्रेस कोड जारी करने का अधिकार भी देता है जिसका पालन करना हर विद्यार्थी के लिए अनिवार्य है। चाहे बिकिनी पहनो या हिजाब लेकिन हर वस्त्र पहनने की एक जगह होती है। स्कूल में ड्रेस कोड मानना ही होगा।
ऐसे शुरू हुआ विवाद
कर्नाटक के कई कॉलेजों में हिजाब पहनकर आने वालीं लड़कियों को कॉलेज में एंट्री नहीं दी जा रही है। वहीं, हिजाब के जवाब में हिंदू लड़कियां केसरिया दुपट्टा पहनकर आने लगी हैं। विवाद की शुरुआत उडुपी के एक कॉलेज से हुई थी, जहां जनवरी में हिजाब पर बैन लगा दिया था। इस मामले के बाद उडुपी के ही भंडारकर कॉलेज में भी ऐसा ही किया गया। अब यह बैन शिवमोगा जिले के भद्रवती कॉलेज से लेकर तमाम कॉलेज तक फैल गया है। इस मामले को लेकर रेशम फारूक नाम की एक छात्रा ने कर्नाटक हाईकोर्ट याचिका दायर की है। इसमें कहा गया कि हिजाब पहनने की अनुमति न देना संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 के तहत मौलिक अधिकारों का हनन है। गुरुवार को भंडारकर कॉलेज में हिजाब पहनी छात्राओं को कॉलेज के प्रिंसिपल ने अंदर नहीं आने दिया था। उनका तर्क था कि शासन के आदेश व कालेज के दिशा-निर्देशों के अनुसार उन्हें कक्षाओं में यूनिफॉर्म में आना होगा। जबकि छात्राओं का तर्क था कि वे लंबे समय से हिजाब पहनकर ही कॉलेज आती रही हैं। इस मामले को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है।